हाईस्पीड चार्जिंग की हुई खोज, 1 मिनट में मोबाइल और 10 मिनट में इलेक्ट्रिक कार होगी चार्ज

स्मार्टफोन इतना जरूरी हो गया है कि इसके बिना लाइफ नामुमकिन लगती है. इसलिए जब भी हम फोन को चार्ज करते हैं तो बस यही सोचते हैं कि काश! फोन पलक झपकते ही चार्ज हो जाए. आजकल फास्ट चार्जिंग टेक्नोलॉजी आ गई है, जिससे आधे घंटे से एक घंटे के अंदर भी स्मार्टफोन चार्ज हो जाते हैं. मगर एक भारतीय मूल के रिसर्चर ने ऐसी टेक्नोलॉजी ईजाद की है जिससे फोन तो फोन, लैपटॉप भी 1 मिनट में फुल चार्ज हो जाएगा. इतना ही नहीं, ये हाई स्पीड चार्जिंग टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रिक कार (EV) को महज 10 मिनट में चार्ज कर सकती है.

ये नई टेक्नोलॉजी के तहत आयन, यानी छोटे चार्ज्ड पार्टिकल्स की मूवमेंट का पता लगाया गया है. इससे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को चार्ज करने में काफी आसानी है. चार्जिंग टेक्नोलॉजी में यह नया एक्सपेरिमेंट किसी क्रांति से कम नहीं है. इससे बेहतर स्टोरेज डिवाइस बनाना आसान होगा और हाई स्पीड चार्जिंग के साथ लोगों का टाइम भी बचेगा.

इंडियन साइंटिस्ट ने खोजी हाई स्पीड चार्जिंग टेक्नोलॉजी

अमेरिका की कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी में कैमिकल एंड बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर अंकुर गुप्ता और उनकी रिसर्चर्स टीम ने इस टेक्नोलॉजी की खोज की है, जिसे प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में पब्लिश किया गया है.

रिसर्चर्स ने महीन छेदों के बेहद मुश्किल स्ट्रक्चर के अंदर आयन – छोटे चार्ज्ड पार्टिकल्स का पता लगाया. यह एक्सपेरिमेंट सुपरकैपेसिटर के डेवलपमेंट में तेजी ला सकती है.

बिजली की बचत होगी

सुपरकैपेसिटर एक एनर्जी स्टोरेज डिवाइस है जो अपने छेदों में आयन कलेक्शन पर निर्भर करता है. यह आविष्कार ईवी, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और पावर ग्रिड के लिए महत्वपूर्ण है. सुपरकैपेसिटर तेजी से चार्ज हो सकते हैं और बैटरी की तुलना में लंबे समय तक चल सकते हैं.

पावर ग्रिड के बारे में गुप्ता का मानना है कि उतार-चढ़ाव वाली बिजली की मांग के लिए कम डिमांड वाले समय में बिजली की बर्बादी कम करने और हाई डिमांड वाले समय में तेजी से बिजली सप्लाई की गारंटी देने के लिए बेहतर स्टोरेज की जरूरत होती है.

आयन की मूवमेंट

रिसर्चर्स ने इस बात का भी खुलासा किया कि यह खोज हजारों आपस में जुड़े छेदों के जटिल नेटवर्क में आयन फ्लो का सिमुलेशन और प्रेडिक्शन मिनटों में संभव बनाती है. उन्होंने बताया कि इस खोज से पहले लिटरेचर में आयन की एक्टिविटी का जिक्र केवल एक सीधे छेद के भीतर होने के तौर पर किया जाता था.

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