सूर्यवंशम की ‘IAS’ राधा ठाकुर…20 साल पहले पायलट न करता ये गलती तो बच जातीं सौंदर्या, रोंगटे खड़े कर देगी प्लेन क्रैश की ये पूरी कहानी
17 अप्रैल 2004…जक्कूर एयरपोर्ट बेंगलुरु…अग्नि एयर का एक प्राइवेट विमान (Private Jet) यहां से उड़ान भरने की तैयारी कर रहा था. यह एयरपोर्ट कॉमर्शियल एयरपोर्ट नहीं है, जहां से यात्री ट्रैवल कर सकते हैं. यह एक सरकारी फ्लाइंट ट्रेनिंग स्कूल है. यहां नए पायलटों को ट्रेनिंग दी जाती है. यहां सेसना (Cessna) जैसे छोटे प्लेन्स में पायलट्स को ट्रेन किया जाता है. इसलिए यहां रनवे की लंबाई भी काफी कम है. सिर्फ 3000 फीट. यह एक छोटा सा एयरपोर्ट है. लेकिन यहां आप विमान को बुक करके आप ट्रैवल कर सकते हैं.
90 के दशक की साउथ सुपरस्टार एक्ट्रेस सौंदर्या (Sooryavansham Actress Soundarya) ने भी यहां से से सेसना 180 विमान (Cessna 180) बुक किया. प्लेन में कुल 4 लोग सवार हुए. इसमें सौंदर्या के अलावा उनके भाई अमरनाथ, हिंदू जागरण समिति के सैक्रेटरी रमेश कदम और पायलट जॉय फिलिप भी सवार थे.
2004 के इलेक्शन कैंपेन के लिए सौंदर्या को बीजेपी की तरफ से करीम नगर जाना था. इसलिए उन्होंने फ्लाइट से वहां जाने का फैसला किया था. सुबह के 11 बजे थे. प्लेन ने ठीक 11 बजकर 5 मिनट पर उड़ान भरी. टेकऑफ के बाद प्लेन को दाएं मुड़ना था. लेकिन बस यहीं पर एक गड़बड़ी हो गई. एयरपोर्ट से कुछ ही दूरी पर गांधी कृषि विज्ञान केंद्र है. प्लेन उड़ते-उड़ते यहां पहुंच गया. उस वक्त प्लेन कृषि विज्ञान केंद्र के मजह 150 फीट ऊपर ही था. जैसे ही प्लेन दाईं ओर मुड़ा, ये ऊपर उठने के बजाय नीचे की ओर गिरने लगा. पायलट कुछ समझ पाता या कर पाता, इससे पहले ही यह प्लेन कृषि विज्ञान केंद्र के कैंपस में क्रैश हो गया.
प्रेग्नेंट थीं सौंदर्या
प्लेन एक खुले मैदान में जाकर क्रैश हुआ था. वहीं पर कृषि विज्ञान केंद्र के कुछ कर्मचारी काम कर रहे थे. उन्होंने जैसे ही प्लेन को क्रैश होता देखा, वो तुरंत मौका-ए-वारदात पर पहुंचे. उन्होंने घायलों की मदद करने की कोशिश की. लेकिन प्लेन में सवार सभी चार लोगों की मौके पर ही जलकर मौत हो गई थी. एक कर्मचारी खुद इसमें बुरी तरह घायल हो गया. प्लेन के चिथड़े उड़ चुके थे. आग इतनी भीषण थी कि आधे घंटे बाद जाकर इस पर काबू पाया गया. सौंदर्या की एक साल पहले ही इंजीनियर जीएस रघु से शादी हुई थी. जब वो प्लेन में सवार थीं तो उस समय वह 2 महीने की प्रेग्नेंट थीं. यानि हादसे में उस मासूम की भी मौत हो गई जो कि दुनिया में अभी आया ही नहीं था.
क्या प्लेन का इंजन हुआ था फेल?
ये हादसा क्यों और कैसे हुआ, ये सवाल सबके मन में था. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले माना गया कि हो सकता है कि प्लेन का इंजन खराब हो गया हो. जिससे यह खौफनाक हादसा हुआ. क्योंकि ज्यादातर प्लेन क्रैश का कारण इंजन फेलियर ही होता है. बड़े-बड़े विमानों में दो से ज्यादा इंजन होते हैं. अगर एक इंजन खराब हो भी जाए तो दूसरे से काम चलाया जा सकता है.
