विधानसभा चुनाव से पहले महबूबा मुफ्ती का शक्ति प्रदर्शन, पीडीपी में शामिल हुआ ये अलगाववादी नेता

कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है. दलों ने कई उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी. सियासत के समीकरण को समझते हुए कई नेताओं का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाना शुरू कर दिया है. इसी बीच कश्मीर के अलगाववादी हुर्रियत नेता सैयद सलीम गिलानी ने अपनी राजनीति में एक बड़ा फैसला लिया है. ठीक विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने रविवार को महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी का दामन थाम लिया है.

अलगाववादी नेता सैयद सलीम गिलानी पीडीपी इससे पहले मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाली ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्य थे. पीडीपी में शामिल होने के बाद सलीम गिलानी ने कहा कि उनका मकसद जम्मू कश्मीर के लोगों की सेवा करना है फिर चाहे वो अलगाववादी नेता के तौर पर करें या फिर मुख्यधारा की राजनीति में आकर करें. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिन कश्मीर के लोगों के मुद्दों के लिए वो अलगाववादी नेता के तौर पर लड़ रहे हैं, वहीं मुद्दे इस समय मुख्यधारा की राजनीति में हावी हैं. इसलिए उन्होंने मुख्यधारा की राजनीति में आने का फैसला किया है.

गिलानी के शामिल होने पर क्या बोलीं मुफ्ती?

अलगाववादी नेता सलीम गिलानी के शामिल होने पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उनके पास पहले से ही एक विजन है. पीडीपी सत्ता के लिए चुनाव नहीं लड़ रही है, बल्कि जम्मू कश्मीर के लोगों की पीड़ा को दूर करने के लिए लड़ रही है. सैयद सलीम गिलानी वो नेता हैं, जिनके पास जिनके पास कश्मीर के लोगों के लिए एक विजन है. माना जा रहा है कि सलीम के पार्टी ज्वाइन करने से कहीं न कहीं पीडीपी की ताकत जरूर बढ़ेगी. सलीम गिलानी के साथ-साथ कश्मीर के कई और बड़े नेताओं ने भी मुफ्ती की पार्टी का दामन थामा है.

भाजपा पर भी जमकर निशाना साधा

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सभी नेताओं को पार्टी में ज्वाइन होने पर कहा, “हम क्या कह सकते हैं? आपको याद होगा कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में भी जब मैंने चुनाव लड़ा था, तो उन्होंने बिना किसी कारण के तारीख बदल दी थी, इसलिए उनके पास भाजपा का अपना हिसाब है और उसी के अनुसार वे चुनाव की तारीख तय करते हैं. सब कुछ भाजपा और उनकी प्रॉक्सी पार्टियों के लिए काम करता है. मुझे खुशी है कि यहां सभी अधिकारी स्थानीय हैं. मुझे उम्मीद है कि सभी कर्मचारी, जो भी चुनाव प्रक्रिया से जुड़े हैं, वे स्वतंत्र निष्पक्ष चुनाव कराने में अपनी भूमिका निभाएंगे”

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