हिन्दू धर्म में साल में दो बार छठ का पर्व मनाया जाता है. चैत्र माह में आने वाली छठ को चैती छठ और कार्तिक माह में मनाई जाने वाली छठ को कार्तिकी छठ के रूप में मनाया जाता है. चैती छठ चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है, जिसे यमुना छठ के नाम भी कहा जाता है. यमुना छठ के दिन लोग यमुना नदी में सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और छठी माता की विधान से पूजा-पाठ करते हैं.
बता दें कि सनातन धर्म में भारतीय संस्कृति में कई नदियों को मां का दर्जा दिया गया है साथ ही उन्हें पूजनीय भी माना गया है. यमुना नदी भी पवित्र नदिओं में से एक है. वहीं यमुना छठ को उत्तर भारत के कई शहरों में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. ऐसे में आप यमुना छठ पर इस स्तुति का पाठ करके शुभ फलों की प्राप्ति कर सकते हैं.
यमुना छठ शुभ मुहूर्त | Chaiti Chhath Shubh Muhurat
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 13 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 04 मिनट पर शुरू होगी और 14 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, यमुना छठ का पर्व 14 अप्रैल 2024 रविवार के दिन मान्य होगा.
यमुना छठ पर करें ये स्तुति पाठ | Yamuna Chhath Stuti Path
नमामि यमुनामहं सकल सिद्धि हेतुं मुदा, मुरारि पद पंकज स्फ़ुरदमन्द रेणुत्कटाम । तटस्थ नव कानन प्रकटमोद पुष्पाम्बुना, सुरासुरसुपूजित स्मरपितुः श्रियं बिभ्रतीम । १ ।
कलिन्द गिरि मस्तके पतदमन्दपूरोज्ज्वला, विलासगमनोल्लसत्प्रकटगण्ड्शैलोन्न्ता । सघोषगति दन्तुरा समधिरूढदोलोत्तमा, मुकुन्दरतिवर्द्धिनी जयति पद्मबन्धोः सुता । २ ।
भुवं भुवनपावनी मधिगतामनेकस्वनैः, प्रियाभिरिव सेवितां शुकमयूरहंसादिभिः । तरंगभुजकंकण प्रकटमुक्तिकावालूका, नितन्बतटसुन्दरीं नमत कृष्ण्तुर्यप्रियाम । ३ ।
अनन्तगुण भूषिते शिवविरंचिदेवस्तुते, घनाघननिभे सदा ध्रुवपराशराभीष्टदे । विशुद्ध मथुरातटे सकलगोपगोपीवृते, कृपाजलधिसंश्रिते मम मनः सुखं भावय । ४ ।
यया चरणपद्मजा मुररिपोः प्रियं भावुका, समागमनतो भवत्सकलसिद्धिदा सेवताम । तया सह्शतामियात्कमलजा सपत्नीवय, हरिप्रियकलिन्दया मनसि मे सदा स्थीयताम । ५ ।
नमोस्तु यमुने सदा तव चरित्र मत्यद्भुतं, न जातु यमयातना भवति ते पयः पानतः । यमोपि भगिनीसुतान कथमुहन्ति दुष्टानपि, प्रियो भवति सेवनात्तव हरेर्यथा गोपिकाः । ६ ।
ममास्तु तव सन्निधौ तनुनवत्वमेतावता, न दुर्लभतमारतिर्मुररिपौ मुकुन्दप्रिये । अतोस्तु तव लालना सुरधुनी परं सुंगमा, त्तवैव भुवि कीर्तिता न तु कदापि पुष्टिस्थितैः । ७ ।
स्तुति तव करोति कः कमलजासपत्नि प्रिये, हरेर्यदनुसेवया भवति सौख्यमामोक्षतः । इयं तव कथाधिका सकल गोपिका संगम, स्मरश्रमजलाणुभिः सकल गात्रजैः संगमः । ८ ।
तवाष्टकमिदं मुदा पठति सूरसूते सदा, समस्तदुरितक्षयो भवति वै मुकुन्दे रतिः । तया सकलसिद्धयो मुररिपुश्च सन्तुष्यति, स्वभावविजयो भवेत वदति वल्लभः श्री हरेः । ९ ।
।। इति श्री वल्लभाचार्य विरचितं यमुनाष्टकं सम्पूर्णम ।।
यमुना छठ महत्व | Yamuna Chhath Ka Mahatva
हिंदू धर्म में गंगा को ज्ञान की देवी और यमुना को भक्ति का सागर माना गया है. ऐसी मान्यता है कि यमराज ने यमुना को वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति यमुना नदी में स्नान करेगा, उसे यमलोक नहीं जाना पड़ेगा. यही वजह है कि यमुना जयंती (यमुना छठ) के दिन ब्रज में यमुना में हर साल छठ पर आस्था की डूबकी लगाई जाती है. इससे लोगों के पाप धुल जाते हैं. इसके अलावा शनिदेव की कृपा भी बनी रहती है. क्योंकि देवी यमुना सूर्य और छाया की पुत्री और मृत्यु के देवता यमराज और शनि देव की बहन मानी जाती है.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.