लेकिन सेसना विमान में सिर्फ एक ही इंजन होता है. यानि अगर इस विमान का इंजन अगर खराब हो जाए तो विमान क्रैश का चांस 50 प्रतिशत हो जाते है. 50 प्रतिशत इसलिए क्योंकि प्लेन को बचाने का इसमें चांस होता है. अगर प्लेन भीड़ भाड़ वाले इलाके में जाकर किसी बिल्डिंग से टकरा जाए तो निश्चित ही यह क्रैश हो जाएगा. अगर इंजन फेलियर के बाद विमान किसी खुले मैदान में हो तो यह ग्लाइड करके नीचे लैंड हो सकता है. इससे हादसा नहीं होगा. मगर इस मामले में तो जहां प्लेन क्रैश हुआ वहां पर कोई बिल्डिंग नहीं थी. यह तो एक खुला मैदान था. चश्मदीदों ने भी बताया कि उन्हें इंजन चलने की आवाज आ रही थी और प्लेन में आग भी नहीं लगी थी. यानि यह हादसा इंजन फेलियर के कारण नहीं हुआ.
स्टाल मोड पर चला गया विमान
इसके बाद अंदाजा लगाया गया कि प्लेन एक पत्थर की तरह नीचे गिरा था. यानि स्टाल के कारण यह प्लेन गिरा था. स्टाल का मतलब है कि प्लेन की रफ्तार जितनी ज्यादा होती है उतना ही ये आगे की तरफ ऊपर होते हुए उड़ता है. रफ्तार कम हुई तो ये नीचे आने लगता है. इसलिए हर प्लेन को उड़ाने से पहले स्टाल स्पीड को कैलकुलेट किया जाता है. सेसना 180 की सबसे कम स्पीड 48 नोट्स होती है. अगर इस प्लेन की रफ्तार कम होते-होते 48 नोट्स तक पहुंच जाए तो यह प्लेन नीचे गिर जाएगा. 60 नोट्स तक यह सही सलामत उड़ता रहेगा. लेकिन 48 नोट्स तक इसकी स्पीड नहीं होनी चाहिए. अग्नि एयर विमान के पायलट की यहां गलती मानी गई. क्योंकि जब प्लेन ने ऊपर उड़ते ही रफ्तार पकड़ी तो उसे दाईं ओर मुड़ना था. मुड़ने के दौरान स्पीड ज्यादा होनी जरूरी थी.
प्लेन का फ्लैप उस समय 10 था. जिसे 0 में लाना चाहिए था ताकि प्लेन की स्पीड बढ़े, फिर पायलट उसे धीरे-धीरे दाईं ओर मोड़ दे. लेकिन पायलट से यहां चूक हो गई. उसने कम स्पीड पर ही प्लेन को मोड़ने की कोशिश की. इससे विमान स्टाल मोड पर चला गया और पत्थर की तरह नीचे आ गिरा. कहा जाता है कि प्लेन उस समय ओवरलोड भी था. जिस कारण प्लेन की स्पीड ज्यादा नहीं बढ़ पाई और यह क्रैश हो गया. इस तरह देश ने एक सुपरस्टार अभिनेत्री को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया.
सूर्यवंशम में अमिताभ बच्चन की बनीं थीं पत्नी
सौंदर्या ने तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम से लेकर बॉलीवुड में भी काम किया था. उन्होंने अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के अलावा रजनीकांत, कमल हासन, ममूटी, मोहनलाल और विष्णु गोवर्धन के साथ भी काम किया था. सूर्यवंशम (Sooryavansham) उनकी पहली और आखिरी हिंदी फिल्म थी. इस फिल्म में उन्होंने IAS राधा ठाकुर का किरदार निभाया था.
सौंदर्या की मौत के बाद साउथ फिल्मों के डायरेक्टर आरवी उदयकुमार ने खुलासा किया था कि हादसे के एक दिन पहले उनकी सौंदर्या से एक घंटा फोन पर बात हुई थी. सौंदर्या ने तब कहा था कि मैं अब फिल्मों से सन्यास ले लूंगी. क्योंकि अब मैं प्रेग्रनेंट हो गई हूं. कुछ समय पहले ही सौंदर्या ने कन्नड़ भाषा की फिल्म चंद्रमुखी की शूटिंग पूरी की थी. वो चाहती थीं कि ये उनकी आखिरी फिल्म हो. दुर्भाग्य से यह उनकी आखिरी फिल्म घोषित हुई. वो एक एक सोशल वर्कर भी थीं. सौंदर्या की मौत के बाद उनकी मां ने अमर सौंदर्या फाउंडेशन की भी स्थापना की.
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