दरक रहे पहाड़, धंस रही जमीन, दीवारों पर दरारें…रामबन के बाद अब यहां दिखा तबाही का मंजर, दहशत में लोग

जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में जमीन धंसने के बाद अब उधमपुर के चेनानी इलाके में भूमि धंसने से स्थानीय लोगों में दहशत पैदा हो गई है. हजारों लोगों की आबादी वाले, चेनानी के तनधार गांव में दो साल पहले भी भूस्खलन देखा गया था. उस समय इतना नुकसान नहीं हुआ था. लेकिन इस बार जब से रामबन में जमीन धंसने का बड़ा मामला सामने आया, जिस कारण 500 लोग बेघर हो गए. तभी से तनधार के लोगों को ज्यादा डर सताने लगा है.

कुछ दिन पहले यहां एक नाले के पास की भूमि में बड़े पैमाने पर धंसाव शुरू हो गया, जिससे चिंताजनक स्थिति पैदा हो गई. धंसाव के बीच, तनधार में कम से कम तीन घरों की दीवारों पर छोटी और बड़ी दरारें दिखाई दी हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर जल्द ही इस पर काबू नहीं पाया गया तो यह बड़े क्षेत्र में फैल सकता है. गांव के वार्ड नंबर 5 में कृषि भूमि में भी बड़ी दरारें देखी गई हैं.

स्थानीय लोगों के मुताबिक, यहां घरों की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें आ रही हैं. जमीन धंस रही है. उसमें भी दरारें साफ दिख रही हैं. पहाड़ दरक रहे हैं. वहां रहने वाले लोगों को डर सता रहा है कि कहीं रामबन जैसा हाल इस इलाके का भी न हो जाए. प्रशासन ने उच्चस्तरीय टीम का गठन किया है ताकि यह पता चल सके कि जो भूमि सिंक हो रही है इसके पीछे कोई और वजह है.

500 लोग हुए बेघर

इससे पहले रामबन जिले के प्रणोत में भी लोगों के घरों में दरारें आई थी. जमीन धंसने के कारण 58 से अधिक घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे. जबकि बाकी 50 घरों को भी क्षति पहुंची थी. इस घटना के बाद 500 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. इस कारण चार बिजली टावर, एक रिसीविंग स्टेशन और मुख्य सड़क का एक हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो गया. ऐसा ही मंजर इससे पहले डोडा में भी देखने को मिला था. पिछले एक साल में 6 से ज्यादा जमीन धंसने के मामले अब तक सामने आ चुके हैं.

एनडीएमए की सलाह

नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की टीम ने रामबन में हुई घटना को प्राकृतिक आपदा बतायाय. साथ ही सलाह दी कि इस क्षेत्र से 1.2 किलोमीटर तक कोई भी न रहे. वहां भी आपदा आने का डल है. स्थानीय लोगों का दावा है कि डोडा, रामबन और किश्तवाड़ जिलों में सड़कों, सुरंगों और जलविद्युत परियोजनाओं जैसी निर्माण गतिविधियों के अलावा इन क्षेत्रों में आए भूकंपों के कारण क्षेत्र की मिट्टी कमजोर हो रही है. इसी कारण प्राकृतिक आपदा आ रही है.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.