मुरैना। बारिश के दिनों में मुरैना जिले के कईयाें गांवों में अंतिम संस्कार करना बड़ी परेशानी बन गया है। कहीं मुक्तिधाम ही नहीं, कहीं मुक्तिधाम तक पहुंचने वाला रास्ता कीचड़ में है, तो कहीं श्मशान ही जलमग्न है। ताजा मामला जौरा तहसील के हड़बांसी गांव का है, जहां अंतिम संस्कार से पहले ग्रामीणाें को श्मशान के टूटे-फूटे टिनशेड काे सही करना पड़ा, जिससे बारिश में चिता की आग न बुझे। इसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया।
हड़बांसी गांव में गुरुवार की सुबह एक बुजुर्ग का लंबी बीमारी के कारण निधन हो गया। बुजुर्ग के शव को दोपहर में अंतिम संस्कार के लिए गांव से बाहर मुक्तिधाम में ले जाया गया, इसी दौरान हल्की-हल्की बारिश शुरू हो गई। आसमान में घने काले बादल छा गए, जिसे देख तेज बारिश की आशंका लगने लगी।
श्मशान के जिस चबूतरे पर टिनशेड के नींचे अंतिम संस्कार होना था, उसका टिनशेड बीचोंबीच से बुरी तरह जर्जर था। टिनशेड की आधा दर्जन से ज्यादा टिनें नहीं थीं, जिस कारण बारिश का पानी चबूतरे पर आ रहा था। ऐसे में शव का अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो गया। इसके बाद ग्रामीणों ने खुद ही जर्जरहाल टिनशेड की मरम्मत की। घराें से टिन मंगवाए गए, उन्हें टूटे-फूटे टिनशेड में फिट गया गया, जिससे चबूतरे पर पानी आना बंद हुआ। करीब दो घंटे तक टिनशेड की मरम्मत चली, उसके बाद शव का अंतिम संस्कार हो सका।
जिला मुख्यालय के सबसे बड़े मुक्तिधाम की पक्की सड़क भी कीचड़ में तब्दील
मुरैना जिला मुख्यालय का सबसे पुराना और सबसे बड़ा मुक्तिधाम बड़ोखर गांव में है। इस श्मशान में सारी व्यवस्थाएं ठीक हैं, पहुंचने के लिए पक्की सीसी की सड़क है, लेकिन बड़ोखर रोड पर पानी की निकासी और साफ-सफाई की व्यवस्था पूरी तरह चौपट है।
सफाई नहीं होने से मिट्टी से पूरी सीसी सड़क दब चुकी है। बारिश का सीजन शुरू होते ही इस सड़क पर जलभराव होने लगा है, क्योंकि आसपास के सभी नाले-नालियां कचरे से जाम है। बारिश का पानी सड़क पर जमा होता है, जिससे मिट्टी कीचड़ के दलदल में बदल गई है।
यहां आधा फीट या उससे ज्यादा गहरा कीचड़ है। इस कीचड़ से होकर अंतिम यात्रा निकालनी पड़ रही है। स्थानीय निवासी बसंत जाटव ने बताया, कि कुछ दिन पहले इसी कीचड़ के कारण एक अर्थी को लेकर लोग गिर गए थे। हर रोज इसी कीचड़ से होकर शवाें की अंतिम यात्रा निकल रही हैं, लेकिन नगर निगम ने जल निकासी और कीचड़ से मुक्ति का कोई प्रबंध नहीं किया।
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