उमरिया। जंगल के अंदर से गुजरने वाले वाहनों के रास्ते में कभी भी जंगली जानवर आ सकते हैं जिससे वाहन की टक्कर लगने से उनकी जान जा सकती है। एेसी स्थिति में वाहन वन विभाग द्वारा जब्त कर लिए जाते हैं और वन अधिनियम और वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत कार्रवाई भी की जाती है।
इन सड़कों पर खतरा
उमरिया से होकर गुजरने वाला शहपुरा-सतना स्टेट हाईवे का लगभग 40 किलोमीटर लंबा हिस्सा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मगधी, ताला, खितौली, पतौर, पनपथा रेंज के जंगल को प्रभावित करता है। मानपुर से शहडोल तक जाने वाली प्रमुख सड़क का लगभग 15 किलोमीटर लंबा हिस्सा बांधवगढ़ के जंगल को प्रभावित करता है।
बांधवगढ़ के कल्लवाह रेंज को प्रभावित करती
चौरी से रायपुर बन्नौदा होते हुए बिरसिंहपुर पाली तक पहुंचने वाली लगभग 20 किलोमीटर लंबी सड़क बांधवगढ़ के कल्लवाह रेंज को प्रभावित करती है। एनएच 43 कटनी-चांडिल की लंबाई उमरिया में लगभग सौ किलोमीटर है जिसमें से सामान्य वन मंडल के चंदिया, उमरिया, नौरोजाबाद, पाली, घुनघुटी के लगभग 60 किलोमीटर जंगल को यह हाईवे प्रभावित करता है।
इसलिए है जरूरी
दरअसल, जंगल के अंदर तेज गति से वाहन चलाने की वजह से जंगली जानवरों को क्षति पहुंचती है। खास तौर से छोटे जानवर बंदर और हिरण भी कई बार वाहन की चपेट में आ जाते हैं। यही कारण है कि वाहनों की गति पर गंभीरता से ध्यान देने का निर्णय लिया गया है। यह निमय प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में लागू होता है अौर इस नियम का पालन सभी जगह करवाया जा रहा है।
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