झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राज्य की सत्ता में वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. गृह मंत्री अमित शाह हाल में रांची का दौरा किए थे, जहां से उन्होंने मिशन विधानसभा चुनाव का आगाज किया. अब इस बीच जानकारी सामने आई है कि पार्टी राज्य में मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं करेगी. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी.
बीजेपी ने तय किया है कि इस बार बीजेपी राज्य के अपने बड़े और कद्दावर नेताओं को भी चुनाव लड़ाएगी. इसमें वो नेता भी शामिल हैं जो इस बार लोकसभा का चुनाव हार गए थे. लोकसभा चुनाव की तरह बीजेपी झारखंड में भी अपने विधानसभा उम्मीदवारों के नाम का ऐलान जल्द करेगी, ताकि उम्मीदवारों को प्रचार का पूरा समय मिल सके. साथ ही उम्मीदवार को लेकर अगर कोई जमीनी नाराजगी हो तो उसको समय रहते दूर किया जा सके.
आदिवासी सीटों पर पूरा जोर
बीजेपी आदिवासी जनजातियों मसलन संथाल, ओरांव, हो , मुंडा जनजाति बहुलता वाली सीटों पर अलग-अलग रणनीति तैयार करेगी. इन सीटों पर इन जनजातियों से आने वाले राज्य और प्रदेश के बड़े नेताओं को चुनाव प्रचार में उतारेगी. बीजेपी हेमंत सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे को जोर शोर से उठाएगी.
पार्टी का मानना है कि हेमंत सोरेन के जेल से आने और फिर सीएम बनने से जो थोड़ी बहुत सहानुभूति अगर रही होगी तो वो भी खत्म हो गई है. इसमें चंपई सोरेन को सीएम पद से हटाने को लेकर पार्टी के एक तबके में नाराजगी भी है. बीजेपी बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण झारखंड के डेमोग्राफिक बदलाव को भी चुनावी मुद्दा बनाएगी. बांग्लादेशी लड़कों द्वारा झारखंड की आदिवासी लड़कियों से शादी के बाद उनकी जमीन को हड़पने के मुद्दे को भी जोर शोर से बीजेपी उठाएगी.
झारखंड में विधानसभा की 81 सीटें है. विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 41 है. 2019 के चुनाव में JMM ने बाजी मारी थी. सोरेन की पार्टी को राज्य की 30 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को 16 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं बीजेपी 25 सीटें ही जीत पाई थी.
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