परिवहन विभाग की देखरेख में प्रदेश के अलग-अलग जिलों में ड्राइविंग स्कूल खोले जा रहे हैं। केंद्र सरकार के सड़क परिवहन और राज्यमार्ग मंत्रालय की कार्ययोजना के अनुसार प्रदेश के पांच राज्यों में छतरपुर, भोपाल, इंदौर, बैतूल, सिंगरौली में ड्राइविंग स्कूल खुलेंगे। इनमें सार्वजनिक निजी-भागीदारी(पीपीपी)मोड पर छतरपुर में प्रदेश का सबसे पहला ड्राइविंग स्कूल शुरू होगा। अब तक 35 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।
बाकी 65 प्रतिशत काम नवंबर-दिसंबर तक पूरा किया जाएगा। एक ड्राइविंग स्कूल को विकसित करने में पांच करोड़ रुपये का खर्च है। ड्राइविंग स्कूल खुलने के बाद यहां पर तैनात विशेषज्ञ आवेदकों का ड्राइविंग का टेस्ट लिया करेंगे। इस दौरान ट्रैफिक नियमों को भी बताएंगे।
दाएं,बांए,अंधा मोड़ों पर कैसे गाड़ियां चलाने सहित अन्य बारीकियों को भी समझाएंगे। टेस्ट में पास होने पर ही ड्राइविंग स्कूल से प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे। इस आधार पर आरटीओ-डीटीओ में फोटो खींचने व डिजिटल हस्ताक्षर की प्रक्रिया पूरी करने के बाद आवेदक परमानेंट ड्राइविंंग लाइसेंस बनवा सकेंगे।
गौरतलब है कि अभी ऐसा कोई ड्राइविंग स्कूल नहीं है, जिसमें ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने से पहले टेस्ट लिया जाता है और पास होने पर प्रमाण पत्र दिया जा रहा हो। अभी कार, व्यवसायिक, भारी वाहन चलाना सीखाने के लिए ड्राइविंग स्कूल हैं, जिनमें लोग 1500 से 2000 रुपये देकर कार चलाना सीखते हैं। प्रदेश भर में एक दिन में सात से आठ हजार तक परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाते हैं।
ऐसे होंगे स्कूल
जिला स्तर पर 3.5 एकड़ जमीन और संभागीय स्तर पर 5.5 एकड़ जमीन पर ड्राइविंग स्कूल बनाए जाने के कार्ययोजना है। इसमें ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक बनेगा। इसमें सीसीटीवी लगाए जाएंगे। एक यार्ड में आधुनिक मशीनें भी लगेंगे। साथ ही वाहनों की पार्किंग की सुविधा सहित बैठने व पीने के पानी की व्यवस्था होगी। नियमों के दिशा-निर्देश भी अंकित किए जाएंगे। इसमें मोटर सइकिल, मोपैड, भारी वाहन, व्यवसायिक वाहन भी रहेंगे। इन वाहनों से लोगों का टेस्ट लिया जाएगा।
ऐसे काम करेंगे
छतरपुर में ड्राइविंग स्कूल विकसित कराने वाले निजी एजेंसी के संचालक डा. आरके चतुर्वेदी ने बताया कि ड्राइविंग स्कूल में वाहन चलाने वाले आवेदकों की रिकार्डिंग होगी। तीन महीने तक रिकार्डिंग रखी जाएगी। ड्राइिंवग संबंधी नियमों को को पूछा जाएगा। नहीं बताने वाले आवेदकों को नियम बताए भी जाएंगे। इसमें दो, चार पहिया, भारी वाहन, व्यवसायिक वाहन और बिना गेयर वाले वाहनों का टेस्ट कराया जाएगा। टेस्ट का शुल्क परिवहन विभाग के समन्वय से शुल्क तय किया जाएगा।
अभी यह व्यवस्था
एनआइसी के पोर्टल सारथी परिवहन से आनलाइन आवेदन किया जाता है। लर्निंग लाइसेंस स्वयं आधार कार्ड के जरिए पोर्टल से बना सकते हैं या फिर कियोस्क से बनवा सकते हैं। इसके लिए आरटीओ व डीटीओ नहीं जाना होता है। वहीं परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए पोर्टल पर आनलाइन आवेदन किया जाता है। इसके बाद समय मिलने पर आरटीओ-डीटीओ जाकर फोटो खींचाने व डिजिटल हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया करानी होती है। अभी हर संभागीय व जिला स्तर पर आटौमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक नहीं बने हैं। इससे कई बार बिना टेस्ट के ही लाइसेंस जारी कर दिए जाते हैं। इससे सड़क हादसे बढ़ रहे हैं।
इनका कहना है
सबसे पहले छतरपुर में ड्राइविंग स्कूल शुरू होगा। इसके बाद बैतूल, इंदौर, भोपाल, सिंगरौली में ड्राइविंग स्कूलों का काम पूरा किया जाएगा। निजी एजेंसियां ड्राइविंग स्कूल तैयार करने का काम कर रही हैं। इस नई व्यवस्था से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया में पारदर्शित आएगी।
उमेश जोगा, अपर परिवहन आयुक्त
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