डीप फेक से निपटने के लिए सरकार डिजिटल इंडिया बिल लाएगी. डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से फैलाई जाने वाली हर अफ़वाह से निपटने के लिए इस बिल में प्रावधान किए जाएंगे. फ्रीडम ऑफ स्पीच को भी इसमें ध्यान रखा जाएगा. सरकार यूट्यूब पर चतुराई से फैलाए जाने वाले अर्ध सत्य को भी कंट्रोल करने का काम करेगी.
मिल चुकी है डेटा प्रोटेक्शन बिल को मंजूरी
भारत में डेटा की सुरक्षा को पुख्ता करने वाले ‘डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल’ को कैबिनेट की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. भारत में अब तक सख्त कानून नहीं होने की वजह से कंपनियां यूजर्स के डेटा के साथ कंप्रोमाइज करती थी और उनकी अनुमति के बिना ही वह डेटा का इस्तेमाल दूसरे कामों के लिए करती थीं.
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल में प्राइवेसी या डेटा सुरक्षा से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं. बिल के मुताबिक नियमों के उल्लंघन पर कंपनियों पर 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. देश में अभी कोई सख्त कानून नहीं होने की वजह से डेटा रखने वाली कंपनियां इसका फायदा उठाती हैं. हाल में देश के अंदर कई मौकों पर बैंक, बीमा और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी कई डेटा लीक्स की खबरें सामने आई हैं. इससे डेटा सिक्योरिटी को लेकर लोगों का भरोसा डिगा है.
कंपनियों को रखना होगा यूजर का ख्याल
टा प्रोटेक्शन बिल के प्रावधानों के मुताबिक, अब अगर कोई यूजर सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट डिलीट करता है, तो कंपनियों को भी उसका डेटा डिलीट करना होगा. कंपनी यूजर के डेटा को अपने व्यवसायिक उद्देश्यों की पूर्ति तक के लिए ही रख सकेगी. यूजर्स को अपने पर्सनल डेटा में सुधार करने या उसे मिटाने का अधिकार मिलेगा.
बच्चों के अधिकारों का ध्यान रखते हुए नए बिल में किसी भी कंपनी या इंस्टीट्यूशन पर ऐसे डेटा को एकत्र करने से मनाही होगी, जो बच्चों को नुकसान पहुंचाती हो. वहीं टारगेटेट विज्ञापनों के लिए बच्चों के डेटा को ट्रैक नहीं किया जाएगा. बच्चों के डेटा तक पहुंच के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य होगी. वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी बिल में पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.