कलेक्टर के आदेश हो रहे बेअसर, रात में चल रहीं बोरिंग मशीन

राष्ट्र चंडिका  न्यूज सिवनी .नलकूप खनन पर प्रतिबंध संबंधी कलेक्टर का आदेश जिले में बेअसर साबित हो रहा है। जिले में यह काम चोरी छिपे किया जा रहा है। प्रशासन के सूचना तंत्र तक यह खबर पहुंचने के बावजूद अब तक एक भी ऐसा प्रकरण नहीं बना जिसमें मशीन जब्त करने जैसी ठोस कार्रवाई की गई हो। इसे रोकने को लेकर  विभाग की जिम्मेदारी तय होने के बावजूद कलेक्टर के आदेश हवा में उड़ा दिए गए।

जिला कलेक्टर  के द्वारा लगभग एक माह पूर्व जिले को जल अभाव ग्रस्त घोषित करते हुए बिना अनुमति बोरिंग पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद भी क्षेत्र में जिस तरह से रात के स्याह अंधेरे में बोरिंग का काम धड़ल्ले से जारी है उसे देखकर लगने लगा है कि इन आदेशों को भी हवा में उड़ाया जा रहा है।  जिला कलेक्टर के द्वारा एक आदेश जारी कर जिले को जल अभाव ग्रस्त घोषित करते हुए बिना अनुमति बोर खनन पर रोक लगा दी गयी है। इस आदेश को धता बताते हुए ग्रामीण अंचलों में रात के अंधेरे में बोरिंग का काम बेखौफ होकर किया जा रहा है।बताया जाता है कि रात के सन्नाटे में जब बोरिंग मशीनों की आवाजें आसपास के क्षेत्रों में निवास करने वालों की नींद में खलल डालतीं हैं, उस समय प्रशासन गहरी निद्रा में डूबा हुआ नजर आता है। आश्चर्य जनक रूप से ग्रामीण क्षेत्र तो दूर की बात है, इसके बाद भी रात के अंधेरे में बोर कराया जा रहा है। वहीं रोक लगाने के बाद मशीन संचालक ने बोरिंग के रेट बढ़ा दिए हैं। अब लोगों को अवैध तरीके से बोरिंग कराने के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं। वहीं जिम्मेदार बेपरवाह हैं। पिछले माह जिला प्रशासन द्वारा बोर उत्खनन प्रतिबंधित कर दिया गया था। फिर भी इसका पूरी तरह पालन नहीं हो पा रहा है।

नगर में भी रात के समय में बोरिंग का काम बेखौफ होकर अंजाम दिया जा रहा है।लोगों का कहना है कि प्रशासन के द्वारा जल संकट का अनुमान लगाते हुए जिले को जल आभाव ग्रस्त घोषित तो कर दिया गया है पर मैदानी अफसरान को यह देखने की फुर्सत भी नहीं रह गयी है कि जिला कलेक्टर के आदेश की तामीली हो भी रही है अथवा नहीं। हालात देखकर यही प्रतीत हो रहा है कि पहले की ही तरह इस बार भी प्रशासन के द्वारा आदेश जारी कर कर्त्तव्यों की इतिश्री कर ली गयी है।लोगों की मानें तो वैसे भी रात के सन्नाटे में बोरिंग मशीन की कर्कश आवाज की अनुमति शायद ही किसी के द्वारा दी जाती हो, क्योंकि यह कोलाहल अधिनियम के उल्लंघन की श्रेणी में भी आता है। लोगों का कहना है कि प्रशासन के द्वारा समय – समय पर जारी किये जाने वाले आदेश अब हास्यास्पद ही लगने लगे हैं।

कलेक्टर के आदेश की हो रही अवहेलना
सूत्रों की माने तो जिला कलेक्टर द्वारा क्षेत्र में बोर खनन कार्य पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाने के बाद क्षेत्र में इन दिनो जहां देखो वहीं भारी भरकम बोर खनन कार्य की मशीनें और अधिक देखने को मिल रही हैं। गर्मी की शुरुआत होते ही उक्त कार्य में संलिप्त जनो का जन संपर्क ज्यादातर ग्रामीण अंचलों में बना ही रहता है। संबंधित लोगों की पहुंच व पकड़ नीचे से ऊपर तक होने की बात बता कर जंगल की भूमि हो या राजस्व की हर जगह बेहिचक बोर खनन कार्य को अंजाम दे दिया जाता है। ऐसा भी नहीं है की शासन प्रशासन को उक्त कार्य की जानकारी न हो बल्कि सब कुछ जानते हुए भी इस प्रतिबंधित कार्य में संलिप्त जनों पर कार्यवाही के बजाय इन्हे खुला संरक्षण देने की सुगबुगाहट इन दिनो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधिक्षक महोदय से जनापेक्षा है की संबंधित मामले को गंभीरता से लिया जाय साथ ही बोर खनन कार्य पर प्रतिबंध लगाये जाने का अगर फरमान जारी किया गया है तो उसका पालन भी कड़ाई से कराया जाए और आदेश का पालन न करने वालों पर कानूनी शिकंजा कसा जाए ताकि क्षेत्र में कानून व्यवस्था को कायम रखा जा सके अन्यथा अवैध कार्यों में संलिप्त माफिया जिला कलेक्टर का आदेश भी मानने को तैयार नहीं हैं और अपने मन मुताबिक कार्य करते हुए अवैध तरीके से मोटी कमाई करने में मशगुल हैं अब देखना यह होगा की इन बोर खनन माफियाओं पर कार्यवाही होती है या फिर जैसे चल रहा है आगे भी सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा।

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