लोकसभा की पिच पर विधानसभा की तैयारी, क्या है लालू की जातीय गोलबंदी का गणित?

लोकसभा चुनाव का छठा चरण 25 मई को है. लालू प्रसाद एक के बाद दूसरे चरण में राजनीतिक बिसात मजबूत करते दिख रहे हैं. लालू प्रसाद लोकसभा चुनाव में अपनी रणनीति के मुताबिक ही दांव खेल रहे हैं. इसलिए लालू प्रसाद के लिए लोकसभा चुनाव फाइनल से पहले का सेमीफाइनल है. लालू जानते हैं कि बिहार में बीजेपी विरोधी दल के नेता के तौर पर तेजस्वी पदस्थापित हो चुके हैं. लोकसभा चुनाव में साल 2019 की तुलना में थोड़ा बेहतर परिणाम तेजस्वी को और बड़ा नेता बना देगा. इसलिए लालू प्रसाद माई समीकरण में विस्तार कर कुशवाहा समेत मल्लाह और भूमिहारों को भी जोड़ने की कवायद तेज कर दी है.

लालू प्रसाद अपनी दो बेटियों के लिए प्रचार करने के अलावा चुनाव प्रचार में कहीं और बाहर नहीं निकले हैं. सारण और पाटलिपुत्र के अलावा लालू प्रसाद सशरीर कहीं देखे नहीं गए हैं. लेकिन लालू लोकसभा चुनाव के जरिए विधानसभा चुनाव के लिए बिसात विछाने में तेजी से काम कर रहे हैं. लालू प्रसाद लोकसभा चुनाव के बहाने विपक्ष के नेता के तौर पर तेजस्वी को और मजबूत करने का खेल बखूबी खेल रहे हैं. इसलिए बिहार में कांग्रेस के लिए कैंपेन करने राहुल गांधी एक बार भागलपुर में देखे गए हैं वहीं मल्लिकार्जुन खरगे की उपस्थिति भी कमोबेश कुछ ही बार रही है.

लालू प्रसाद की नजरें कुशवाहा समेत मल्लाहों पर क्यों टिकी?

लालू प्रसाद ने बड़ी ही चतुराई से कैंपेन का जिम्मा तेजस्वी यादव को देकर आगे कर दिया है और इस कवायद में तेजस्वी का साथ वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश साहनी देते दिख रहे हैं. लालू यादव जानते हैं कि पिछले चुनाव में सत्ता के मुहाने पर पहुंचकर सत्ता से दूर रह जाना आरजेडी के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था. इसलिए जनाधार को बड़ा करने के लिए लालू प्रसाद का प्रयास कुशवाहा समाज को जोड़ने का है. इसीलिए लालू प्रसाद ने लोकसभा चुनाव में यादव के बाद महागठबंधन में सबसे ज्यादा 8 टिकट कुशवाहा समाज के उम्मीदवारों को देकर नया राजनीतिक प्रयोग की शुरुआत कर दी है.

औरंगाबाद, नवादा, मोतिहारी, पटनासाहिब, उजियारपुर, मुंगेर, खगड़िया और काराकाट में लालू प्रसाद ने कुशवाहा समाज को जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर टिकट कुशवाहा और धानुक समाज को दिया. लालू प्रसाद की इस कारगुजारी की वजह से एनडीए में तीन बड़े नेता कठिन दौर से गुजर रहे हैं. बिहार में लव-कुश समाज के नंबर वन नेता कहे जाने वाले नीतीश कुमार से कुशवाहा और धानुक समाज का मोहभंग होने लगा है, ऐसा औरंगाबाद,नवादाऔर मुंगेर में साफ देखा गया है. लालू प्रसाद के इस दांव से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी समेत राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेन्द्र कुशवाहा की भी सांसें फूलने लगी हैं. जाहिर है कुशवाहा समाज के दो बड़े नेता लालू प्रसाद के नए प्रयोग से सकते में हैं और उनकी स्थिति एनडीए में कमजोर पड़नी शुरू हो गई है.

माना जा रहा है कि लालू प्रसाद 2025 के विधानसभा चुनाव की बिसात बिठाने में लग गए हैं. इसलिए घटक दल के तौर पर मुकेश साहनी को महागठबंधन का हिस्सा बनाकर मुकेश साहनी की मल्लाह के बीच पकड़ को भी परखने का काम लालू प्रसाद ने अपने अंदाज में शुरू कर दिया है.

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