ढाई दशक पहले आई फिल्म यशवंत में एक डायलॉग था एक मच्छर आदमी को… खैर मच्छर तो ऐसा नहीं कर सका लेकिन एक बग के चलते शुक्रवार को पूरी दुनिया थम गई. पश्चिम से पूरब तक, उत्तर से दक्षिण तक कोलाहल मच गया. हवाई अड्डे से लेकर अस्पतालों तक को इस झंझावात का सामना करना पड़ा. ऐसा पहली बार हुआ, जब दुनिया भर में विंडोज पर काम करने वाले सभी आईटी सिस्टम, कंप्यूटर और लैपटॉप पल में काम निपटाने वाले सॉफ्टवेयर बंद हो गए.
एक दोषपूर्ण अपडेट के कारण 19 जुलाई को विश्व भर में विंडोज पर चलने वाले सिस्टम और सर्वर ठप हो गए. उनमें तथाकथित ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ प्रदर्शित होने के कारण बूटलूप की स्थिति उत्पन्न हो गई. इससे विश्व भर में विमानन, बैंकिंग, दूरसंचार, अस्पताल, टीवी चैनल और अन्य कम्पनियां बाधित हो गईं.
किस अपडेट से मचा बवाल?
यह अपडेट ऑस्टिन, टेक्सास स्थित साइबर सुरक्षा फर्म क्राउडस्ट्राइक द्वारा विकसित फाल्कन एंडपॉइंट का हिस्सा था. इसके चलते विंडोज यूजर्स को दुनियाभर में मुसीबत का सामना करना पड़ा. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा, लेकिन हमारा हुनर यही है कि संकट से निपटने में हम देरी नहीं करते. आधुनिक तकनीक ने जवाब दे दिया तो क्या, हमने मैनुअल सेवाएं देने में देरी नहीं की. जबकि पश्चिमी देशों में सभी जरूरी सेवाएं करीब-करीब ठप पड़ गईं. हवाई अड्डे पर उड़ानें रुक गईं, रेलों का परिचालन रुक गया. अस्पतालों में ऑपरेशन रुक गए, बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो गईं और जाने क्या-क्या.
भारतीयों ने क्या क्या सोचा?
सवाल ये है कि धरती पर रहने वाले मानवों को तेजी के काम करने वाले सिस्टम और सॉफ्टवेयर पर कितना निर्भर होना चाहिए? जबकि पूरी तरह से निर्भर होने वाले देशों के हालात को देखकर भारतीयों के मन में एक सपाट जवाब आता है काम मैनुअल होना चाहिए. इसके उलट प्रबंधन विशेषज्ञों का कहना है कि मैनुअल कामकाज में गलतियों की गुंजाइश ज्यादा रहती है और काम धीमे होता है. दोनों ही तर्क स्थितियों के हिसाब से सही और वाजिब हैं.
ऐसे में मेरी सलाह है कि विकसित होती दुनिया के बीच अगर एक बग के चलते पनपी मुसीबत से पूरी दुनिया की मानवजाति डर जाएगी तो फिर आकाशगंगा के रहस्यों और चांद, मंगल ग्रह की धरती पर जाने के बारे में सोचना भी दुरुह होगा. इसलिए असल में जरूरत है संयम, विवेक से असली कारण पता लगाने की.
क्या होता है बग? जानें विस्तार से
बग क्या होता है, आज के दौर में बच्चे भी जानते हैं फिर भी उसकी वास्तविकता से परिचय करा देता हूं. कंप्यूटर बग शब्द का जन्म एक वास्तविक जीवन के कीट से हुआ था. सिस्टम में तकनीकी खराबी पैदा करने वाले बग का पहला मामला वर्ष 1947 में दर्ज हुआ था. जब हावर्ड यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर मार्क-2 ऐकेन रिले कैलकुलेटर पर काम कर रहे इंजीनियरों को मशीन के हार्डवेयर में एक कीट यानी बग मिला था, जो विद्युत दोष पैदा कर रहा था. इससे सिस्टम का सामान्य संचानल प्रभावित और बाधित हो रहा था.
अमेरिकी नौसेना में रियल एडमिरल और कंप्यूटर वैज्ञानिक ग्रेस हॉपर को इस शब्द को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है. वह उस टीम का हिस्सा थीं, जिसने बग की खोजकर कंप्यूटर की लॉगबुक में एकर नोट के साथ चिपका दिया, जिसमें लिखा था कीट पाए जाने का पहला वास्तविक मामला. इसकी छवि यूएस नौसेना के इतिहास में है. हालांकि यह भी माना जाता है कि सिस्टम में बग की अवधारणा इस घटना से पहले की है. प्रसिद्ध अविष्कारक थॉमस एडिसन ने 19वीं सदी के अंत में अपने काम में तकनीकी खराबी के जिक्र के लिए बग शब्द का इस्तेमाल किया था. ऐसा उल्लेख प्रिंसटन के थॉमस एडिसन पेपर्स में किया गया है.
