संकटमोचन हनुमान जी को किसने दिया चिरंजीवी होने का वरदान? जानें कैसे बने अमर

मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा करने और उनकी कृप पाने के लिए सबसे शुभ माना जाता है. हनुमान जी को अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, संकटमोचन, राम भक्त, बजरंगबली और महाबली जैसे कई नामों से जाना जाता है. इन सभी नामों के साथ ही भगवान हनुमान को चिरंजीवी भी कहा जाता है. चिरंजीवी का अर्थ है, अजर-अमर. धार्मिक मान्यता है कि एकमात्र वही ऐसे भगवान हैं जो आज भी पृथ्वी पर सशरीर मौजूद हैं. धरती पर मौजूद होकर वे आज भी अपने भक्तों की परेशानियां सुनते हैं और उनके संकटों को दूर करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बजरंगबली को चिरंजीवी होने का वरदान किसने दिया? आइए जानते हैं इससे जुड़ी एक रोचक कथा के बारे में.

हनुमान जी को अमर होने का वरदान किसने दिया?

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, जब रावण ने देवी सीता का हरण कर लिया था, तब प्रभु श्रीराम ने महाबली हनुमान को माता सीता की खोजने के लिए लंका भेजा था कि सीता परेशान हा हों, वे उन्हें वहां से जल्द वापस लेने आएंगे. प्रभु राम की आज्ञा का पालन करते हुए पवन पुत्र लंका पहुंचे. उस समय माता सीता अशोक वाटिका में रह रही थीं.

हनुमान जी ने माता सीता को यह विश्वास दिलाया कि जल्द ही प्रभु श्रीराम उनको यहां से ले जाएंगे. इसके साथ ही भगवान हनुमान राम जी की अंगूठी माता सीता को भेंट की. उनकी इस बात को सुनकर और प्रभु राम की अंगूठी देखकर माता सीता को विश्वास हो गया कि वे प्रभु राम के द्वारा ही भेजे गए हैं.

हनुमान जी के हृदय में भगवान राम के लिए अपार प्रेम और भक्ति देखकर माता सीता उनसे प्रसन्न हुईं और फिर उन्होंने राम भक्त हनुमान जी को हमेशाके लिए अजर अमर होने का वरदान दिया. हनुमान जी के चिरंजीवी होने को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनका अपना-अपना महत्व है.

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