बिना आरटीपीसीआर प्रोफेसर को ठहरा दिया कोरोना संक्रमित, प्रशासन ने चुनाव ड्यूटी से मुक्त कर किया क्वारंटाइन

जबलपुर। लोकसभा चुनाव आचार संहिता के दौरान जब सरकारी कर्मचारियों को चिकित्सा अवकाश देने में गहन स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है, तब राइट टाउन सुखेजा टावर स्थित बंसल पैथोलाॅजी की बड़ी लापरवाही सामने आयी है। एक कोरोना संदिग्ध के नमूने की परीक्षण प्रक्रिया में पैथोलाॅजी ने कोविड गाइडलाइन को ही ठेंगा दिखा दिया। बिना आरटीपीसीआर जांच के ही मरीज को कोरोना संक्रमित ठहरा दिया।

मामला एक महिला प्रोफेसर से जुड़ा है। जिसे निजी पैथोलाजी लैब से मिली कोरोना संक्रमित होने की रिपोर्ट के बाद चुनावी कार्य से मुक्त कर दिया गया है। शनिवार को आनन-फानन में महिला प्रोफेसर का नमूना अब आरटीपीसीआर जांच के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज भेजा गया है। स्वास्थ्य विभाग अब कोरोना जांच प्रक्रिया में निजी लैब की लापरवाही पर शिकंजा कसने जा रहे है। मामले में पैथोलाजी से स्पष्टीकरण मांगे जाने की तैयारी है। गड़बड़ी मिलने पर पैथोलाजी का लाइसेंस निलंबित किया जा सकता है।

नियम और प्रक्रिया का अंतर

एक सरकारी कालेज में प्रोफेसर सिविल लाइंस निवासी 56 वर्षीय महिला ने सुर्दी-जुकाम होने पर बंसल पैथोलाजी में जाकर कोरोना जांच के लिए नमूना दिया। सूत्रों के अनुसार निजी पैथोलाजी से छह अप्रैल को प्राप्त जांच रिपोर्ट में प्रोफेसर कोरोना संक्रमित मिली। यह जांच टू् नाट मशीन से की गई थी। कोरोना गाइडलाइन के अनुसार निजी लैब में जांच में कोई भी व्यक्ति कोरोना जांच कराता है तो उसकी जानकारी तुरंत स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को देना होता है।

किसी भी व्यक्ति को कोरोना संक्रमित रिकार्ड में तब तक नहीं माना जाएगा जब तक कि वह आरटीपीसीआर टेस्ट में पाजिटिव ना मिले। इसलिए ट्रू नाट मशीन में पाजीटिव मरीज का नमूना तुरंत आरटीपीसीआर जांच के लिए भेजा जाना चाहिए। लेकिन बंसल पैथोलाजी ने गाइडलाइन के निर्देशों का प्रक्रिया में पालन नहीं किया। सीधे महिला प्रोफेसर के संक्रमित होने की रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड कर दिया।

नमूने देने में की आनाकानी

लोकसभा चुनाव के बीच महिला प्रोफेसर के कोरोना संक्रमित होकर अवकाश पर जाने की सूचना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मामले को संज्ञान में लिया। निजी पैथोलाजी लैब से संक्रमित महिला के स्वाब का नमूना आरटीपीसीआर जांच के लिए मांगा गया। इस पर निजी लैब ने पहले स्वाब की मात्रा कम होने का हवाला देकर नमूना देने में आनाकारी की। उसके बाद भी नमूने को मेडिकल कालेज की आरटीपीसीआर लैब तक पहुंचने के मार्ग में भी रोड़े अटकाने का प्रयास किया।

घेरे में एक माइक्राेबायोलोजिस्ट

संक्रमित महिला का नमूना देने में आनकानी से निजी लैब में कार्यरत एक माइक्रोबायोलोजिस्ट की भूमिका संदिग्ध हो गई है। सूत्रों के अनुसार निजी लैब में संबंधित माइक्रोबायोलोजिस्ट की निगरानी में ही कोरोना संदिग्ध प्रोफेसर के नमूने की जांच हुई थी। यह माइक्राेबायोलाजिस्ट मेडिकल कालेज में भी सहायक प्रोफेसर के पद पर पदस्थ होना बताई जा रही है। माइक्राबायोलोजिस्ट द्वारा कोरोना संदिग्ध महिला का नूमना मेडिकल कालेज में जमा करने से रोकने के प्रयास किए गए थे। मामले में जब मेडिकल कालेज के अधिकारियों के हस्तक्षेप किया उसके बाद नमूना आरटीपीसीआर लैब में जांच के लिए पहुंच पाया।

इनका कहना है

जांच में यदि काेई भी व्यक्ति कोरोना संदिग्ध या संक्रमित मिलता है, तो उसकी सूचना तुरंत स्वास्थ्य विभाग को देने का निर्देश है। निजी लैब से जारी एक रिपोर्ट में मरीज को स्क्रीनिंग रिपोर्ट के आधार पर ही कोरोना संक्रमित घोषित कर दिया गया है। कोरोना संक्रमण की पुष्टि के लिए आवश्यक आरटीपीसीआर टेस्ट नहीं कराया गया। जानकारी मिलने पर संबंधित मरीज के नमूने का आरटीपीसीआर टेस्ट कराया जा रहा है। लापरवाही करने वालों के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाएगी।

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