उज्जैन। उज्जैन शहर और आसपास के आंचलिक क्षेत्रों में शनिवार को भी झमाझम बारिश दर्ज की गई। उज्जैन शहर में शनिवार सुबह 8 बजे से शुरुआत हुआ झमाझम बारिश का दौर रुक-रुककर दोपहर एक बजे तक चला। अच्छी बारिश से शिप्रा नदी उफान पर रही।
रामघाट पर मंदिर दूसरे दिन भी डूबे रहे। वहीं इंदौर में हुई अच्छी बरसात के बाद यशवंत सागर का गेट खोले जाने से उज्जैन के गंभीर डैम में भी पानी बढ़ा। डैम में पानी की आवक शाम तक जारी रही।
उज्जैनवासियों के लिए अच्छी खबर है। लंबे इंतजार के बाद शनिवार को गंभीर बांध पानी से आधा भरा गया। ऐसा इंदौर में लगातार बरसात होने से यशवंत सागर बांध के लबालब भराने पर शुक्रवार रात बांध का एक गेट खोलकर अतिरिक्त पानी गंभीर नदी में छोड़े जाने से हुआ। 2250 मिलियन क्यूबिक फीट (एमसीएफटी) जल संग्रहण क्षमता वाले गंभीर बांध में अब 1226 एमसीएफटी पानी है।
इतना कि डेड़ स्टोरेज का 100 एमसीएफटी पानी छोड़ दे तो शेष 1126 एमसीएफटी पानी शहर की दैनिक जरूरत 8 एमसीएफटी के मान से 140 दिन शहर में प्रदाय किया जा सकता है। इसका मतलब है शहरवासियों की पानी को लेकर चिंता घट गई है। वर्षाकाल समाप्त होने में अभी महीनेभर से अधिक समय शेष है और उज्जैन सहित आसपास में अच्छी बारिश की स्थिति अभी बनी हुई है।
उज्जैन और आसपास के इलाकों में अच्छी बारिश
शनिवार को भी उज्जैन सहित आसपास के क्षेत्र में अच्छी बरसात हुई। उज्जैन शहर में दिनभर में 24 मिलीमीटर बरसात हुई। इससे इस सीजन में अब तक हुई बरसात का आकड़ा बढ़कर 603 मिलीमीटर पहुंच गया। ये पूरे सीजन की औसत 906 मिलीमीटर बरसात से अभी काफी है।
शनिवार रात को एक बार फिर से तेज बरसात शुरू हो गई। इधर, इंदौर-देवास-उज्जैन में बरसात के असर से शिप्रा लगातार दूसरे दिन उफान पर बही। रामघाट के सारे मंदिर और छोटा पूल डूबा रहा। बड़े पुल से पानी पांच फीट नीचे बहा। दो दिन से रूक-रूक कर हो रही बरसात से उज्जैन का दिन का पारा 32.4 डिग्री से लुढ़ककर 28.5 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है।
सुबह और शाम का मौसम लगभग एक समान है। अधर, बरसात के कारण रामघाट पर पहुंच मार्ग पर स्थित एक जर्जर भवन की दीवारें ढह गई। यहां बता दें कि कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने कई मर्तबा जर्जर भवन हटाने के निर्देश दिए थे। शनिवार को जो भवन ढहा, वह महाकाल सवारी मार्ग पर स्थित है।
अभी एक दिन छोड़कर ही जल प्रदाय
शहर में नगर निगम अभी एक दिन छोड़कर ही शहर में जल प्रदाय करेगा। ये स्थिति तब तक रहेगी जब तक बांध अपनी पूर्ण क्षमता से नहीं भर जाता। मालूम हो कि इस वर्ष 1 अप्रैल से शहर में एक दिन छोड़कर नगर निगम जल प्रदाय कर रहा है।
उज्जैन को पानी के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए नगर निगम ने इस साल भी कोई प्रबंध नहीं किया है। मतलब, न बांध की बारिश का जल संग्रहण क्षमता बढ़ाई है ना शिप्रा नदी और किसी अन्य मुख्य तालाब की।
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