भारत में आम चुनाव चल रहे हैं. अप्रैल के महीने में विदेशी निवेशकों ने 8671 करोड़ रुपए बाजार से निकाल लिए थे. इस बार मई के सिर्फ दो कारोबारी सत्रों में विदेशी निवेशकों ने बाजार में पैसा लगाया है. आंकड़ों के अनुसार निवेशकों ने 1,156 करोड़ रुपए का निवेश किया है. वैसे विदेशी निवेशकों का असल इम्तिहान मई के महीने में ही शुरू होना है. क्योंकि इसी महीने में चुनाव के अधिकतर चरण खत्म होने वाले हैं. यही वजह से विदेशी निवेशक वेट एंड वॉच की स्थिति में आ गए हैं. अगर बात डेट एंड बॉन्ड मार्केट की बात करें तो विदेशी निवेशकों ने अप्रैल की तरह मई में भी पैसा निकालना शुरू कर दिया है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर मई के पहले दो दिनों में किस तरह के आंकड़ें देखने को मिल रहे हैं.
शेयर बाजार में कितना लगाया पैसा
भारत में आम चुनाव की वजह से विदेशी निवेशक वेट एंड वॉच की पॉलिसी अपना रहे हैं. चालू महीने के पहले दो कारोबारी सत्रों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजारों में सिर्फ 1,156 करोड़ रुपए का निवेश किया है. इससे पहले मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में निरंतर वृद्धि की चिंताओं के कारण अप्रैल में एफपीआई ने 8,700 करोड़ रुपए के शेयर बेचे थे. वहीं मार्च में एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 35,098 करोड़ रुपए और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपए का निवेश किया था. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, मई में पहले दो कारोबारी सत्रों में एफपीआई ने शेयरों में 1,156 करोड़ रुपए का निवेश किया है और डेट या बॉन्ड बाजार से 1,727 करोड़ रुपए निकाले हैं.
डेट मार्केट से पैसे निकाले
आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने मई के पहले दो कारोबारी सत्रों में ऋण या बॉन्ड बाजार से 1,727 करोड़ रुपए निकाले हैं. इससे पहले विदेशी निवेशकों ने मार्च में बॉन्ड बाजार में 13,602 करोड़ रुपए, फरवरी में 22,419 करोड़ रुपए और जनवरी में 19,836 करोड़ रुपए का निवेश किया था. भारत सरकार के बॉन्ड को जेपी मॉर्गन सूचकांक में शामिल करने की घोषणा से यह निवेश आया था. कुल मिलाकर 2024 में अबतक शेयरों में एफपीआई ने 3,378 करोड़ रुपए का निवेश किया है. बॉन्ड बाजार में उनका निवेश 43,182 करोड़ रुपए रहा है.
क्या कहते हैं जानकार
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक – प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भारत में आम चुनाव पूरे जोरों पर हैं. विदेशी निवेशकों ने चुनाव नतीजे आने तक वेट एंड वॉच का रुख अपनाया है. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका में नौकरियों के ताजा आंकड़े अर्थव्यवस्था में सुस्ती का संकेत देते हैं. वेतन बढ़ोतरी चार फीसदी से कम है, जो लेबर मार्केट की कमजोरी का संकेत हैं. शेयर बाजार की दृष्टि से यह अच्छी खबर है. यही वजह है कि शुक्रवार को अमेरिकी बाजारों में जोरदार उछाल आया.
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