आज एक ऐतिहासिक दिन है. ओडिशा के प्राचीन जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार आज पूरे 46 साल बाद दोबारा खोला गया, अब सामने आएगा कि रत्न भंडार में कितना खजाना है. रत्न भंडार को खोलने के लिए राज्य सरकार ने 14 जुलाई, 1 बज कर 28 मिनट का समय तय किया गया था. जिसके बाद वो शुभ घड़ी आ गई जब यह रत्न भंडार खोला गया, इससे पहले रत्न भंडार का दरवाजा 1978 में खोला गया था. उस समय 367 गहने मिले थे, जिनका वजन 4,360 तोला था.
मंदिर का रत्न भंडार खोलने के लिए तैयारियां सुबह से ही की जा रही थीं. इसी के चलते रत्न भंडार के आभूषणों को रखने के लिए 6 संदूक पुरी पहुंच गए हैं, ये संदूक सागवान की लकड़ी से बने हैं और इनके अंदर धातु की परत चढ़ी हुई है. ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर के ‘रत्न भंडार’ को फिर से खोलने के लिए एक पैनल बनाया गया था. न्यायाधीश विश्वनाथ रथ को इस पैनल का अध्यक्ष बनाया गया था. उन्होंने रत्न भंडार के खोले जाने की जानकारी देते हुए कहा था कि, “जैसा कि तय किया गया था, पहले रत्न भंडार खोला जाएगा, फिर दोनों ‘भंडारों’ में रखे आभूषणों और कीमती सामानों को गर्भगृह के अंदर पूर्व-आवंटित कमरों में ले जाया जाएगा.
वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी
रत्न भंडार को खोलने को लेकर एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें रत्न भंडार को खोलने को लेकर निर्णय लिया गया था. बैठक में रत्नभंडार खोलने और आभूषणों की देखभाल करने का फैसला लिया गया था. बैठक में हुई चर्चा और ‘पुरोहितों’ और ‘मुक्ति मंडप’ के सुझावों के अनुसार, रत्न भंडार खोलने का सही समय दोपहर 1:28 बजे का रखा गया था. यह प्रक्रिया वीडियो रिकॉर्डिंग के दो सेटों के साथ की जाएगी और दो प्रमाणपत्र होंगे. हालांकि यह एक चुनौती से कम नहीं है क्योंकि पूरे 46 साल से दरवाजा नहीं खोला गया है और यह बात कोई नहीं जानता कि अंदर के क्या हालात है.
आम लोग नहीं कर सकेंगे प्रवेश
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरविंद पधी ने बताया कि समिति के रत्न भंडार में प्रवेश के दौरान मंदिर में अस्थायी प्रवेश प्रतिबंध लागू किए जाएंगे. सिर्फ सिंहद्वार गेट खुला रहेगा, जबकि सभी अन्य गेट बंद रहेंगे. एक पूर्वनिर्धारित सूची के अनुसार सिर्फ अधिकृत व्यक्ति और सेवक ही प्रवेश कर सकेंगे, आम लोग दाखिल नहीं हो सकेंगे. सभी समिति सदस्यों की सुरक्षा जांच की जाएगी, और पूरी प्रक्रिया को वीडियो रिकॉर्ड किया जाएगा.
कौन करेगा निगरानी
इस ऑपरेशन की निगरानी एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरविंद पधी करेंगे. इस टीम में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), एएसआई, रत्न भंडार से संबंधित सेवक, और प्रबंध सहित उच्च स्तरीय समितियों के सदस्य शामिल होंगे. रत्न भंडार का एक बार दोबारा खोला जाना एक महत्वपूर्ण कदम है.
क्या है रत्न भंडार
जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक धाम है, इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था. इस मंदिर में रत्न भंडार भी है. रत्न भंडार को भगवान का खजाना कहा जाता है. इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं भगवान जगन्नाथ, भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा के गहने रखे हैं. ये जेवरात कई राजाओं और भक्तों ने भक्ति के साथ समय-समय पर देवताओं को चढ़ाए थे, जिनको रत्न भंडार में रखा जाता रहा है.
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