जबलपुर। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया ने जबलपुर के दिल दहला देने वाले बहुचर्चित रजा मेटल कबाड़खाना ब्लास्ट मामले में सख्ती बरती है। इस मामले में एक मजदूर की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि कुछ घायल हो गए थे। दो माह बीतने के बाद भी मुख्य आरोपित शमीम कबाड़ी पुलिस की गिरफ्त से कोसों दूर है।
जबलपुर पुलिस का रवैया ढुलमुल परिलक्षित
एकलपीठ ने अपने कड़े आदेश में कहा है कि एक ओर शासकीय अधिवक्ता कोर्ट को अवगत करा रहे हैं कि राज्य शासन की एजेंसियाें ने इस प्रकरण को बेहद गंभीरता से लिया है, वहीं दूसरी ओर जबलपुर पुलिस का रवैया ढुलमुल परिलक्षित हो रहा है।
क्या है मामला
- जबलपुर के शमीम कबाड़ी के कबाड़खाने में ब्लास्ट हुआ था।
- घटना के बाद से फरार है, उसके दुबई भाग जाने की आशंका है।
- नागपुर से गिरफ्तार किए गए करीम सत्तार पटेल पर आरोप लगे।
- करीम सत्तार पटेल ने भगोड़े शमीम को नागपुर में पनाह दी थी।
- करीम ने ही फर्जी किरायेदारनामा से जाली पासपोर्ट तक बनवाया।
कुछ जिम्मेदार अधिकारियों को क्लीनचिट देने का कमाल
एक ओर शासकीय अधिवक्ता बता रहे हैं कि घटनास्थल पर एनएसजी व एनआइए जैसी एजेंसियों ने निरीक्षण किया है, वहीं दूसरी ओर जबलपुर पुलिस ने बिना जांच प्रक्रिया पूर्ण किए इस मामले से संबंधित कुछ जिम्मेदार अधिकारियों को क्लीनचिट देने का कमाल तक कर लिया है।
अब तक क्या कार्रवाई की, केस डायरी खुली या नहीं, जवाब दिया जाए
हाई कोर्ट ने जबलपुर के पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह से सवाल किया है कि इस प्रकरण की जांच कर रहे चंद्रकांत झा, जिन्होंने बिल्कुल प्रतिकूल व लापरवाही भरे ढंग से जांच की, उनके विरुद्ध अब तक क्या कार्रवाई की। पता चला है कि उनको इतने गंभीर मामले की जांच मिलने के बावजूद उनकी कार्यप्रणाली एकदम लचर-पचर रही है। लिहाजा, उनकी केस में रुचि कम होने संबंधी केस डायरी खुली या नहीं, जवाब दिया जाए। यक्ष प्रश्न यह भी क्या इस तरह के रवैये के बाद भी जांच उनके हवाले रखी जा सकती है।
सीडीआर रिपोर्ट गवाही दे रही है कि वह शमीम के निरंतर संपर्क में था
करीम सत्तार पटेल की सीडीआर रिपोर्ट गवाही दे रही है कि वह शमीम के निरंतर संपर्क में था। यहां तक कि शमीम के दुबई भागने के बाद उसकी बहू से भी फोन पर बात की थी। एक गंभीर तथ्य यह भी कि सुल्तान अली सह आरोपित के लाइसेंस पर आर्डिनेंस फैक्ट्री, खमरिया से कबाड़ क्रय करता था। इस प्रक्रिया में कबाड़ तो क्रय किया जा सकता था, लेकिन जिंदा बम नहीं। इसके बावजूद ऐसा गजब हुआ, जिसका नतीजा कबाड़ में भयंकर विस्फाेट की शक्ल में सामने आया।
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