अब ‘दंड’ नहीं लोगों को ‘न्याय’ मिलेगा, 3 नए आपराधिक कानून लागू होने पर बोले अमित शाह

देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए आज सोमवार से 3 नए कानूनों को लागू कर दिया गया है. विपक्ष नए कानून को लेकर हमला कर रहा है तो सत्ता पक्ष इसके फायदे गिना रहा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि औपनिवेशिक कानून का दौर अब खत्म हो गया है. अब देश में दंड की जगह न्याय मिलेगा. देरी की जगह त्वरित सुनवाई होगी. राजद्रोह कानून को भी खत्म कर दिया गया है.

अमित शाह ने कहा, “देश की जनता को मैं बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं कि आजादी के 77 साल बाद आपराधिक न्याय प्रणाली (Criminal Justice System) अब पूरी तरह से स्वदेशी हो रही है और भारतीय मूल्यों के आधार पर चलेगी. 75 साल बाद इन कानूनों पर विचार किया गया.”

‘त्वरित सुनवाई होगी, त्वरित न्याय मिलेगा’

उन्होंने आगे कहा, “आज से जब ये कानून लागू हो गए हैं, तो लंबे समय से चले आ रहे औपनिवेशिक कानूनों को खत्म कर दिया गया है और भारतीय संसद में बने कानूनों को व्यवहार में लाया जा रहा है. देश में दंड की जगह न्याय लेगा. देरी की जगह लोगों को अब स्पीडी ट्रायल और स्पीडी जस्टिस मिलेगा. पहले सिर्फ पुलिस के अधिकार सुरक्षित थे लेकिन अब पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं के अधिकार भी सुरक्षित होंगे.”

‘राजद्रोह’ कानून को खत्म किए जाने की बात कहते हुए अमित शाह ने कहा, “राजद्रोह एक ऐसा कानून था, जिसे अंग्रेजों ने अपने शासन की रक्षा के लिए बनाया था. महात्मा गांधी, तिलक और सरदार पटेल… इन सभी ने इसी कानून के तहत 6-6 साल की सजा काटी थी. इसी कानून के तहत केसरी पर प्रतिबंध भी लगाया गया था. लेकिन अब हमने राजद्रोह कानून को खत्म कर दिया ​है और इसकी जगह देश-विरोधी हरकतों के लिए नई धारा लेकर आए हैं.”

4 साल तक कानून पर विचार हुआः शाह

नए कानूनों को लेकर विपक्ष की ओर से किए जा रहे हमले पर अमित शाह ने कहा कि संहिता को लेकर विपक्ष के कुछ दोस्त अलग-अलग बातें मीडिया के सामने रख रहे हैं कि अभी ट्रेनिंग नहीं हुई है, चर्चा नहीं हुई है. जबकि सच्चाई यही है कि लोकसभा में 9 घंटा 34 मिनट चर्चा हुई जिसमें 34 सदस्यों ने हिस्सा लिया. इसी तरह राज्यसभा में 7 घंटा 10 मिनट चर्चा हुई जिसमें 40 सदस्यों ने हिस्सा लिया.

कानूनों को लागू करने से पहले बहस कराए जाने पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश की आजादी के बाद किसी भी कानून को पारित कराने के लिए इतनी लंबी चर्चा नहीं हुई है. 4 साल तक इस कानून पर विचार हुआ और आपको अभी भी कुछ कहना है, तो आप जरूर आइए मैं सुनने को तैयार हूं. लेकिन कृपया इन नए कानून को जनता की सेवा करने का मौका देना चाहिए. समय पर न्याय मिलेगा तो देश का भला होगा.

वहीं नए कानून को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय पी. चिदंबरम ने सोमवार को केंद्र सरकार की आलोचना की और कहा कि यह मौजूदा कानूनों को ‘ध्वस्त’ करने और उसकी जगह बिना पर्याप्त चर्चा तथा बहस के तीन नए कानून लेकर आने का एक और उदाहरण है.

वहीं कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने संसद से नए कानूनों की फिर से समीक्षा करने की मांग की. साथ ही उन्होंने दावा किया है कि ये कानून देश को ‘पुलिस स्टेट’ में बदलने की नींव रखते हैं.

1 जुलाई से लागू हो गए 3 नए कानून

इससे पहले देश में आज सोमवार (1 जुलाई) को बड़े बदलाव के तहत 3 नए आपराधिक कानून लागू हो गए. माना जा रहा है कि इससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में दूरगामी बदलाव होंगे. भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 अब देशभर में प्रभावी हो गए हैं. इन तीनों नए कानून ने अब ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA) की जगह ली है.

देश में अब से सभी नई एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत दर्ज की जाएंगी. हालांकि, जो मामले एक जुलाई से पहले दर्ज किए गए हैं उनके अंतिम निपटारे होने तक उन केसों में पुराने कानूनों के तहत केस चलते रहेंगे.

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