असामाजिक कार्यों के प्रति जागरूकता का संदेश दे रही है पुलिस
राष्ट्र चंडिका न्यूज़,नरसिंहपुर – पवित्र नगरी बरमान में यूं तो प्रदेश सरकार द्वारा काफी पहले ही शराब के विक्रय पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है बावजूद इसके काफी लंबे समय से बरमान व उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध रूप से काफी लंबे समय से शराब बेची जा रही है । प्रदेश सरकार जहां एक और नशा मुक्ति और नशे के खिलाफ बड़े-बड़े अभियान चला चुकी है और स्थानीय स्तर पर भी अनेक स्तरों पर नशे के दुष्प्रभाव को लेकर लोगों में जागरूकता का संदेश भी दिया जा रहा है, बावजूद इसके बरमान में अवैध रूप से शराब बेची जा रही है । शराब की इस बिक्री को लेकर दिलचस्प और महत्वपूर्ण बात यह है कि अवैध रूप से बेची जा रही इस शराब को मनमाने दामों पर बेचे जाने को लेकर सुरा प्रेमियों में काफी असंतोष दिखाई दे रहा है । आमतौर पर जब भी पवित्र नगरी बरमान में अवैध रूप से शराब बिक्री की बात आती है तो दबी जुबान लोग शराब को प्रिंट रेट से अधिक में बेचे जाने की शिकायत करते पाये जाते हैं । ऐसे में महत्वपूर्ण यह हो जाता है कि जिस तरह से अवैध रूप से जो भी व्यक्ति बरमान सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में अवैध रूप से शराब बिकवा रहे हैं उनको जनता की जेब का ध्यान रखते हुए शराब को मनमाने दामों पर नहीं बेचा जाना चाहिये । पुलिस भी लगातार सामाजिक रूप से अवैध गतिविधियों व कार्यों सहित अवैध शराब बिक्री के खिलाफ व्यापक स्तर पर मुहिम छेड़े हुए हैं बावजूद इसके जागरूक क्षेत्रीय जन अवैध रूप से बिक रही शराब को लेकर कहीं कोई शिकवा और शिकायत नहीं करते हैं । आम चर्चाओं में कोई शिकायत सामने आती हैं तो वह केवल यह की शराब को प्रिंट रेट से अधिक पर बेचा जा रहा है । मिली जानकारी अनुसार प्रदेश सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व का बड़ा हिस्सा शराब की बिक्री व टैक्स से प्राप्त होता है ऐसे में जिम्मेदारी बतौर आबकारी विभाग को यह देखना चाहिये कि ₹85 का पव्वा ₹120 में और बियर 50 रुपये अधिक सहित अन्य शराब को मनमाने दामों पर बेचा जा रहा है ऐसे में कहीं ना कहीं इस तरह से जो मनमाने दाम पर शराब बेची जा रही है इसका लाभ न तो सरकार को राजस्व के रूप में मिल रहा है और न ही शराब पीने वाली आम जनता को, आखिर यह किसकी जेब में जा रहा है यह भी बड़ा यक्ष प्रश्न है । अंततः कहा तो यही जा सकता है कि जब नर्मदा तटीय क्षेत्रों में शराब को बेचने पर रोक तो लगाई नहीं जा रही है और अगर किसी सिस्टम के तहत शराब बेची भी जा रही है तो इसे प्रिंट रेट्स से अधिक रेट्स पर बेचकर सुरा प्रेमियों की जेब ढीली की जा रही है तो इसकी सारी जिम्मेदारी आबकारी विभाग की है और उसे इसपर रोक लगाना चाहिये ।