MP के सत्ता संगठन से नाराज़ शाह, लगाई कड़ी फटकार, विधायक मंत्रियों और संगठन नेताओं को दिया अल्टीमेटम

लोकसभा चुनावों के पहले दो चरणों में लगातार गिरते मतदान प्रतिशत के चलते बीजेपी की सांसें फूली हुई हैं। लगातार कम होते मतदान के चलते जहां बीजेपी के अबकी बार 400 पार के लक्ष्य को बट्टा लगता दिखाई दे रहा है तो वहीं प्रदेश में अबकी बार 29 पार का लक्ष्य भी नामुमकिन दिखाई देने लगा है। दूसरी तरफ प्रदेश संगठन के नेता और विधायक, मंत्री मैदान पर मेहनत करने के बजाय मोदी लहर और राम मंदिर के भरोसे सिर्फ बड़े बड़े  दावे करने में व्यस्त थे। यहां तक कि 24 अप्रेल को भोपाल में प्रधानमंत्री मोदी का रोड शो भी स्थानीय नेताओं और विधायकों की निष्क्रियता के चलते फ्लॉप साबित हुआ। इन सब कारणों के चलते बीजेपी आलाकमान प्रदेश के सत्ता संगठन से खासा नाराज़ है। और इसी नाराज़गी के चलते गृहमंत्री अमित शाह ने मध्यप्रदेश बीजेपी के आला नेताओं और विधायक मंत्रियों को जमकर लताड़ लगाई है।

पंजाब केसरी को मिली जानकारी के मुताबिक, गृहमंत्री अमित शाह 26 अप्रेल को जब भोपाल में रुके थे तब शाह ने मुख्यमंत्री और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष समेत आला नेताओं खास तौर पर भोपाल लोकसभा के सभी विधायकों को देर रात तलब किया। इस बैठक में शाह ने अब तक हुए मतदान के दोनों चरणों मे हुए कम मतदान पर नेताओं को जमकर लताड़ लगाई। विशेष तौर पर भोपाल में हुए प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो की असफलता पर भी भोपाल के सभी विधायकों की जमकर क्लास ली। शाह ने दो टूक कहा कि अगर मोदी के रोड शो के बादजूद भोपाल लोकसभा रिकार्ड मतों से नहीं जीती गई तो ना कोई मंत्री रहेगा और ना ही अगली बार कोई विधायक। इतना ही नही शाह ने कहा अगर म प्र के मिशन 29 में एक भी सीट कम होती है तो इसकी सीधी गाज सत्ता और संगठन में बैठे शीर्ष नेताओं पर भी गिरना तय है। जिसका परिणाम ये हुआ की अभी तक भोपाल में जहां बीजेपी उम्मीदवार अकेले ही प्रचार करते दिखाई दे रहे थे, शाह की फटकार के अगले ही दिन हर एक विधानसभा में सी एम के रोड शो से लेकर महाजनसंपर्क अभियान तक सब शुरू हो गया। जहां स्थानीय विधायक भी सड़कों पर दिखाई देने लगे। दूसरी तरफ प्रदेश बीजेपी के नेता भी कांग्रेस विधायकों और नेताओं को तोड़कर बीजेपी में लाने जी जान से जुट गए। इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम और काँग्रेस के सीनियर विधायक रामनिवास रावत का बीजेपी में आने का घटनाक्रम इसी के बाद हुआ।

भोपाल में शाह की टीम कर रही हर नेता का रिपोर्ट कार्ड तैयार, मंत्री विधायकों की एक एक हरकत पर है नज़र

दरअसल इन लोकसभा चुनावों में बीजेपी मप्र में क्लीन स्वीप करने का लक्ष्य लेकर चल रही है, जो कि अबकी बार 400 पार के लक्ष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जिसके चलते प्रदेश में 29 पार लेकर तैयारियां जोरशोर से की गईं थीं। लेकिन मतदान में आ रही गिरावट और मोदी लहर के भरोसे बैठे बीजेपी नेताओं के चलते अब ये लक्ष्य बेहद मुश्किल नज़र आने लगा है। जिसके चलते शाह की टीम ने भोपाल में डेरा डाल रखा है। ये टीम बीजेपी नेताओं समेत मंत्री विधायकों का रिपोर्टकार्ड तैयार कर रही है। यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों की एक एक हरकत पर भी टीम की पैनी नज़र है, जिसकी रिपोर्ट हर दिन दिल्ली भेजी जा रही है।

कम वोटिंग के चलते मोहन कैबिनेट के ये मंत्री आए रडार पर

लोकसभा चुनावों के दो चरणों में मध्यप्रदेश में 12 मंत्रियों के क्षेत्र में 8.5% कम वोटिंग हुई है।
सबसे कम मतदान वाली 10 में से 9 विधानसभा सीट बीजेपी के पास है। यहां 2023 के विधानसभा चुनाव की तुलना में लोकसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत काफी कम रहे हैं।
दो कैबिनेट और एक राज्य मंत्री वाली होशंगाबाद सीट पर 6.98% कम मतदान हुआ है।
डिप्टी सीएम राज शुक्ला के गृह लोकसभा क्षेत्र रीवा में 10.91% कम मतदान हुआ है।
इसी प्रकार प्रहलाद पटेल के क्षेत्र में 15.24% कम वोटिंग हुई है।
राव उदय प्रताप सिंह के क्षेत्र में 10.42% कम मतदान हुआ है।
नरेंद्र शिवाजी पटेल के क्षेत्र में 21.3 फीसदी कम वोटिंग हुई है।
रीवा विधानसभा में 13.5% कम मतदान हुए है।
मंत्री राधा सिंह के विधानसभा क्षेत्र चितरंगी में 16.09 प्रतिशत कम मतदान हुआ है।
संस्कृति राज्य मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी के क्षेत्र जबेरा में 13.18 फीसदी कम मतदान हुआ है।
लोकसभा चुनाव के बाद म प्र के सत्ता संगठन में हो सकते हैं बड़े बदलाव।

जिस तरह से बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व की नज़र मप्र पर है और शाह की टीम नेताओं मंत्रियों और विधायकों के जो रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रही है। उससे ये साफ है कि लोकसभा चुनावों के परिणामों के आधार पर चुनाव बाद प्रदेश के सत्ता संगठन में बड़ा बदलाव देखा जा सकता है। जिसमें कई मंत्रियों और संगठन के शीर्ष नेतृत्व की भी कुर्सी जाने का अंदेशा साफ तौर पर मंडरा रहा है। और इसी के चलते अब प्रदेश बीजेपी के नेताओं के सामने बाकी बचे दो चरणों के मतदान प्रतिशत को बढ़ाने और मिशन 29 को सफल करने का दबाव साफतौर पर देखा जा रहा है।

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