बग को लेकर आम धारणा
बग शब्द के बारे में कई आम गलतफहमियां हैं. एक मिथक यह भी है कि यह शब्द टेलीफोन लाइन पर होन वाली आवाज से उत्पन्न हुआ है जो कथित तौर पर कॉकरोच की आवाज की याद दिलाता है. हालांकि इसे काफी हद तक खारिज कर दिया गया है. एक व्यपाक भ्रम यह है कि बग शब्द बगबियर या बगाबू से लिया गया है, जो शब्द ऐतिहासिक रूप से दुर्भावनापूर्ण आत्माओं या हॉबगोब्लिन को संदर्भित करते हैं. इसमें बारे में माना जाता है कि वे मशीनरी के साथ समस्याएं पैदा करते हैं. हालांकि बग शब्द को इनसे जोड़ने का कोई सबूत नहीं है.
असल कहानी ये है कि जैसे कीट आपके घर में घुसपैठ कर परेशानी पैदा करता है. उसी तरह एक सॉफ्टवेयर में बग आपके कोड में घुसपैठ करता है और परेशानी के साथ बड़ी क्षति का कारण बनता है. यह कहना गलत नहीं होगा कि मामूली परेशानी से शुक्रवार को हुई बड़ी घटना और सॉफ्टवेयर के विनाश का कारण बग बन होते हैं. लेकिन यह बग कहां से आते हैं.
बग के क्या होते हैं खतरे?
दरअसल यह सॉफ्टवेयर डिजाइन या कोडिंग प्रक्रिया के दौरान होने वाली मानवीय भूल का नतीजा है. इन कोड खामियों का पता लगाने और उन्हें ठीक करने की प्रक्रिया को उपयुक्त रूप से डिबगिंग नाम दिया गया है. डिबगिंग सॉफ्टवेयर विकास प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. डेवलपर्स इन बग्स को खोजने, अलग करने और ठीक करने के लिए विभिन्न तरीकों, तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करते हैं. जैसे प्रिंट स्टेटमेंट, इंटरैक्टिव डिबगर्स और परिष्कृत एकीकृत विकास वातावरण (आईडीईएस). उम्मीद है आप बग के खतरों और उसके बारे में समझ गए होंगे. अब आता हूं शुक्रवार को मचे कोलाहल पर, जब एक बग ने पूरी दुनिया को चौंकने पर मजबूर कर दिया.
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने क्या कहा?
माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार जैसे कोविड महामारी में वायरस शरीर के भीतर अपनी संख्या में तेजी से इजाफा करता था. वैसे ही एक बग ने त्रुटियों को इतना बढ़ा दिया कि संभालना मुश्किल हो गया. कई देशों में माइक्रोसॉफ्ट 365 सेवाएं अभी भी प्रभावित हैं, हालांकि इस दौरान बग की पहचान माइक्रोसॉफ्ट के साथ काम करने वाली साइबर सुरक्षा कंपनी क्राउडस्ट्राइक ने की. उन्होंने कहा कि समस्या के कारण की पहचान कर ली गई है और इस पर काम किया जा रहा है. तब तक भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (सर्ट-इन) भी उनसे संपर्क साध चुका था और कारण पता लगते ही उसने एडवाइजरी जारी की, जिससे बचाव हो सका.
1-पहले विंडोज़ को सेफ मोड या विंडोज़ रिकवरी एनवायरनमेंट में बूट करना होगा.
2-इसके बाद उन्हें C:\Windows\System32\drivers\CrowdStrike डायरेक्टरी पर जाना होगा.
3-इसके बाद उन्हें C-00000291*.sys फाइल ढूंढनी होगी और उसे डिलीट करना होगा.
4-अंत में आपको अपने सिस्टम को सामान्य रूप से पुनरारंभ करना होगा.
केंद्र सरकार ने दिया भरोसा
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भरोसा दिया है कि सर्ट-इन जल्द ही इस संबंध में सलाह जारी कर रहा है. जल्द ही समाधान का रास्ता निकलेगा. उन्होंने सोशल मीडिया में जारी किए गए संदेश में यह भी कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय पूरी तरह से हालात पर नजर बनाए हुए है. माइक्रोसॉफ्ट और उसके सहयोगियों से लगातार संपर्क में है. माइक्रोसॉफ्ट सर्वर के ठप हो जाने की पहचान कर ली गई है और समस्या के समाधान के लिए अपडेट जारी कर दिए गए हैं.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.