बिहार को सेहत के क्षेत्र में बडी सौगात मिली है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान परिसर में नवनिर्मित नेत्र संस्थान का उद्घाटन किया. यह नई इकाई 188 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित क्षेत्रीय नेत्र संस्थान का निरीक्षण किया. इस दौरान प्रथम तल पर जाकर ओपीडी, वार्ड एरिया, ऑपरेशन थियेटर रूम, जेनरल वार्ड की व्यवस्थाओं की जानकारी ली.
मुख्यमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आईजीआईएमएस में आयोजित कार्यक्रम में रिमोट के माध्यम से 850 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न परियोजनाओं का भी उद्घाटन और शिलान्यास किया. इस अवसर पर सीएम ने कहा कि इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान परिसर में आज क्षेत्रीय नेत्र संस्थान का उद्घाटन हुआ है. इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा पधारे हैं, उनका मैं अभिनंदन और स्वागत करता हूं. आईजीआईएमएस की स्थापना वर्ष 1984 में हुई थी.
अब यहां पर मुफ्त दवा और जांच की व्यवस्था की गई है- CM
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि शुरू में इस संस्थान में ठीक ढंग से काम हुआ लेकिन कुछ वर्षों के बाद यहां की व्यवस्था खराब होने लगी. वर्ष 2005 में सरकार में आने के बाद हम लोगों ने इस संस्थान के सुधार पर पूरा ध्यान दिया. लोगों के इलाज की आधुनिक व्यवस्था कराई गई. बड़ी संख्या में डॉक्टरों की पोस्टिंग की गई. आई बैंक और आधुनिक किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट स्थापित की गई, हार्ट के मरीजों के लिए कार्डियक सेंटर बनाए गए. स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई.
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी हो रही है कि इस कड़ी में आज आईजीआईएमएस के परिसर में आंखों के क्षेत्रीय संस्थान का उद्घाटन किया जा रहा है. साथ ही स्वास्थ्य संस्थानों में भवनों और सुविधाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया जा रहा है. जिसमें हाल ही में बनाए गए हेल्थ यूनिवर्सिटी का भवन भी शामिल है. इन सभी की लागत 850 करोड़ रुपये है. आईजीआईएमएस में पहले दवाई और जांच के लिए कुछ राशि देनी पड़ती थी. लेकिन अब यहां पर मुफ्त दवा और जांच की व्यवस्था की गई है.
अगले साल बेड की संख्या तीन हजार से ज्यादा हो जाएगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले आईजीआईएमएस में बेड की संख्या 770 थी. फिर हमने इसके अतिरिक्त यहां पर दो हजार 500 बेड और बढ़ाने का निर्णय लिया. इस पर तेजी से काम कराया जा रहा है जिससे अब बेड की संख्या एक हजार 370 हो गई है. वहीं, 500 बेड पर काम इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा. 1200 बेड का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का निर्माण अगले वर्ष तक पूरा कर दिया जायेगा. इस प्रकार यहां पर बेड की संख्या तीन हजार से ज्यादा हो जाएगी.
सीएम ने यह भी कहा कि जब 2005 में हम लोग सरकार में आए तो उस समय स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत खराब थी. सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी थी. अस्पतालों में दवा और अन्य सुविधाएं भी नहीं थी. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में तो इलाज के लिए प्रतिमाह मात्र 39 मरीज ही आते थे. यानी प्रतिदिन एक या दो मरीज आते थे. वर्ष 2006 से अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त दवा देने की शुरुआत की गई, जिसे शुभारंभ के लिए तत्कालीन उप-राष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत पटना आये थे. उन्होंने कहा कि अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हर महीने औसतन 11 हजार से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं.
9 जिलों में मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल बनाने का प्रस्ताव
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले राज्य में केवल 6 सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल थे. इसकी कमी के कारण यहां के छात्र मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई करने राज्य के बाहर जाया करते थे. डॉक्टर की कमी होने के कारण यहां के लोग इलाज के लिए भी राज्य के बाहर जाते थे. सरकार ने राज्य में नए मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कराया. जिससे अब मेडिकल कॉलेज की संख्या छह से बढ़कर 11 हो गई है. इसके अतिरिक्त 15 और नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया जा रहा है. आठ मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के निर्माण में केन्द्र सरकार का सहयोग मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि इसके अलावे नौ जिलों में मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल बनाने का प्रस्ताव है. पटना मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल को पांच हजार 462 बेड की क्षमता वाले आधुनिक और विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है. पुराने सभी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बेड की संख्या भी बढ़ाई जा रही है. इसके अतिरिक्त नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, पटना, दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, दरभंगा, श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, मुजफ्फरपुर, जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, भागलपुर और अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, गया को भी 2500 बेड के मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के रूप में विकसित किया जा रहा है.
दरभंगा एम्स के निर्माण के लिए भूमि चिह्नित की गई
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में पटना में एम्स के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई. आज वह काफी अच्छा बन गया है. यहां पर मरीजों का बेहतर इलाज हो रहा है. इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2015 में दरभंगा में दूसरे एम्स की स्वीकृति दी गई. इसका निर्माण जल्द शुरू हो रहा है. उन्होंने कहा कि, ‘मुझे खुशी है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा दरभंगा एम्स के लिए चिह्नित जमीन देखने जा रहे हैं. उसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं. दरभंगा में एम्स के निर्माण के लिए 150 एकड़ भूमि चिह्नित कर ली है.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बहुत खुशी की बात है कि जेपी नड्डा बिहार आए हैं, इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं. उनका जन्म यहीं पर हुआ है. बिहार से उनका पुराना रिश्ता है. वे बिहार आते रहेंगे तो हम लोगों को खुशी होगी. उनके पिताजी यहीं पर रहते थे. हम दिल्ली जाते हैं तो हमेशा इनसे मिलते हैं. कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रकाशित बुकलेट और हिंदी में प्रकाशित मेडिकल से संबंधित विभिन्न पुस्तकों का मुख्यमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने लोकार्पण किया. साथ ही दोनों ने रिमोट के माध्यम से चिकित्सा महाविद्यालय ऑनलाइन शिक्षा का शुभारंभ किया.
कार्यक्रम में ये लोग रहे उपस्थित
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ दिलीप कुमार जायसवाल, सांसद रविशंकर प्रसाद, विधायक संजीव चौरसिया, विधान पार्षद नवल किशोर यादव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, स्वास्थ्य विभाग के सचिव संजय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ बिन्दे प्रसाद, उपनिदेशक डॉ विभूति प्रसन्न सिन्हा, अधीक्षक डॉ मनीष मंडल सहित बडी संख्या में अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी और इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सक एवं छात्र उपस्थित थे.
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