Eid ul-Adha 2024: इस्लाम धर्म का त्योहार ईद-उल-अजहा या ईद-उल-जुहा यानी बकरीद सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है. दुनियाभर में मुस्लिमों के जरिए इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने धू-अल-हिजाह की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है. धू-अल-हिजाह महीने की 8 तारीख से हज शुरू होता है और 13 तारीख को खत्म हो जाता है. इस बीच 10 तारीख को दुनियाभर में ईद-उल-अजहा का त्योहार मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से तारीख में हमेशा बदलाव देखने को मिलता रहता है.
भारत में कब मनेगी ईद
भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अन्य दक्षिण एशियाई देशों और दक्षिण अफ्रीका में ईद-उल-अजहा खाड़ी देशों से एक दिन बाद यानी 17 जून, 2024 को मनाई जाएगी, क्योंकि इन क्षेत्रों में 07 जून को धू-अल-हिजाह का चांद देखा गया था. आमतौर पर जम्मू-कश्मीर और केरल जैसे दो राज्यों में ईद-उल-फित्र का त्योहार भारत के बाकी हिस्सों से एक दिन पहले मनाया जाता है, लेकिन ईद-उल-अजहा के मामले में ऐसा नहीं है. इसलिए सोमवार को देशभर में ईद-उल-अजहा का त्योहार मनाया जाएगा.
अरब देशों समेत पश्चिमी देशों में मन रही ईद
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, ईद-उल-अजहा धू-अल-हिजाह की 10 तारीख को मनाया जाता है. हालांकि, हर देश में ईद-उल-अजहा की तारीख अलग-अलग होती है, क्योंकि ये त्योहार भी बाकी के इस्लामिक त्योहारों की तरह चांद दिखने पर निर्भर करता है. सऊदी अरब में 6 जून को धू-अल-हिजाह महीने की शुरुआत दिखाते हुए चांद दिखा था. इसलिए वहां आज यानी 16 जून को बकरीद मनाई जा रही है. सऊदी अरब के अलावा, यूएई, कतर, जॉर्डन, कुवैत और अन्य खाड़ी मुल्कों में भी आज ही ईद है. कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य पश्चिमी मुल्कों में भी लोग आज यानी रविवार को ही ईद-उल-अजहा का त्योहार मना रहे हैं.
इन बातों का रखें खास ध्यान
- ईद उल अजहा, ईद उल फित्र के बाद मुस्लिमों का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है. यह पर्व ईद-उल-फितर के लगभग दो महीने बाद बनाया जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से बकरीद जिल हिज्जह (zil hijjah) महीने की 10वीं तारिख को मनाया जाता है.
- बकरीद के दिन नमाज पढ़ने के बाद ही कुर्बानी दी जाती है. ऐसी मान्यता के है कि कुर्बान किए गए बकरे को तीन हिस्सों में बांटा जाता है, जिसमें से एक हिस्सा घर में इस्तेमाल किया जाता है, दूसरा गरीबों को दान में दिया जाता है और तीसरा हिस्सा रिश्तेदारों के लिए निकाला जाता है.
- ये त्योहार तीन दिनों का होता है. इन तीन दिनों में से किसी भी दिन मुस्लिम कुर्बानी दे सकते हैं. बकरीद के मौके पर ही दुनियाभर के मुस्लिम हज करने सऊदी अरब की यात्रा पर भी जाते हैं.
- इस त्योहार को पैगंबर हजरत इब्राहिम अलैहिससलाम की याद में मनाया जाता है. इस्लाम धर्मिक मान्यता के अनुसार अल्लाह ने इब्राहिम के सपने में आकर उनकी सबसे प्यारी चीज मांगी थी. हजरत इब्राहिम के लिए उनका बेटा ही सबसे प्रिय था, इसलिए उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला लिया.
- जो व्यक्ति कुर्बानी देना चाहता है उसके ऊपर कर्ज नहीं होना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि अगर किसी शख्स के ऊपर कर्ज है, लेकिन कर्ज चुकाने के बजाय वो कुर्बानी कर रहा है तो उसकी कुर्बानी जायज नहीं होगी.
बकरीद के दिन कुर्बानी
इस्लाम धर्म में बकरीद के दिन जानवर की कुर्बानी दी जाती है और इसके गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. इसमें से एक हिस्सा गरीबों को दान किया जाता है, जबकि दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों को दिया जाता है. बचे हुए आखिरी हिस्से को परिवार में रखा जाता है. पैंगबर इब्राहिम अल्लाह के प्रति विश्वास दिखाते हुए अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने चले गए थे. इसी बात को याद करते हुए दुनियाभर में मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग बकरीद मनाते हैं. भारत समेत दुनियाभर में बकरीद की तारीख अलग होती है.
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