दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को ‘सुप्रीम’ राहत मिली है. शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी केजरीवाल को देश की सर्वोच्च न्यायालय ने एक जून तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी है. उन्हें ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. लोकसभा चुनाव प्रचार के मद्देनजर कोर्ट से मिली ये राहत केजरीवाल के लिए बहुत अहम है. इससे अब वो पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में नई तरह से जोश भरते दिख सकते हैं. कोर्ट के इस फैसले के बाद सियासी गलियारों में चर्चा तेज है ‘क्या झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को भी जमानत मिल सकती है?’
दरअसल, ईडी ने 31 जनवरी को करीब 8 घंटे की पूछताछ के बाद झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तारी की कार्रवाई को भांपते हुए सोरेन ने पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया था. उनकी गिरफ्तारी जमीन घोटाला मामले में हुई और वो रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में बंद हैं. केजरीवाल की तरह उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दाखिल कर रखी है.
13 मई को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
केजरीवाल की तरह सोरेन की अर्जी में उनके वकील कपिल सिब्बल ने चुनाव प्रचार का जिक्र किया है. यानी कि पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की गई है. कोर्ट ने सुनवाई के लिए 13 मई की तारीख दी है. केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिलने के बाद कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि स्वागत करते हैं.
‘अब हेमंत सोरेन को भी न्याय मिलेगा’
पवन खेड़ा ने कहा, हम आशा करतें हैं कि अब झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को भी न्याय मिलेगा. सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पवन खेड़ा के इस बयान को अपने X अकाउंट पर शेयर किया है. साथ ही कई और पोस्ट शेयर किए हैं, जो सोरेन की जमानत की मांग से जुड़े हुए हैं.
‘मुझे लग रहा है अब चुनाव पलट जाएगा’
उधर, केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह एक तरह का चमत्कार है. केजरीवाल का बाहर आना, प्रचार करना देश के लिए दिशा मोड़ने वाला रहेगा. इस चुनाव में अभूतपूर्व बदलाव आएंगे. मुझे लग रहा है कि अब चुनाव पलट जाएगा.
बताते चलें कि केजरीवाल को जमानत मिलने से एक दिन पहले यानी कि गुरुवार को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दाखिल किया था. इसमें उनकी जमानत अर्जी का विरोध किया था. ईडी ने कहा था कि चुनाव प्रचार मौलिक अधिकार नहीं है. इसलिए चुनाव प्रचार के आधार पर अंतरिम राहत नहीं दी जानी चाहिए. अगर जमानत मिलती है तो यह नई परंपरा बनेगी.
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