कोलकाता रेप-मर्डर केस: ड्यूटी पर वापस लौटें डॉक्टर, 36-48 घंटे की शिफ्ट ठीक नहीं, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी

कोलकाता रेप और मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. CJI की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से डॉक्टरों से काम पर वापस लौटने की अपील की. कोर्ट ने सभी डॉक्टर अपने अपने काम पर वापस लौट जाएं. लोग उनके वापस लौटने का इंतजार कर रहे हैं. अगर वो अपने काम पर नहीं लौटते तो कैसे काम चलेगा?

चीफ जस्टिस ने ये भी कहा कि डॉक्टरों की 36-48 घंटे की ड्यूटी सही नहीं है. शीर्ष अदालत ने कोलकाता रेप मर्डर केस में स्वत: संज्ञान लिया है. सीबीआई और कोलकाता पुलिस ने आज यानी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है. सीबीआई ने सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल की है. सीबीआई ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कोलकाता पुलिस की ओर से गई लापरवाही का जिक्र किया है. संदेह के आधार पर जिन लोगों से पूछताछ की गई है उनका भी ब्यौरा स्टेटस रिपोर्ट में दिया गया है.

इसके साथ ही जांच एजेंसी ने घटनास्थल को सुरक्षित नहीं किए जाने की बात भी रिपोर्ट में दाखिल की है. कोलकाता में मौजूद सीबीआई की एक टीम ने एडिशनल डिटेक्टर और डीएसपी के नेतृत्व में इस रिपोर्ट को तैयार किया है. वहीं, कोलकाता पुलिस ने भी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है. कोलकाता पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में सफाई पेश की है. कोलकाता पुलिस ने सीबीआई के लापरवाही के आरोपों को गलत बताया है.

सुनवाई के दौरान क्या क्या हुआ?

  • सीबीआई की तरफ से पेश तुषार मेहता ने कहा कि कोलकाता में मौके पर छेड़छाड़ हुई. केस की लीपापोती करने की कोशिश की गई. अंतिम संस्कार के बाद एफआईआर दर्ज हुई. अस्पताल प्रशासन उदासीन रहा. वारदात पर पर्दा डालने की कोशिश की गई. घटनास्थल को संरक्षित नहीं किया गया. घटना की सूचना परिजन को देर से दी गई. परिवार को हत्या की नहीं सुसाइड की बात कही गई. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई. SC ने पूछा घटनास्थल को संरक्षित क्यों नहीं किया गया? FIR देर से दर्ज क्यों की गई? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच के नियमों की अनदेखी की गई. अस्पताल प्रशासन ने एक्शन नहीं लिया. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सीबीआई और राज्य के रिकॉर्डों में अंतर क्यों है?
  • वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने कहा मैं आरजी कर जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की ओर से पेश हुई हूं. उन्हें प्रशासन के सदस्यों, अस्पताल के लोगों द्वारा धमकी दी जा रही है. वरिष्ठ वकील करुणा नंदी ने कहा कि हां, मैं कोलकाता में डॉक्टरों के लिए पेश होती हूं. वहां गुंडे हैं. सीजेआई ने कहा यह गंभीर बात है, हमें नाम बताएं, हम इस पर ध्यान देंगे.
  • सीजेआई ने पूछा आरोपी की मेडिकल जांच रिपोर्ट कहां है? एसजी ने कहा कि हमें यह नहीं दी गई है. सिब्बल ने कहा कि यह केस डायरी का हिस्सा है और प्रस्तुत किया गया है. एसजी ने कहा कि हमने 5वें दिन घटनास्थल पर प्रवेश किया और सीबीआई जांच शुरू करना एक चुनौती है और अपराध स्थल बदल दिया गया है. सिब्बल ने कहा बेजा आरोप नहीं लगाएं. एसजी ने कहा कि दाह संस्कार के बाद रात 11:45 बजे पहली एफआईआर दर्ज की गई, फिर उन्होंने माता-पिता को बताया कि यह आत्महत्या है, फिर मौत और फिर अस्पताल में डॉक्टर के दोस्तों ने वीडियोग्राफी पर जोर दिया और इस तरह उन्हें भी संदेह हुआ कि कुछ गड़बड़ है.
  • सीजेआई ने कहा कि अगर आप हमारे आदेश को देखें तो हमने वास्तव में एक ही पहलू पर प्रकाश डाला है कि सार्वजनिक अस्पतालों की एक पदानुक्रमित प्रकृति है और जूनियर डॉक्टर केवल यौन उत्पीड़न ही नहीं, बल्कि विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं. हमें बहुत सारे ईमेल मिले हैं और हमारे पास बाढ़ आ गई है, 48 या 36 घंटे की ड्यूटी अच्छी नहीं है.
  • नागपुर एम्स के रेजिडेंट्स डॉक्टर ने अर्जी दाखिल कर कहा कि विरोध के कारण अब उनपर हमला हो रहा है. उन्हें परीक्षा भी नहीं देने दिया जा रहा है. सीजेआई ने कहा कि अगर डॉक्टर ड्यूटी पर हैं तो उन्हें अनुपस्थित नहीं माना जाएगा लेकिन अगर वो ड्यूटी पर नहीं हैं तो कानून का पालन किया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नही करेगा. उसके बाद कोई परेशानी होती है तो कोर्ट आ सकता है. कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर अपने काम पर वापस लौटे. अगर काम पर वापस नहीं लौटते है तो सार्वजनिक प्रशासनिक ढांचा कैसे चलेगा. ANF में डॉक्टर शामिल होंगे क्योंकि रेसिडेंट डॉक्टर को आश्वस्त करें कि उनकी बात नेशनल टास्क फोर्स द्वारा सुनी जाएगी.
  • सीजेआई ने कहा कि हम जानते हैं कि डॉक्टर 36 घंटे काम कर रहे हैं. जब मेरे परिवार के सदस्य बीमार थे तो मैं खुद अस्पताल के फर्श पर सोया हूं.
  • दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने कहा कि हम 110 साल पुरानी एसोसिएशन हैं. सीजेआई ने कहा कि क्या हम कुछ सुझाव दे सकते हैं? यदि आप सभी विभिन्न बॉडी के लिए हस्तक्षेप कर रहे हैं तो नामों और प्रतिनिधित्व करने वाले निकाय की एक पर्ची दे सकते हैं, तो हम इसे क्रम में रखेंगे और हम कहेंगे कि टास्क फोर्स सभी के साथ जुड़ने के लिए कदम उठाए.
  • सुप्रीम कोर्ट ने फिर प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से काम पर वापस लौटने की अपील की. CJI ने कहा कि एक बार जब डॉक्टर काम पर लौट आएं तो प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी. हमारा जनरल आदेश तभी लागू होगा.
  • दिल्ली मेडिकल संघ ने कहा कि हमने इसी मसले पर दो साल पहले जनहित याचिका दायर की थी. सीजेआई ने कहा कि जिन संघों की ओर से आवेदन दाखिल किया गया है. मेरा कहना ये है कि टास्क फोर्स इस पर रिपोर्ट तैयार करेगी. वही इस पर गौर करेगी.
  • एसजी तुषार मेहता ने कहा कि इस अदालत के आश्वासन से डॉक्टरों को संतुष्ट होना चाहिए. सीजेआई ने कहा कि डॉक्टरों, नर्सों और पैरा मेडिकल स्टाफ के प्रतिनिधियों को टास्क फोर्स सुनेगी. उनकी राय लेगी. सभी पक्षों की राय ली जाएगी. यह बहुत जरूरी है.
  • पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने भी परेशानी बताई. डॉक्टर संघों ने कहा कि हमारी सुनवाई नहीं हो रही थी तो हम प्रदर्शन कर रहे थे. सीजेआई ने कहा कि आप लोग काम पर लौटें. हम एक सामान्य आदेश देंगे. आदेश में कहा गया कि डॉक्टर ड्यूटी पर लौटैं तो उनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाए.
  • एम्स डॉक्टर संघ ने कहा कि हमें परेशान किया जा रहा है. हम प्रदर्शन पर थे. सीजेआई ने कहा कि आप अगर ड्यूटी पर हैं तो ठीक, अगर नहीं हैं तो कानून अपना काम करेगा. आप पहले काम पर वापस जाइए.

