मुख्तार का अब कौन होगा सियासी ‘मुख्तार’, अब्बास, उमर या फिर अफजाल

बाहुबली मुख्तार अंसारी का निधन हुए एक सप्ताह होने जा रहा है. अब सियासी गलियारों में चर्चा मुख्तार के सियासी वारिस को लेकर हो रही है. उनके दो बेटे अब्बास अंसारी और उमर अंसारी हैं. अब्बास अंसारी कासगंज जेल में डेढ़ साल से बंद हैं, जबकि उमर अंसारी जमानत पर हैं. मुख्तार अंसारी के सुपुर्द-ए-खाक के वक्त बेटे उमर अंसारी और भाई अफजाल अंसारी मुख्य भूमिका में नजर आ रहे थे. इतना ही नहीं मुख्तार अंसारी के जनाजे में अंतिम समय अपने पिता के मूंछ को ताव देकर उमर अंसारी ने एक बड़ा संदेश दे दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि अब्बास, उमर और अफजाल अंसारी में से मुख्तार का सियासी ‘मुख्तार’ कौन होगा?

मुख्तार अंसारी का पूरा परिवार सियासी है. मुख्तार के दादा स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं, जबकि उनके पिता गाजीपुर से नगर पालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं. मुख्तार अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. उनके दो बड़े भाई सिबाकतुल्लाह अंसारी और अफजाल अंसारी हैं, जो पहले से सियासत में हैं. मुख्तार के बड़े भाई सिबाकतुल्लाह अंसारी के तीन बेटे हुए, सोहेब अंसारी, सलमान अंसारी और सहर अंसारी. अफजाल अंसारी की तीन बेटियां हैं, जबकि मुख्तार के दो बेटे हैं. बड़े बेटे का नाम अब्बास अंसारी और छोटे का नाम उमर अंसारी है.

मुख्तार अंसारी का पूरा परिवार सियासत में है. मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने सबसे पहले सियासी पारी का आगाज किया. अफजाल अंसारी 5 बार विधायक और दो बार सांसद रहे. गाजीपुर सीट से मौजूदा समय में सांसद हैं और फिर से एक बार चुनावी मैदान में हैं. वहीं, सिबाकतुल्लाह अंसारी दो बार विधायक रह चुके हैं और अब उनके बेटे सोहेब उर्फ मन्नू अंसारी सपा से विधायक हैं. मुख्तार अंसारी मऊ सीट से पांच बार विधायक रहे हैं और 2022 में चुनाव नहीं लड़े थे. मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे अब्बास अंसारी मऊ सीट से ही सुभासपा के विधायक हैं, लेकिन फिलहाल जेल में बंद हैं. डेढ़ दर्जन मामले उनके ऊपर दर्ज हैं.

लाइमलाइट में उमर अंसारी

मुख्तार अंसारी के जीते जी ही उनके बड़े बेटे अब्बास अंसारी ने मऊ से विधायक बनकर अपने पिता राजनीतिक विरासत संभाली है. मुख्तार अंसारी के क्षेत्र मऊ की सदर सीट से अब्बास अंसारी सुभासपा से विधायक हैं, लेकिन जेल में बंद हैं. इसके चलते उमर अंसारी अपने भाई अब्बास अंसारी के क्षेत्र के लोगों से मिलने से लेकर कामकाज तक देखते हैं. मुख्तार अंसारी के निधन के बाद जिस तरह से उमर अंसारी ही सबसे फ्रंटफुट पर दिखे हैं, उसके बाद से ही उनके सियासत में आने को लेकर चर्चा तेज हो गई है.

पूर्वांचल की सियासत में मुख्तार की तूती बोलती थी. मुख्तार अंसारी को कुछ लोग माफिया और अपराधी मानते हैं, तो कुछ लोग उसे अपना मसीहा मानते रहे हैं, ऐसे रुतबे और रूआब वाले मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अब एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि अब मुख्तार अंसारी की विरासत को आगे कौन बढ़ाएगा? बड़ा बेटा होने के नाते ये जिम्मेवारी तो अब्बास अंसारी को मिलनी चाहिए थी, लेकिन अभी वो जेल में हैं, ऐसे में मुख्तार के निधन के बाद जिस तरह उनके बड़े भाई अफजाल अंसारी और छोटे बेटे उमर अंसारी फ्रंटफुट पर नजर आए हैं उसे देखते हुए लोगों की निगाहें चाचा-भतीजे पर हैं.

