मंदिर या मस्जिद ! साल में सिर्फ एक बार हिंदुओं को पूजा करने का अनुमति…चप्पे चप्पे पर रहेगी पुलिस तैनात
विदिशा : मध्यप्रदेश के विदिशा जिला मुख्यालय स्थित सूर्य मंदिर (विजय मंदिर) में आज नागपंचमी के मौके पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की बीच पूजा अर्चना की जाएगी। आधिकारिक जानकारी के अनुसार एएसआई के निर्देशानुसार साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी को इस परिसर के अंदर सामान्य जन को आने की अनुमति है। यहां मेले का आयोजन और कुश्ती दंगल का आयोजन भी होता है। वहीं एएसआई की ओर से बीजा मंडल को मस्जिद बताए जाने से हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई हैं। हिंदू संगठनों का दावा है कि 1682 में मुगल शासक औरंगजेब ने विजय मंदिर को मस्जिद में बदल दिया था।
दरअसल, अनेक वर्षों से नागपंचमी पर बंद ताले में यह पूजा होती है। इस बार हिंदूवादी संगठनों ने नागपंचमी के अवसर पर कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य को एक ज्ञापन सौंपकर ताले खोलने की मांग की थी जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया है। इसके बाद कलेक्टर ने उनकी याचिका भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई को भेज दी थी। जिसने 2 अगस्त को 1951 के गजट अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि बीजामंडल मंदिर नहीं, बल्कि मस्जिद थी।
यही वजह है कि आज कड़ी सुरक्षा के बीच पूजा अर्चना की गई। पुलिस और जिला प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल यहां तैनात किया है। सीएसपी स्तर के अधिकारी के साथ ही एसडीएम भी यहां सुबह से तैनात किए गए हैं। दो से तीन थानों का पुलिस बल भी यहां तैनात है।
स्थानीय इतिहासकार गोविंद देवलिया और अरविंद शर्मा ने बताया कि इस स्थान पर पूजा अर्चना की एक पुरानी परंपरा चली आ रही है, इस बार ताला खोलने की मांग कलेक्टर से की गई थी। कलेक्टर विदिशा ने बताया कि बंद ताले के बाहर से सूर्यदेव की पूजा और दर्शन की जो परंपरा अब तक चल रही है, वही रखते हुए उसकी अनुमति दी गई है। उन्होंने हिंदूवादी संगठनों की मांग पर अन्य कोई परिपाटी प्रारंभ करने से इंकार किया है। आज शाम पांच बजे यहां पुलिस के पहरे में पूजा की जाएगी।
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