दिल्ली में MCD में एल्डरमैन की नियुक्ति के अधिकार को लेकर पिछले साल से ही दिल्ली सरकार और एलजी के बीच घमासान छिड़ा हुआ है. दिल्ली सरकार का कहना था कि एल्डरमैन की नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार को है, आम आदमी पार्टी इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई थी, जिसके बाद अब सोमवार यानी 5 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अपना फैसला सुनाएगी.
आम आदमी पार्टी और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच रिश्ते हमेशा तीखे नजर आते हैं, पिछले साल 17 मई को एलजी और दिल्ली सरकार के बीच एल्डरमैन को लेकर बहस छिड़ गई थी. दिल्ली सरकार का कहना था कि एलजी ने MCD में 10 एल्डरमैन (मनोनीत पार्षद) बिना कैबिनेट के साथ बातचीत किए नियुक्त कर दिए, जिसके बाद पिछले साल दिल्ली सरकार इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट लेकर गई थी.
15 महीने से फैसला सुरक्षित
दिल्ली की केजरीवाल सरकार का कहना था कि पहले भी दिल्ली में एल्डरमैन की नियुक्ति चुनी हुई सरकार करती रही है, अभी भी ये सरकार का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में इस मामले की सुनवाई करके फैसला सुरक्षित रख लिया था, यानी लगभग 15 महीने से अधिक फैसला रिजर्व करने के बाद सुप्रीम कोर्ट अब 5 अगस्त को इस मामले पर अपना फैसला सुनाएगी.
दिल्ली सरकार ने याचिका में क्या कहा
इस मामले पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच फैसला सुनाएगी. दिल्ली सरकार ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में दावा किया कि 1991 में संविधान के अनुच्छेद 239AA के लागू होने के बाद यह पहली बार है कि निर्वाचित सरकार को पूरी तरह से दरकिनार करके एलजी ने एल्डरमैन का नामांकन किया. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मार्च में इस मामले में दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना से जवाब मांगा था.
CJI ने की थी टिप्पणी
पिछले साल सुनवाई के दौरान ही सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की थी कि एलजी के एल्डरमैन को नियुक्त किए जाने से एमसीडी के लोकतांत्रिक तरीके से काम करने में अस्थिर हो सकती है. हालांकि, मई 2023 में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, अधिवक्ता शादान फरासत और नताशा माहेश्वरी दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए थे और एडिशिनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन एलजी की ओर से पेश हुए थे.
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