केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके 25 जून की तारीख को संविधान हत्या दिवस घोषित कर दिया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस पर मुहर लगाई. गृहमंत्री ने अपनी पोस्ट में लिखा है, 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तानाशाही दिखाते हुए देश में आपातकाल लागू किया. भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंटा. बिना वजह लोगों को जेल में डाला और मीडिया की आवाज को दबाया.
देश में इमरजेंसी लागू करने की तारीख को संविधान हत्या दिवस माना जाएगा. देश में आपातकाल यानी इमरजेंसी 25 जून, 1978 को लागू की गई, लेकिन इस शब्द का जिक्र भारतीय संविधान में भी किया गया.
तीन तरह की इमरजेंसी
भारतीय संविधान को पढ़ेंगे तो पाएंगे इसमें तीन तरह की इमरजेंसी का जिक्र किया गया है. तीनों को लागू करने की वजह अलग-अलग हैं, लेकिन नाम से साफ है कि इसे उन हालाताें में लागू किया जाएगा जब माहौल सामान्य नहीं होगा. भारतीय संविधान में तीन प्रकार की आपात स्थितियां दर्ज हैं- राष्ट्रीय आपातकाल (नेशनल इमरजेंसी) , संवैधानिक आपातकाल (राज्य आपातकाल/राष्ट्रपति शासन) और वित्तीय आपातकाल.
कब-कब लगता है ऐसा आपातकाल
1- नेशनल इमरजेंसी
राष्ट्रीय आपातकाल को तब लागू किया जाता है जब देश के किसी हिस्से में सुरक्षा को लेकर खतरा होता है. जैसे- दुश्मनों से जंग, किसी तरह का अटैक, आंतरिक कलह या बड़ी आपदा आती है. ऐसे हालात में नेशनल इमरजेंसी लगाई जाती है. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 देश में राष्ट्रीय आपातकाल लागू करने का अधिकार देता है. राष्ट्रपति इसकी घोषणा करते हैं.
2- संवैधानिक आपातकाल
इस तरह की इमरजेंसी को तब लागू किया जाता है जब राज्य सरकारें भारतीय संविधान का पालन नहीं करतीं और राज्य में असंवैधानिक संकट की स्थिति बनती है. ऐसे हालातों में राष्ट्रपति राज्य सरकार को अपने कंट्रोल में ले लेते हैं. इसे ही राष्ट्रपति शासन कहा जाता है. यही वजह है कि इसे संवैधानिक आपातकाल भी कहा जाता है.
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 355 कहता है, केंद्र का कर्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक राज्य की सरकार भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार हो, लेकिन यदि राज्य अपना कर्तव्य पूरा करने में विफल रहता है तो अनुच्छेद 356 के अनुसार केंद्र राज्य सरकार को अपने नियंत्रण में ले सकता है. राष्ट्रपति शासन लागू करने की घोषणा को जारी होने की तिथि से 2 महीने के भीतर उच्च सदन और निचले सदन दोनों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए. ऐसे हालात में राष्ट्रपति की निगरानी में राज्यपाल शासन व्यवस्था चलाते हैं.
3- वित्तीय आपातकाल
वित्तीय आपातकाल की स्थिति तब बनती है जब देश की वित्तीय या ऋण प्रणाली में अस्थिरता पैदा हो जाती है. सरकार के पास देश चलाने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं होता. ऐसे हालात में वित्तीय आपातकाल की घोषणा की जा सकती है. वित्तीय आपातकाल का जिक्र भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 में किया गया है.
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