लोकसभा चुनावों के दौरान डीपफेक वीडियो के प्रसार को रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका दाखिल की गई थी. मांग की गई थी कि इस बाबत चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए. हालांकि, कोर्ट ने चुनाव आयोग को कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया है. जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट चुनावों के दौरान ऐसे निर्देश नहीं दे सकता. उसे भरोसा है कि चुनाव आयोग उचित कार्रवाई करेगा.
कोर्ट ने कहा कि चुनाव के बीच कोर्ट कोई निर्देश नहीं दे सकती. इसे चुनाव आयोग पर छोड़ दें. हमें उन पर भरोसा है. याचिकाकर्ता के वकील जयंत मेहता ने कहा कि चुनाव आयोग प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए किसी भी राजनीतिक विज्ञापन को प्रमाणित करता है. सोशल मीडिया पर सामग्री के लिए भी इसी तरह की व्यवस्था लागू की जानी चाहिए.
‘जाहिर है कि एक छोटा समूह आपको रोकेगा’
हालांकि, पीठ ने जवाब दिया कि यह बहुत मुश्किल हो सकता है. राजनेता सड़क या मोहल्ले में भी लोगों से मिलते-जुलते हैं. आप जो सुझाव दे रहे हैं, वह उचित नहीं हो सकता. यह ऐसा है जैसे आप कह रहे हों कि जब आप किसी राजनीतिक रैली को संबोधित करने जाते हैं, तो राजनेता को चुनाव आयोग से अनुमति लेनी चाहिए. अगर आप निर्वाचन क्षेत्र में यात्रा कर रहे हैं, तो जाहिर है कि एक छोटा समूह आपको रोकेगा और आप उनसे बात करेंगे.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को चुनाव आयोग के सामने एक प्रेजेंटेशन दाखिल करने को कहा, जिस पर चुनाव आयोग को 6 मई तक फैसला लेना है और उचित कदम उठाने हैं. चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि याचिका में संदर्भित अमित शाह, राहुल गांधी, आमिर खान और रणवीर सिंह के फेक वीडियो हटा दिए गए हैं. शिकायतें भी दर्ज की गई हैं.
‘फर्जी वीडियो पोस्ट करने वालों पर कार्रवाई हो’
इसके बाद कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि जो अकाउंट बार-बार फर्जी वीडियो पोस्ट कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. उनके नाम सार्वजनिक डोमेन में भी डाले जाने चाहिए. कोर्ट ने आगे कहा कि चुनाव आयोग गतिशील निषेधाज्ञा के बारे में भी सोच सकता है ताकि डीपफेक वीडियो के रीट्वीट को भी निष्क्रिय किया जा सके.
आपको बता दें कि यह याचिका वकीलों के संगठन लॉयर्स वॉयस द्वारा दायर की गई थी. इसमें चुनाव आयोग को आवश्यक दिशा-निर्देश तैयार करने और लागू करने और लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के 2024 के चुनावों के लिए राजनीतिक कैंपेन में डीपफेक तकनीकों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान और लोकतांत्रिक संकट को दूर करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी.
जनहित याचिका में गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, अभिनेता रणवीर सिंह और आमिर खान के डीपफेक वीडियो का जिक्र किया गया. कहा गया कि ऐसे वीडियो गलत सूचना फैला रहे हैं, इन्हें तुरंत हटाया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता ने कहा है कि डीपफेक तकनीक के इस्तेमाल के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इंटरनेट पर गलत सूचना का प्रसार, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की संभावना को सीधे और महत्वपूर्ण रूप से कमजोर करता है.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.