अभी तक सिर्फ एक आरोपी की गिरफ्तारी

सीबीआई ने पिछले 6 दिन में दो लोगों से लगातार पूछताछ की है. पहला मुख्य आरोपी संजय रॉय है तो दूसरा पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष हैं. सीबीआई ने अस्पताल में जाकर सभी फोरेंसिक जांच की और सबूत इकट्ठा करने की कोशिश की. सीबीआई के सीएफएसएल टीम के 5 डॉक्टर्स ने संजय रॉय का साइक्लोजिकल टेस्ट किया यानी उसकी मानसिक स्थिति जानने की कोशिश की, जिसकी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई. ये टेस्ट इस लिए करवाया गया ताकि जांच एजेंसी ये सुनिश्चित कर सके कि क्या आरोपी संजय रॉय के बयानों पर विश्वास किया जा सकता है.

सीबीआई ने इस एंगल पर भी जांच की कि क्या वारदात में अकेले संजय रॉय शामिल था या एक से ज्यादा आरोपी. सीबीआई ने अस्पताल यानी क्राइम सीन कई बार विजिट किया और एक्सपर्ट्स के साथ सैंपल इकट्ठे किए, साथ ही स्पॉट की मैपिंग भी की गई. अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज जिसमें वारदात से पहले और बाद में आरोपी संजय रॉय की मूवमेंट देखी गई, उसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई.

क्राइम सीन पर बहुत सारे फुटप्रिंट्स मिले हैं, क्योंकि हत्या के बाद क्राइम सीन को सुरक्षित नहीं रखा गया. इसके अलावा आसपास रेनोवेशन हुआ जिस वजह से काफी एविडेन्स डिस्ट्रॉय होने का शक है.

पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को लेकर सीबीआई इन एंगल पर जांच कर रही है-

-संदीप घोष ने जल्दबाजी में परिवार को क्यों कहा कि उनकी बेटी ने सुसाइड कर लिया है?

-क्या जानबूझकर इस तरह की बात कही गई जिससे हत्या को छुपाया जा सके, सबूत मिटाए जा सकें.

-आखिर क्यों पुलिस को जानकारी देने से पहले संदीप घोष ने अस्पताल स्टाफ के साथ मीटिंग की?

-पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने तुरंत इस्तीफा देकर कही और ज्वॉइनिंग क्यों की?

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