मुरैना। सड़क हादसे में घायल हुई कृष्णा पत्नी राजू राजपूत को जिला अस्पताल के डाक्टर ने ग्वालियर रेफर कर दिया। कृष्णा के स्वजन ने एंबुलेंस की और जैसे ही यह एंबुलेंस अस्पताल से बाहर निकली तो ड्राइवर व उसके सहायक ने कृष्णा के पति व स्वजन को यह कहते हुए डराना शुरू किया, कि इनकी हालत बहुत खराब है, सरकारी अस्पतालों की स्थिति तो जानते ही हो, वहां समय पर दवाई तक नहीं मिलेगी।
इसके बाद एंबुलेंस चालक की बातों से डरे स्वजन उससे ही अच्छे अस्पताल की जानकारी पूछने लगे। इसके बाद ड्राइवर ने जिला अस्पताल से 500 मीटर दूर मुरैना के ही एक निजी अस्पताल में एंबुलेंस खड़ी कर मरीज को वहां भर्ती करवा दिया।
मुरैना जिला अस्पताल में 22 प्राइवेट एंबुलेंस
यह तो केवल एक उदाहरण है, मुरैना जिला अस्पताल में ऐसी 22 प्राइवेट एंबुलेंस है, जिनके संचालक अपने कमीशन के लिए मरीजों को निजी अस्पतालाें में बेच रहे हैं। एंबुलेंस के एक पूर्व ड्राइवर ने बताया, कि मरीज ले जाने के एवज में मुरैना के तीन निजी अस्पताल ऐसे हैं, जो मरीज के बिल की 25 से 30 फीसद राशि बतौर कमीशन देते हैं। वहीं ग्वालियर का एक निजी अस्पताल मरीज के बिल की 40 फीसद तक राशि एंबुलेंस संचालक को दे रहा है।
मुरैना के एक निजी अस्पताल ने तो चार एंबुलेंस खरीदकर उन दलालों को दे दी हैं, जो अस्पताल में रेफर होने वाले मरीजों की तलाश में दिनभर रहते हैं। यह दलाल इतने बेखौफ और निडर हैं, कि सरकारी एंबुलेंस से जाने वाले मरीज को जबरदस्ती अपनी प्राइवेट एंबुलेंस में रखते हैं, फिर निजी अस्पताल ले जाते हैं। इन हालातों को लेकर नईदुनिया संवाददाता ने सीएमएचओ डाॅ. पदमेश उपाध्याय और सिविल सर्जन डाॅ. जीएस तोमर से पूछा तो दोनों जिम्मेदार एक शब्द भी बोलने को तैयार नहीं हुए।
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