असम में 28 लोगों को डिटेंशन सेंटर में भेजे जाने का मामला तूल पकड़ रहा है. कई मुस्लिम संगठन इसका विरोध कर चुके हैं. इसी कड़ी में लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने रिएक्शन दिया है. उन्होंने असम बॉर्डर पुलिस के एक्शन और राज्य के सिस्टम पर सवाल उठाया है. ओवैसी ने कहा कि ये जो हरकत हुई है, इसकी पूरी जिम्मेदारी असम बॉर्डर पुलिस की है.
एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि असम बॉर्डर पुलिस बहुत पक्षपात करती है. लोगों को पकड़कर बताती है कि ये विदेशी हैं. असम का ये तरीका बहुत गलत है. एक ही परिवार में अगर छह लोग हैं तो उसमें एक विदेश नागरिक कैसे हो सकता है.
बॉर्डर पुलिस किसी को भी उठा लेती
उन्होंने कहा कि वहां बॉर्डर पुलिस किसी को भी उठा लेती है. ये पूरी प्रक्रिया गलत है. पकड़े गए लोगों को डिटेंशन सेंटर में रख रहे हैं. अगर पुलिस के मुताबिक ये लोग बांग्लादेशी हैं तो इन्हें वहां भेजिए ना. सच तो ये है कि बांग्लादेश इन लोगों को लेगा नहीं.
ये गाय रक्षक नहीं, राक्षस हैं
असदुद्दीन ओवैसी ने हरियाणा के फरीदाबाद में आर्यन मिश्रा की हत्या मामले में भी रिएक्शन दिया. उन्होंने कहा कि ये गाय रक्षक नहीं, राक्षस हैं. हरियाणा पुलिस ने इनको छूट दे रखी है. इन लोगों के रोकने पर वो बच्चा (आर्यन) नहीं रुका तो उसे गोली मार दी गई. अब कह रहे हैं कि गलती से ब्राह्मण को गोली मार दी.
क्या है असम का पूरा मामला?
बताया जा रहा है कि बरपेटा जिले के अलग-अलग क्षेत्रों के 28 लोगों को थाने बुलाया गया था. इसके बाद सभी को पुलिस अधीक्षक कार्यालय ले जाया गया. वहां से ग्वालपाड़ा स्थिति डिटेंशन कैंप भेज दिया गया. इन लोगों के पास भारतीय होने के कागजात नहीं थे. इनको असम पुलिस ने नोटिस भी दिए थे. साथ ही मामला विदेशी न्यायाधिकरण को भेजा गया था.
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