ऑनलाइन गेम के खतरनाक टास्क से गई अंजलि की जान? 14वीं मंजिल से मारी थी छलांग

मध्य प्रदेश के इंदौर में 18 जून को एक नाबालिग लड़की ने बिल्डिंग की 14वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या (Anjali Suicide Case) कर ली थी. मौत का रहस्य अभी तक बरकरार है. लेकिन इस बीच पुलिस को जांच में कुछ अहम खुलासे हुए हैं. पता चला है कि 13 साल की अंजलि बंद कमरे में घंटों तक ऑनलाइन गेम खेलती थी. जिस गेम को वो सबसे ज्यादा खेलती थी वो थी- रो-ब्लॉक्स (Roblox Game Task) . पुलिस ने बताया कि इस गेम में ऊंचाई से कूदने के टास्क दिए जाते हैं. अंजलि ने भी टास्क को पूरा करने के चक्कर में अपनी जान दे दी.

मरने से पहले उसने कई बार अपनी सहेलियों को ऐसी तस्वीरें भेजी थीं, जिनमें वो ऊंचाई वाली जगहों पर खड़ी दिखी. अंजलि की सहेलियों ने उसे कई बार इस गेम को खेलने से रोका भी. लेकिन वो नहीं मानी. पुलिस फिलहाल मानकर चल रही है कि हो न हो इसी गेम में दिए टास्क के चक्कर में अंजलि ने सुसाइड किया. लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है. पुलिस ने अंजलि का आईपैड भी जांच के लिए भेजा. लेकिन उसका पासवर्ड अभी क्रैक नहीं किया जा सका है. जांच टीम कोशिश कर रही है कि जल्द ही पासवर्ड का पता लगा लिया जाए.

पुलिस ने बताया कि लसूडिय़ा इलाके के निपानिया में 14वीं मंजिल से कूदकर जान देने वाली 7वीं की छात्रा अंजलि एक गेम में फंस चुकी थी. भाई आदित्य ने जांच के दौरान पूछताछ में पुलिस को बताया कि अंजलि अपने आईपैड पर रो-ब्लॉक्स नाम का गेम खेलती थी. वह कई घंटों तक लगातार कमरे में अकेले रहती थी. बहुत बार टोका भी, लेकिन गेम से उसका मोह छूटता ही नहीं था.

क्या बोले मनोचिकित्सक?

पुलिस ने इस मामले में मनोचिकित्सकों से परामर्श लिया तो पता चला इस तरह ऊंचाई के फोटो भेजने से स्पष्ट है कि वह अपने दिमाग में बैठे ऑनलाइन गेम के किसी टास्क को पूरा करना चाहती हो. यह भी आत्महत्या की वजह हो सकती है.

क्या है रो-ब्लॉक्स गेम?

रो-ब्लॉक्स ऑनलाइन गेम है, जिसमें खेलने वाला अपने अनुभव शेयर करने के साथ-साथ लाखों फ्रेंड्स बना सकता है. यह गेम आभासी दुनिया में ले जाता है. इस गेम में बच्चों को ऊंचाई से कूदने सहित कई तरह के टास्क मिलते हैं. एक मनोचिकित्सक की मानें तो इस तरह के गेम बच्चों को अपनी ओर सम्मोहित कर लेते हैं. बच्चों का खुद पर नियंत्रण समाप्त हो जाता है. किस तरह की घटना से उन्हें नुकसान होगा, जान भी जा सकती है, यह सोचने-समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है. वे ऑटिज्म सिंड्रोम के शिकार हो जाते हैं.

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