हरियाणा की पूरी सियासत कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा के इर्द-गिर्द सिमट गई है. विधानसभा चुनाव प्रचार से कुमारी सैलजा की दूरी बनाए रखने के चलते राजनीति गरमा गई है, लेकिन उन्होंने अपनी नाराजगी से लेकर हर सवाल का बेबाकी से जवाब दिया. बसपा से लेकर बीजेपी तक से दिए जा रहे ऑफर को सैलजा ने ठुकरा जरूर दिया है, लेकिन सीएम बनने के लिए इच्छा जाहिर करके कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की टेंशन जरूर बढ़ा दी है. इस तरह सैलजा चुनाव प्रचार से दूरी बनाकर भी सियासी चर्चा में बनी हुई हैं?
सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा 12 सितंबर से पूरी तरह साइलेंट मोड में हैं. वो न ही कांग्रेस के चुनाव प्रचार में एक्टिव नजर आ रही हैं और न ही सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं. ऐसे में कांग्रेस की नाराजगी और बीजेपी में शामिल होने सहित के सवाल का जवाब देते हुए कुमारी सैलजा ने एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में कहा,’नाराजगी की बात नहीं है, लेकिन कुछ बातें तो हो जाती हैं, ये पार्टी की अंदरुनी बात है, लेकिन मैं मरते दम तक कांग्रेस नहीं छोड़ूंगी. बीजेपी हरियाणा और राष्ट्रीय स्तर पर गिरावट की ओर हैं, वहां जाने का सवाल ही नहीं है.
कांग्रेस से नाराजगी पर क्या बोली सैलजा
कुमारी सैलजा ने कहा कि कांग्रेस से नाराजगी है तो उसका जिक्र मैं यहां नहीं करना चाहूंगी. कांग्रेस पार्टी आगे बढ़ रही है, कांग्रेस के साथ हरियाणा के लोग आगे बढ़ रहे हैं. लोग हमारी तरफ देख रहे हैं. सारा देश बोल रहा है कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनेगी. मैं समझती हूं कि उसमें थोड़ा-बहुत योगदान सैलजा का भी होगा. उससे ज्यादा कांग्रेस वर्कर का योगदान ग्राउंड पर ज्यादा होगा. चुनाव प्रचार से दूरी बनाने के सवाल पर सैलजा ने कहा, ‘प्रचार के लिए पहले निकले हैं और आगे भी अब निकलेंगे. शुरू में कैंडिडेट्स भी अपने काम में बिजी होते हैं. नॉमिनेशन के समय में भी मैं पहुंच नहीं सकी. कुछ बातें होती हैं पार्टी में, उसे यहां शेयर करना अच्छा नहीं है पार्टी डिसिप्लिन भी होता है.
‘विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हूं’
टिकट बंटवारे में सैलजा के उम्मीदवारों को वरीयता ना मिलने के सवाल पर सैलजा ने कहा कि अपनी अपनी सिफारिश सभी देते हैं. अंत में किसका क्या होता है और किस्मत किसकी चमकती है ये समय तय करता है. कुछ चीजें होती हैं पार्टी में और ये हर चुनाव में होती हैं.’ उन्होंने कहा कि मैं उकलाना से खुद ही विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हूं. उकलाना मेरा गांव है और वहां पर काम हुए हैं. नारनौंद ही नहीं, कई जगह पर हमें लगा कि और बेहतर उम्मीदवार हो सकते हैं. ऐसे में कई सीट पर हमने नाम दिए थे, लेकिन पार्टी ने तय किया है.
बीजेपी के ऑफर को सैलजा ने ठुकराया
बीजेपी और मनोहर लाल खट्कर के ऑफर को कुमारी सैलजा ने ठुकरा दिया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के जो नेता आज टिप्पणी कर रहे हैं, उनके काफी नेताओं से ज्यादा लंबा मेरा राजनीतिक जीवन है. बीजेपी नेता मुझे नसीहत ना दें , मुझे अपना रास्ता और मेरी पार्टी मेरा रास्ता तय करना जानती है. हम करेंगे और मजबूती से चलेंगे. मैं जानती हूं कि किस तरह के बयान दिए जा रहे हैं. भ्रम फैलाए जा रहे हैं कि सैलजा इस पार्टी में जा रही हैं. बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा कभी मैं सोच भी नहीं सकती है, सैलजा की रगों में कांग्रेस का खून है. मैंने पहले भी कहा था कि जैसे मेरे पिताजी कांग्रेस के तिरंगे में लिपटकर गए थे, वैसे ही सैलजा भी कांग्रेस के तिरंगे में लिपटकर जाएगी. मेरा मेरी पार्टी, मेरे नेता के प्रति कमिटमेंट है. बीजेपी के पास और कोई मुद्दा नहीं है. असलियत कांग्रेस नेतृत्व को पता है, कांग्रेस वर्कर्स को पता है और मुझे पता है.
सीएम बनने की इच्छा जाहिर
हरियाणा में मुख्यमंत्री बनने की रेस में सैलजा खुद को बनाए रखना चाहती है. उन्होंने कहा कि सीएम की दावेदारी तो कोई भी रख सकता है, दावेदारी हर एक की हो सकती हैं. सैलजा कभी न हताश होती है, ननिराश होती है. मैंने बहुत से मुकाम और उतार-चढ़ाव देखे हैं. एक राजनेता के तौर पर मेरी भी इच्छा है कि मैं मुख्यमंत्री बनूं. अभी हरियाणा में मुख्यमंत्री बनने का रास्ता खुला हुआ है. कांग्रेस ने किसी भी नेता को सीएम चेहरा घोषित नहीं किया है. कांग्रेस में सीएम का चेहरा चुनाव के बाद पार्टी हाईकमान तय करता है. सैलजा ने कहा कि पहली बात तो यह भी नहीं पता है कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा. सीएम का फैसला हमेशा हाईकमान करता है. इसके अलावा सेल्फ प्रोटेक्शन तो सभी लोग करते हैं.
बढ़ाई हुड्डा की टेंशन
कुमारी सैलजा भले ही विधानसभा चुनाव न लड़ रही हों, लेकिन उन्होंने सीएम बनने की अपनी इच्छा नहीं छोड़ी है. ऐसे में सैलजा ने मख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर करके भूपेंद्र सिंह हुड्डा की टेंशन बढ़ा दी है. कांग्रेस सत्ता में वापसी करती है तो सैलजा भी मुख्यमंत्री बनने की दावेदारी करेंगी. सैलजा दलित समाज से आती हैं और कांग्रेस जिस तरह दलित समुदाय को साधने के लिए लगातार कोशिश कर रही है. ऐसे में कुमार सैलजा के नाम को दरकिनार करना कांग्रेस नेतृत्व के लिए आसान नहीं है. इस तरह हुड्डा भले ही खुलकर चुनाव में खेल रहे हों, लेकिन चुनाव के बाद सीएम की कुर्सी के लिए उन्हें कड़ी चुनौती सैलजा से मिल सकती है?
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