बिना छत का मंदिर, टूटी मूर्तियां, बनवाने की कोशिश करने वाले को ईश्वर की कृपा नहीं… मिलती है मौत

मंदिर या देवालय जिसका नाम सुनते ही भक्तों का सिर श्रद्धा से अपने आप झुक जाता है. भक्त मंदिरो में आस्था और विश्वास लेकर जाते हैं और अपनी-अपनी मन्नतें मांगते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में एक ऐसा भी मंदिर, जिसकी छत डलवाने वाले को ईश्वर की कृपा नहीं बल्कि मौत मिलती है. औरैया जिले के दिबियापुर थाना के सेहुद गांव में एक प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का नाम धौरा नाग है. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में छत डलवाने वाले भक्त की मौत हो जाती है. इस मंदिर में घुसते ही खंडित मूर्तियां पड़ी हुई हैं. ये मूर्तियां 11 वीं सदी में मोहम्मद गजनवी के मंदिरों के तोड़-फोड़ का प्रतीक हैं. इन मूर्तियों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंदिर कितना पुराना है? इस मंदिर की प्राचीनता की कहानी अपने आप में हैरान करने वाली है.

अपनी ओर खींचता है ये मंदिर

कमरे की तरह दिखने वाले इस मंदिर को जब ध्यान से देखते हैं तो ऐसा लगता है मानों मंदिर अपनी तरफ खींच रहा है. जब इस मंदिर में अंदर पहुचें तो वहां एक कोने में खण्डित पड़ी मूर्तियां तो हैरान करती ही हैं, सबसे ज्यादा हैरान करती है इस मंदिर में छत का न होना.

मंदिर में नहीं है छत

इस मंदिर में छत न होना अपने आप में हैरान करने वाला है. सबसे डरावना ये है कि इस मंदिर में छत डलवाने के बाद वो छत टिकती नहीं है, गिर जाती है. हैरान करने वाली बात ये है कि, जिस शख्स के द्वारा मंदिर की छत डलवाई जाती है, उसकी कुछ समय के बाद मौत हो जाती है. यह एक कहानी नहीं बल्कि हकीकत है.

इंजीनियर के घर में दो की मौत

कुछ समय पहले इसी गांव के एक इंजीनियर के साथ ऐसी घटना हुई है. इंजीनियर लखनऊ में नौकरी करता था. उसने इस मंदिर में छत डलवाने की कोशिश की थी, लेकिन कुछ समय बाद ही उसके घर में दो लोगों की मौत हो गई. इसके साथ ही इस मंदिर की कोई भी चीज जैसे ईंट या कोई अन्य चीज अपने साथ ले गया तो उसे कुछ समय बाद वापस लौटाना पड़ा है. धौरा नाग मंदिर में सिर्फ नागपंचमी के दजिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

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