देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत बेहद शुभ माना जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, अगर इस व्रत को विधि-विधान से किया जाता है तो विवाह में आ रही रुकावटें भी दूर हो जाती हैं. अप्रैल माह में प्रदोष व्रत 6 अप्रैल को है और इस दिन शनिवार होने की वजह से इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इस दिन अगर कोई व्यक्ति शिवशक्ति की पूजा करता है तो विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाती है.
प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. इस दिन लोग शिवजी के साथ देवी पार्वती की भी पूजा करते हैं. इस दिन कठिन उपवास का पालन करने से शादी से जुड़ी हर मुश्किले दूर होती है. इसके अलावा शनि प्रदोष के दिन जानकीकृतं पार्वती स्तोत्र का पाठ भी बेहद फलदायक माना जाता है, तो आइए यहां जानते हैं.
शनि प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त (Shani Pradsoh Vrat 2024 Muhurat)
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 6 अप्रैल, सुबह 10:19 बजे शुरू होगी और इस तिथि का समापन 7 अप्रैल को सुबह 6.53 बजे होगा. प्रदोष व्रत पूजा के लिए सबसे अच्छा समय संध्याकाल होता है क्योंकि प्रदोष पूजा संध्या काल में ही की जाती है.
इस स्त्रोत का करें पाठ
।।जानकीकृतं पार्वती स्तोत्र।।
जानकी उवाच
शक्तिस्वरूपे सर्वेषां सर्वाधारे गुणाश्रये।
सदा शंकरयुक्ते च पतिं देहि नमोsस्तु ते।।
सृष्टिस्थित्यन्त रूपेण सृष्टिस्थित्यन्त रूपिणी।
सृष्टिस्थियन्त बीजानां बीजरूपे नमोsस्तु ते।।
हे गौरि पतिमर्मज्ञे पतिव्रतपरायणे।
पतिव्रते पतिरते पतिं देहि नमोsस्तु ते।।
सर्वमंगल मंगल्ये सर्वमंगल संयुते।
सर्वमंगल बीजे च नमस्ते सर्वमंगले।।
सर्वप्रिये सर्वबीजे सर्व अशुभ विनाशिनी।
सर्वेशे सर्वजनके नमस्ते शंकरप्रिये।।
परमात्मस्वरूपे च नित्यरूपे सनातनि।
साकारे च निराकारे सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।
क्षुत् तृष्णेच्छा दया श्रद्धा निद्रा तन्द्रा स्मृति: क्षमा।
एतास्तव कला: सर्वा: नारायणि नमोsस्तु ते।।
लज्जा मेधा तुष्टि पुष्टि शान्ति संपत्ति वृद्धय:।
एतास्त्व कला: सर्वा: सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।
दृष्टादृष्ट स्वरूपे च तयोर्बीज फलप्रदे ।
सर्वानिर्वचनीये च महामाये नमोsस्तु ते।।
शिवे शंकर सौभाग्ययुक्ते सौभाग्यदायिनि।
हरिं कान्तं च सौभाग्यं देहि देवी नमोsस्तु ते।।
फलश्रुति
स्तोत्रणानेन या: स्तुत्वा समाप्ति दिवसे शिवाम्।
नमन्ति परया भक्त्या ता लभन्ति हरिं पतिम्।।
इह कान्तसुखं भुक्त्वा पतिं प्राप्य परात्परम्।
दिव्यं स्यन्दनमारुह्य यान्त्यन्ते कृष्णसंनिधिम्।।
(श्री ब्रह्मवैवर्त पुराणे जानकीकृतं पार्वतीस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।)
शनि प्रदोष व्रत को लेकर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब
सवाल- शनि प्रदोष व्रत में क्या खाना चाहिए?
जवाब- प्रदोष काल उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए. इसके अलावा आप पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं.
सवाल- प्रदोष व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?
जवाब- प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए. व्रत में मसालेदार चीजें खाने से बचें.
सवाल – प्रदोष व्रत के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
जवाब – प्रदोष व्रत के दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए और किसी का अपमान नहीं करना चाहिए. इस दिन काले रंग के कपड़े नहीं पहनने और किसी पर क्रोध करने से बचें.
सवाल – प्रदोष व्रत में कैसे कपड़े पहनने चाहिए?
जवाब – प्रदोष व्रत वाले दिन व्रती को काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए. इस दिन पीले और लाल रंग के कपड़े पहनना एक अच्छा शगुन है.
सवाल – प्रदोष व्रत में कौन सा नमक खाना चाहिए?
जवाब- इस उपवास में केवल सेंधा नमक खाना ही मान्य है और अन्य नमक का सेवन वर्जित है. ऐसा इसलिए क्योंकि, सेंधा नमक पुर्णतः शुद्ध होता है.
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