ग्वालियर। उफ! चंद कदम की दूरी और सुबह से रात तक जाम। माधव नगर गेट से एजी पुल पर पूरे दिन से रात तक जनता जाम की मुसीबत भुगतती रही। जाम में वकील, डाक्टर, स्कूली बच्चे, कालेज और यूनीवर्सिटी के छात्र, प्रोफेसर, कर्मचारी और करीब हर वर्ग के लोग फंसे और व्यवस्था को कोसते नजर आए। ये स्थिति इसलिए बनी क्योंकि जिम्मेदारों ने गैरजिम्मेदारी की हद कर दी। नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस पर लाल फीताशाही हावी होने से कोई कारगर पहल हो नहीं सकी। वहीं ठेकेदार ने भी मनमानी की, नतीजा जनता घंटों तक जाम में फंसने को मजबूर हो गई।
शनिवार को शासकीय कार्यालयों में अवकाश रहता है। अगले ही दिन रविवार की छुट्टी थी, इसलिए जिम्मेदारों की गैरजिम्मेदारी बरतने के बावजूद मुसीबत अपेक्षाकृत कम रही। सोमवार को शासकीय कार्यालय समेत शिक्षण संस्थान भी खुले। नतीजे में यातायात का भार बढ़ गया और गैरजिम्मेदार व्यवस्था की पोल खुलने लगी। स्कूलों की छुट्टी होने के बाद तो हालात बेकाबू हो गए। मासूम बच्चे तक घंटों यहां फंसे रहे। जब स्थिति अधिक बिगड़ी तो ट्रैफिक पुलिस के एएसपी खुद सड़क पर उतरे। उन्होंने फोर्स बुलवाई, वाहनों को एक-एक कर निकाला गया।
क्यों अधिक बिगड़े हालात…यह हैं जिम्मेदार
- नगर निगम: यहां स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम का काम शुरू होना था। इससे पहले बाकायदा ट्रैफिक पुलिस के साथ बैठक होनी चाहिए थी। उन्हें निर्माण कार्य का शेड्यूल बताया जाता, जिससे व्यवस्था बनती। नगर निगम की ओर से पत्र भेजकर अपनी जिम्मेदारी पूरी मान ली गई। इसके बाद सीधे काम शुरू कर दिया गया।
- ट्रैफिक पुलिस: नगर निगम की ओर से पत्र आया, लेकिन इसे गंभीरता से न लेकर कोई डायवर्जन प्लान तैयार नहीं किया गया। इसके चलते अचानक काम शुरू हो गया और यह हालात बनने लगे। पुल के नीचे जब तक काम चला, तब तक तो सबकुछ ठीक रहा। इसके बाद हालात बिगड़ने लगे।
- ठेकेदार: ठेकेदार ने काम किया, जहां खोदाई की, वहां गिट्टी डालकर सड़क को व्यवस्थित करना था। ठेकेदार ने ऐसा नहीं किया। इस वजह से जहां निर्माण कार्य पूरा हो गया, वहां से भी वाहन चालक बहुत मुश्किल से निकल पा रहे हैं। बारिश के चलते मिट्टी से कीचड़ हो गई। इसलिए इस रास्ते का भी उपयोग नहीं हो पा रहा। जहां निर्माण कार्य होना शेष है, वहां बड़े-बड़े पाइप रख दिए गए हैं। आधे रास्ते पर जेसीबी सहित अन्य मशीनें खड़ी हैं।
दिन में काम…इसलिए बदतर हो रहे हालात
बड़े शहरों में जब काम चलता है तो सुबह पांच से नौ, रात 10 बजे के बाद काम चलता है। जिस समय ट्रैफिक लोड कम हो, उसी समय काम किया जाता है। यहां दिन में ही काम हो रहा है। इससे सड़क पर धूल उड़ रही है, ट्रैफिक जाम हो रहा है।
यह प्रयोग…तब निकल सके वाहन
सोमवार को ट्रैफिक लोड अधिक था। अवकाश न होने की वजह से ट्रैफिक लोड बढ़ा, तभी दिन में यहां सड़क पर ही गड्ढा खोद दिया गया। इससे स्थिति बिगड़ने लगी। जहां गड्ढा खोदा गया, वहीं से दो पहिया और चार पहिया वाहन एक ही तरफ से निकल रहे थे। यहां महज पांच से सात फीट ही रास्ता निकलने के लिए बचा है। ऐसे में हादसा भी हो सकता था। इसके चलते ट्रैफिक पुलिस ने दो पहिया वाहनों को बाईं ओर और चार पहिया वाहनों को सीधे निकाला। कुछ वाहन चालकों ने बहस की, यहां झगड़े की स्थिति भी बनी।
यहां भी सड़क पर खोदा गड्ढा, हो सकता है हादसा
एसकेवी तिराहे के पास भी बिना ट्रैफिक पुलिस को सूचना दिए सड़क पर खोदाई कर दी गई है। यहां गड्ढा खोदने के बाद ऐसे ही छोड़ दिया गया। जब ट्रैफिक पुलिस पहुंची तो यहां स्टापर लगाए गए। अब यहां जाम लग रहा है। साथ ही यह गड्ढा हादसे की वजह भी बन सकता है।
नगर निगम द्वारा बिना समन्वय के ही जगह-जगह खोदाई की जा रही है। इससे हालात बिगड़ रहे हैं। पत्र भेजने के साथ अगर निर्माण शुरू होने से पहले एक बैठक कर ली जाए तो बेहतर व्यवस्था बनाई जा सकती है। एजी पुल के पास चल रहे निर्माण कार्य के संबंध में ठेकेदार से बात की गई। ठेकेदार का कहना है- अब रात्रि में ही कार्य होगा। दिन में कार्य होने से स्थिति और बिगड़ रही है।
सियाज केएम, एएसपी।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.