बीजेपी को सबक सिखाना है… अब इंदौर सीट पर बिना प्रत्याशी के कांग्रेस ऐसे लड़ेगी चुनाव

मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस को बड़ा झटका लग चुका है. उसके प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम ने सोमवार को अपना नामांकन वापस ले लिया और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए. इसके बाद सियासी सरगर्मी तेज हो गई और कांग्रेस बीजेपी पर हमलावर है. अब वह इंदौर सीट पर नोटा का समर्थन करेगी. साथ ही साथ इसके लिए हर वार्ड में छोटी-छोटी सभाएं करेगी. कांग्रेस का कहना है कि वह किसी भी निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेगी.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि पहले बूथ कैप्चर होते थे, अब प्रत्याशी ही कैप्चर हो रहा है. ये लड़ाई बीजेपी-कांग्रेस की नहीं है. कांग्रेस अब चुनाव नहीं लड़ रही है. उसका चुनाव चिन्ह ही निकल गया, लेकिन ये लड़ाई अब न्याय की है. इंदौर की राजनीतिक अस्मिता की है. चुनाव का बहिष्कार हम नहीं करेंगे, लेकिन हमारे पास नोटा का विकल्प है.

बीजेपी की मनमानी चल रही है- जीतू पटवारी

जीतू पटवारी ने निर्दलीय प्रत्याशियों को लेकर कहा कि उन्हें हमने बीजेपी से बचाया है. उन्होंने जिला निर्वाचन अधिकारी पर सवाल उठाए है और कहा कि नामांकन वापस लेने का समय तीन बजे का था, लेकिन चार बजे तक चीजें चलती रहीं. कांग्रेस किसी को समर्थन नहीं देगी. बीजेपी लगातार लोकतंत्र की हत्या किए जा रही है, लेकिन यह स्थिति है कि किसी को चुनाव भी नहीं लड़ने दिया जा रहा है. सत्ता है तो अपनी मनमानी चल रही है. अब कांग्रेस का दायित्व बन चुका है कि बीजेपी को सबक सिखाना है.

इंदौर में कांग्रेस के प्रत्याशी के नामांकन वापस लेने को लेकर मध्य प्रदेश के मंत्री और बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने जानकारी दी थी. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार अक्षय कांति बाम का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी में स्वागत है.

सूरत सीट पर बीजेपी की कैसे हुई जीत?

पिछले महीने की शुरुआत में कांग्रेस के सूरत उम्मीदवार नीलेश कुंभानी चुनाव की दौड़ से बाहर हो गए क्योंकि जिला रिटर्निंग अधिकारी की ओर से प्रथम दृष्टया प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में विसंगतियां पाई गईं और उनकी उम्मीदवारी खारिज कर दी गई थी. सीट के लिए पार्टी के दूसरे उम्मीदवार सुरेश पडसाला का भी नामांकन फॉर्म खारिज कर दिया गया. कुंभानी ने दावा किया था कि उनकी पार्टी के सहयोगियों ने चुनाव प्रचार के दौरान उनकी मदद नहीं की.

हालांकि, कांग्रेस ने उन पर पलटवार करते हुए कहा कि नामांकन रद्द करना कुंभानी की एक योजना का हिस्सा था और साथ ही उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निलंबित भी कर दिया. कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी के प्यारेलाल भारती सहित कुल आठ उम्मीदवारों ने सूरत से अपना नामांकन वापस लेने का विकल्प चुना. इसके बाद 22 अप्रैल को बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में अपनी पहली जीत हासिल की. सूरत लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार मुकेश दलाल निर्विरोध विजयी हुए.

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