कास्टिंग काउच और महिलाओं पर सेक्शुअल एक्सप्लोइटेशन के आरोपों को लेकर आए दिन फिल्म इंडस्ट्री पर सवाल उठाए जाते रहे हैं. फिल्म इंडस्ट्री में महिला आर्टिस्टों ने आरोप लगाया कि मेल एक्टर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर उन्हें काम करने के बदले में उनपर समझौता करने के लिए जोर दिया जाता है.
फीमेल कलाकारों को इंडस्ट्री में काम तो मिलता है, लेकिन अलग-अलग शर्तों के साथ. 2017-18 में शुरू हुए मीटू मूवमेंट के बाद देश-विदेश की कई फीमेल कलाकारों ने इंडस्ट्री में हो रहे सेक्शुअल एक्सप्लोइटेशन के खिलाफ आवाज उठाई थी.
बॉलीवुड के लिए भी बनेगी कमेटी
अब हेमा कमेटी की रिपोर्ट के बाद फिल्म इंडस्ट्री में हलचल मची हुई है. इन दिनों हर तरफ हेमा कमेटी की रिपोर्ट सुर्खियों में है, जिसमें हुए एक खुलासे के बाद साउथ सिनेमा के कई बड़े नाम लपेटे में आ गए हैं. मलयालम इंडस्ट्री में हेमा कमेटी के गठन के बाद अब कास्टिंग काउच की जांच को लेकर महाराष्ट्र में भी ऐसी कमेटी का गठन किया जा सकता है. ये कमेटी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में होने वाले कास्टिंग काउच की जांच के लिए गठित की जाएगी. हालांकि अभी महाराष्ट्र सरकार की ओर से कोई घोषणा नहीं की गई है. बॉलीवुड हंगामा के मुताबिक ये केरल सरकार की तर्ज पर अब महाराष्ट्र में भी एक कमेटी बनाई जाएगी.
केरल सरकार ने 2019 में न्यायमूर्ति हेमा समिति का गठन किया था. समिति ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में फीमेल जो चीजें फेस कर रही हैं उन मुद्दों पर गौर किया. इस रिपोर्ट में महिलाओं के यौन उत्पीड़न, शोषण और गलत व्यलहार की जरुरी डिटेल्स को एक्सपोज किया गया है. अब ऐसा कहा जा रहा कि केरल के बाद महाराष्ट्र में भी कास्टिंग काउच को लेकर एक कमेटी बनाई जा सकती है.
आशा पारेख ने क्या कहा?
इस खबर पर दिग्गज एक्ट्रेस आशा पारेख ने कहा, “इसकी बड़े स्तर पर जांच होनी चाहिए. वर्कप्लेस पर महिलाओं की सेफ्टी सरकार की फर्स्ट प्रायोरिटी होनी चाहिए.” नाम न बताने की शर्त पर एक जाने-माने हिंदी फिल्ममेकर-डायरेक्टर ने इस मुद्दे पर बात की और कहा, “कुछ साल पहले बॉलीवुड में मीटू का मामला सामने आया था, लेकिन इसका नतीजा क्या निकला? सिर्फ छोटी मछलियां ही जाल में फंसी. असल में तो बड़े खिलाड़ी, जिनमें एक मल्टी-कंटेंट टाइकून मेकर और एक ए-लिस्ट हीरो भी शामिल हैं, जो अपनी नीट एंड क्लीन रेपुटेशन के लिए जाने जाते हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि दोनों ने ही आरोप लगाने वाली महिलाओं को उनपर लगाए आरोपों को दबाने के लिए करोड़ों रुपये भी दिए. इस बार इस कमेटी के बनने के बाद सबसे बड़े स्टार भी नपेंगे”
मलयालम अभिनेता टोविनो थॉमस ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को कास्टिंग काउच पर “टारगेट” किए जाने पर “आहत” होने की बात की थी, जिसने अब विवाद पैदा कर दिया है. उनके एक साथी ने कहा, “कहीं न कहीं तो शुरुआत होनी ही चाहिए और थॉमस को इस बात पर खुशी और गर्व होना चाहिए कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री ने मीटू पार्ट 2 की अगुआई की है. थॉमस का ये कहना कि हम क्यों रो रहे हैं, बिल्कुल ये कहने जैसा है कि अपराध कम हो रहे हैं, क्योंकि वही अपराध दूसरे लोग कर रहे हैं. ये कोई किंडरगार्टन स्कूल नहीं है. बड़े हो जाओ और सच्चाई का सामना करो.”
क्यों हुआ हेमा कमेटी का गठन?
ये बात है 17 फरवरी 2017 की. एक मलयाली सिनेमा की मशहूर अदाकारा का अपहरण हुआ और उन्हीं की कार में उनका यौन शोषण किया गया. इस मामले में इंडस्ट्री के एक बड़े एक्टर का नाम भी आया जिससे पूरे केरल में हाहाकार मच गया. इस मामले को लेकर केरल की रिटायर्ड हाई कोर्ट जज जस्टिस के हेमा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया. इस कमेटी को मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में मौजूद यौन शोषण जैसी समस्याओं की पड़ताल करने का जिम्मा सौंपा गया.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.