अगर आपने ऐसे किसी ट्रस्ट या संस्था को दान दिया है, जो आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत कर छूट का लाभ दिलाते हैं, तो आपको उनसे फार्म 10बीई जरूर ले लेना चाहिए। पहले दानकर्ताओं को बतौर सबूत उस संस्था से मिली दान रसीद ही पेश करनी पड़ती थी। मगर वित्त वर्ष 2022-23 से नियम बदल गए हैं और अब दानकर्ता को संस्था से फॉर्म 10बीई लेना ही पड़ता है।
पंकज शर्मा,चार्टर्ड एकाउंटेंट के मुताबिक संशोधन के बाद दान प्राप्त करने वाली संस्था को फार्म 10बीडी के जरिए दानकर्ता का विवरण आयकर विभाग को देना होता है। साथ ही उसे दानकर्ता को दान प्रमाणपत्र (फार्म 10बीई) भी जारी करना पड़ता है। ये कटौतियां हासिल करने के लिए करदाता को धर्मार्थ संस्था से फार्म 10बीई के रूप में दान का प्रमाणपत्र जरूर लेना चाहिए । यही दान का सबूत होता है। किसी भी वित्त वर्ष में किए गए दान के लिए फार्म 10बीई जारी करने की आखिरी तारीख सामान्य रूप से अगले वित्त वर्ष की 31 मई होती है। इससे करदाता उस कर निर्धारण वर्ष के लिए आयकर रिटर्न में दान का ब्योरा शामिल कर पाते हैं।
शर्मा के मुताबिक दान प्राप्त करने वाले संगठन को टैक्स पोर्टल से फार्म 10बीई डाउनलोड करना चाहिए और प्रमाणपत्र दानकर्ता को दे देना चाहिए। दानकर्ता को अगर तय तारीख तक फार्म 10बीई नहीं मिलता है, तो उसे फौरन दान लेने वाली संस्था से संपर्क करना चाहिए। दानकर्ता पक्का कर लें कि आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत वे दान की जितनी राशि के बदले छूट मांग रहे हैं, उतनी ही राशि धर्मार्थ संस्था से मिले फॉर्म 10बीई में लिखी हुई है। फार्म 10बीई में दी गई जानकारी को अनुसूची 80जी में बताई गई जगहों पर ठीक से भरें।
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