जिन सीटों पर गरीब बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश का प्रवि‍धान वहीं कर रहे उगाही

जबलपुर। कापी-किताब और गणवेश में कमीशन का खेल कर रहे निजी स्कूल गरीबों से भी उगाही से बाज नहीं आ रहे है। मामला निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित सीटों पर प्रवेश का है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक निजी स्कूल में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं। इन सीटों पर गरीब बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश का प्रवि‍धान है। इन बच्चों के शुल्क की प्रतिपूर्ति सरकार की ओर से की जाती है। लेकिन दोनों हाथ से रुपये बंटारेने की लालची स्कूल प्रबंधन आरटीइ की सीटों में खेल कर रहे है। नि:शुल्क सीटों पर प्रवेश के पात्र बच्चों के अभिभावकों से अलग-अलग मद में शुल्क झटक रहे है। निजी स्कूलों की उगाही से घबराकर कई बच्चे पात्रता के बावजूद बेहतर शिक्षा के अवसर से वंचित हो रहे है।

  • – 756 स्कूल आरटीइ के अंतर्गत है।

 

  • – 4600 सीटे इनमें आरटीइ की है।

 

  • – 3900 आवेदन इनके लिए मिले।

 

  • – 2700 सीटों पर ही प्रवेश हुआ है।

नोट: कक्षा पहली में प्रवेश की प्रक्रिया के आंकड़े।

ऐसे कर रहे खेल

गढ़ा स्थित एक निजी स्कूल ने आरटीइ के अंतर्गत गरीब परिवार के बच्चे को कक्षा पहली में प्रवेश दिया। नि:शुल्क पढ़ाई का आश्वासन दिया। लेकिन जब प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण हो गई तो अभिभावक से व्यक्तित्व विकास के नाम पर 4 हजार रुपये शुल्क जमा करा लिया। यह राशि संबंधित स्कूल में प्रति माह सामान्य बच्चों से लिए जा रहे शुल्क की लगभग आधी है। महाराजपुर स्थित एक स्कूल में शाला गतिविधि शुल्क के नाम पर आरटीइ सीट में प्रवेशित छात्र से ढाई हजार रुपये शुल्क ऐंठ लिए गए। जबकि आरटीइ के अंतर्गत निर्धारित सीटों पर गरीब छात्र-छात्राओं से निजी स्कूल में कोई शुल्क नहीं लिया जाना है।

प्रवेश से कतराने लगे

निजी स्कूलों की मनमानी से त्रस्त होकर कमजोर आय वर्ग के बच्चे आरटीइ की सीटों पर प्रवेश से कतराने लगे है। इसका इशारा आरटीइ की निर्धारित सीटों पर इस वर्ष कक्षा पहली में प्रवेश के लिए अपनाई गई प्रक्रिया से भी मिल रहा है। प्रवेश के पहले चरण की आरटीइ प्रक्रिया में निर्धारित सीटों के बराबर आवेदन भी शिक्षा विभाग को प्राप्त नहीं हुए है। जबकि विभाग को निर्धारित सीटों से ज्यादा संख्या में आवेदन प्राप्त होने की आशा थी।

कार्रवाई की आशा जागी

एक ही स्कूल से कापी-किताब, गणवेश और अन्य शैक्षणिक सामग्री क्रय करने के लिए बाध्य करने वाले निजी स्कूलों की लूट के विरुद्ध जिला प्रशासन ने पहली बार कड़ा कदम उठाया है। जिस प्रकार से साठगांठ में निपुण नामी निजी स्कूलों पर प्रशासन ने कार्रवाई का पहला कोढ़ा चलाया है, उससे निजी स्कूलों की अन्य मनमानियों के विरुद्ध भी अभिभावकों को कार्रवाई की आशा जागी है। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार आरटीइ की सीटों पर प्रवेश नि:शुल्क है। स्कूल किसी भी प्रकार का शुल्क मांगते है और उसकी प्राप्त होने पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।

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