जबलपुर। गोरखपुर पुलिस घर से बलपूर्वक ले गई और लॉकअप में बंद कर दिया था। पुलिस ने किसी प्रकरण में कोई पूछताछ किए बिना दूसरे दिन छोड़ दिया। थाने से छोड़ने का उल्लेख रोजनामचा सान्हा में किया गया है। पुलिस द्वारा 24 घंटे से अधिक अवैधानिक रूप से बंधक बनाए रखे जाने को हाई कोर्ट में याचिका दायर की चुनौती दी गई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस जीएस अहलूवालिया के एकलपीठ ने गृह सचिव सहित अन्य अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
कानून व्यवस्था भंग होने की आशंका के कारण अभिरक्षा में लिया
नर्मदा रोड,जबलपुर निवासी अजीत सिंह आनंद की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि गोरखपुर पुलिस 20 जून की सुबह सात बजे घर से उठाकर ले गई थी। गोरखपुर पुलिस स्टेशन ले जाकर उसे लॉकअप में बंद कर दिया गया। उसके दूसरे दिन 21 जून की सुबह पुलिस द्वारा छोड़ दिया गया। थाने से छोड़े जाने का उल्लेख पुलिस रोजनामचा सान्हा में किया गया है। जिसमें उल्लेख किया गया है कि कानून व्यवस्था भंग होने की आशंका में कारण वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर उसे अभिरक्षा में लिया गया है।
अवैधानिक तरीके से पुलिस लॉकअप में रखा गया था
याचिका में कहा गया था कि बिना अपराध उसे अवैधानिक तरीके से पुलिस लॉकअप में रखा गया था। याचिकाकर्ता की तरफ से पांच लाख रुपये की क्षतिपूर्ति मांगी गई है। याचिका में गृह सचिवएपुलिस अधीक्षक जबलपुर, तत्कालीन थाना प्रभारी अरविंद चौबे सहित अन्य को अनावेदक बनाया गया था। एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई एक जुलाई को निर्धारित की गई है।
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