देवभूमि हरिद्वार में वैसे तो बहुत से मंदिर हैं, लेकिन यहां एक ऐसा भी मंदिर है, जिसके निर्माण में लोहे और सीमेंट का इस्तेमाल नहीं हुआ. फिर भी इसकी बनावट इतनी भव्य है की जो भी इसे देखता है वह मंत्रमुग्ध हो जाता है. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर इस भव्य मंदिर के निर्माण में किन चीजों का इस्तेमाल किया गया है.
श्री यंत्र मंदिर हरिद्वार
हरिद्वार हिंदूओं की आस्था का केंद्र माना जाता है. यहां बहुत से देवी देवताओं के भव्य और प्राचीन मंदिर विद्यमान हैं. गंगा के तट पर बहुत से मंदिर हैं, जिनमें से एक श्री यंत्र मंदिर है. यह मंदिर गंगा किनारे कनखल में स्थित है. यह मंदिर सबसे प्रतिष्ठित शक्ति उपासना केंद्रों में से एक है और यह जो साधना के लिए एक उत्तम और उचित स्थान माना जाता है. इस मंदिर में साधना, हवन, यज्ञ, पूजा पाठ करने का विशेष महत्व है.
नहीं हुआ सीमेंट-लोहे का प्रयोग
हरिद्वार का श्री यंत्र मंदिर के अनोखे शीर्ष गुंबद के कारण, यह मंदिर बाकियों से अलग दिखता है. मंदिर की बाहरी दीवारों और सीमाओं पर स्टार डिज़ाइन बने हुए हैं. इस मंदिर की वास्तुकला जितनी सुंदर है उतनी ही ये बात भी हैरान करन वाली है कि इस मंदिर को बनाने में लोहा और सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया था.
इन चीजों का हुआ प्रयोग
मंदिर की सुंदरता और भव्य नक्काशी को देखकर यह पता लगान बहुत मुश्किल सा लगता है कि आखिर बिन लोह और सीमेंट के इस मंदिर का निर्माण हुआ किन चीजों से होगा. जवाब ये हैकि यह मंदिर राजस्थान के बेहतरीन पत्थरों से बनाया गया है.
स्थापित है मां लक्ष्मी श्री यंत्र
यह मंदिर मां लक्ष्मी को समर्पित है और यहां मां लक्ष्मी का श्री यंत्र स्थापित होने के कारण ही मंदिर का नाम श्री यंत्र मंदिर नाम से जाना जाता है. यहां 10 महाविद्याओं में से तीसरे स्थान की माता का यह मंदिर है. त्रिपुरा सुंदरी के साथ मां काली की मूर्ति भी सोने से निर्मित है. इन दो मूर्तियों के अलावा माता लक्ष्मी माता सरस्वती की मूर्ति भी स्थापित है. साथ ही मंदिर में भगवान भोलेनाथ की चांदी से निर्मित मूर्ति स्थापित है और इस मंदिर में दो श्री यंत्र स्थापित किए गए हैं.
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