एक कहावत बहुत सुनी है, ‘डूबते को तिनके का सहारा’. इसका मतलब होता है कि मुसीबत में छोटी से छोटी मदद भी काफी होती है. कुछ ऐसा ही हुआ 6 साल के भोदल के साथ. अपने पिता के कंधे पर बैठकर नदी पार कर रहा भोदल पानी के तेज बहाव में बह गया. साथ ही उसका पिता भी डूब गया. पानी में डूबने से पिता की मौत हो गई, लेकिन भोदल अपनी किस्मत और बहादुरी से बच गया. नदी की तेज धारा में बहते हुए मासूम भोदल ने झट से पेड़ की झुकी टहनी पकड़ ली. रातभर वो उसी टहनी के सहारे पेड़ पर बैठा रहा.
मामला बिहार के आरा जिले के चरपोखरी थाना क्षेत्र के धमनियां के पास बनास नदी का है. बुधवार को गांव रत्नाढ़ निवासी नागेश्वर राम अपने 6 साल के बेटे भोदल को कंधे पर बैठाकर नदी पार कर रहा था. अचानक पानी का बहाव तेज होने से दोनों बह गए. नागेश्वर नदी के गहरे पानी में डूब गया, जिससे उसकी मौत हो गई. उधर, भोदल अपनी सूझबूझ से बच गया.
नदी किनारे पिता का शव, पेड़ से लटका मासूम
आरा जिले के गांव गड़हनी ठाकुरबाड़ी के निकट बनास नदी के किनारे ग्रामीणों ने नागेश्वर का शव देखा. शव मिलने से इलाके में हड़कंप मच गया. वह जब शव के नजदीक पहुंचे तो उन्हें एक बच्चे की आवाज सुनाई दी. उन्होंने देखा नदी किनारे पेड़ की डाल पर बच्चा मौजूद है. ग्रामीणों ने बच्चे को डाल से उतारा. बच्चे ने बताया कि नदी किनारे पड़ा शव उसके पिता का है. ग्रामीणों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी. मृतक के परिजनों को भी खबर दी गई. मौके पर मृतक की पत्नी पहुंच गई. पति के शव को चीख पड़ी, वहीं बेटे को सही सलामत हालात में देख उसे सीने से लगा लिया.
पेड़ की टहनी बनी सहारा
6 साल के भोदल की आंखों में डर और दहशत बनी हुई है. उसके बचने पर लोग इसे ईश्वरीय चमत्कार मां रहे हैं. भोदल की बहादुरी की चर्चा भी खूब हो रही है. भोदल हादसे वाले मंजर को याद कर सिहर उठता है. अपनी आंखों के सामने पिता को डूबते हुए देखा. उसने बताया कि वह अपने पिता के कंधे पर बैठकर नदी पार कर रहा था. तभी उसके पिता डूबने लगे. वह भी नदी में गिर गया. दोनों बहने लगे. अचानक उसने नदी किनारे पेड़ की लटकती टहनी देखी और झट से उसे पकड़ा लिया. वह उसे पूरी ताकत से पकड़ा रहा. उसने अपने पिता को पानी की तेज धारा में बहते हुए देखा.
पेड़ पर गुजारी पूरी रात
भोदल ने बताया कि वह पूरी रात पेड़ की डाली पर बैठा रहा. सुबह उसने ग्रामीणों को देख बचाने के लिए आवाज लगाई. सूचना पर पहुंची चरपोखरी पुलिस ने मृतक नागेश्वर के शव को कब्जे में लेकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा है. वह मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण किया करता था. उसके दो बेटे और तीन बेटी हैं. नागेश्वर की से उनके आगे गंभीर संकट आ गया है.
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