मुख्तार अंसारी के निधन के बाद राजनीतिक दलों के नेता दुख जाहिर करने उनके घर पहुंचे तो अफजाल अंसारी और उमर अंसारी ही मिलते नजर आए हैं. इतना ही नहीं मुख्तार अंसारी का जनाजा जब गाजीपुर पहुंचा था तो घर पर जुटी भीड़ को उमर अंसारी ने संबोधित किया था. कफन में लिपटे मुख्तार अंसारी के मूंछ पर उमर अंसारी ने ताव देकर संदेश दे दिया था कि भले ही उनके पिता सुपुर्द-ए-खाक हो गए हैं, लेकिन उनकी शान को बेटा कम नहीं होने देगा.

उमर बढ़ाएंगे मुख्तार की विरासत?

सपा नेता धर्मेंद्र यादव से लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य और कांग्रेस नेताओं के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्तार अंसारी के परिवार से मुलाकात कर दुख जाहिर किया, तो इन सभी नेताओं से उमर अंसारी और अफजाल दोनों मिले, लेकिन असदुद्दीन ओवैसी के साथ सिर्फ उमर ने ही मुलाकात की. इस दौरान उमर अंसारी ने ओवैसी के साथ रात का खाना भी खाया. अफजाल अंसारी, सिबाकतुल्लाह अंसारी और मन्नू अंसारी की तस्वीर ओवैसी के साथ नहीं आई, ऐसे में छोटे बेटे उमर अंसारी और अफजाल क्या मुख्तार की विरासत को आगे बढ़ाएंगे?

मुख्तार के सियासत में आने पहले ही अफजाल अंसारी ने अपनी राजनीतिक पारी का आगाज कर दिया था. अफजाल अंसारी गाजीपुर की मोहम्दाबाद से पांच बार विधायक रहे हैं. अफजाल अंसारी ने गाजीपुर को अपनी सियासी कर्मभूमि बनाया, मुख्तार अंसारी ने सियासत में कदम रखा तो गाजीपुर के बजाय मऊ को चुना. 1996 से लेकर 2022 तक मऊ सीट का प्रतिनिधित्व किया. 2022 में मऊ सीट ने जब खुद चुनाव नहीं लड़े तो अपने बेटे अब्बास अंसारी को लड़ाया. इससे पहले 2017 में अब्बास अंसारी ने मऊ जिले की घोसी सीट से अपनी पारी का आगाज किया था, लेकिन जीत नहीं सके थे.

मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी ने अपनी-अपनी सियासी कर्मभूमि बनाई है. वो एक दूसरे के सियासी मदद तो करते, लेकिन एक दूसरे के गढ़ में खुद को स्थापित करने के लिए कदम आगे नहीं बढ़ाए. अफजाल अंसारी और उनके बड़े भाई सिबाकतुल्लाह अंसारी और भतीजे मन्नू अंसारी ने गाजीपुर जिले को राजनीतिक क्षेत्र बना रखा तो मुख्तार का परिवार मऊ को अपना दुर्ग बनाने में लगा है. मुख्तार अंसारी ने 2019 में अपने करीबी अतुल राय को घोसी से सांसद बनाया था.

गार्जियन की भूमिका में अफजाल अंसारी

मुख्तार अंसारी के निधन के बाद उपजी सहानुभूति का असर गाजीपुर, मऊ और आसपास के जिले में हो सकता है. सपा ने गाजीपुर से अफजाल अंसारी को प्रत्याशी बना रखा है, ऐसे में मुख्तार अंसारी के निधन के बाद उमर अंसारी लाइम लाइट में है, उसके चलते माना जा रहा है कि वो सियासत में कदम रख सकते हैं. मुख्तार अंसारी के परिवार के करीबी ने बताया कि अमर अंसारी राजनीति में आते हैं तो गाजीपुर के बजाय मऊ को चुनेंगे. इसकी वजह ये है कि गाजीपुर को अफजाल अंसारी ने बनाया है, जबकि मऊ में सियासी तौर पर मुख्तार अंसारी ने जमीन तैयार की है. इस तरह से अमर अगर चुनाव भी लड़ते हैं तो गाजीपुर के बजाय घोसी सीट उनकी पसंद बनेगी.

मुख्तार के दुनिया से अलविदा होने के बाद अब्बास अंसारी और उमर अंसारी के लिए अफजाल अंसारी गार्जियन हैं, ऐसे में उमर और अब्बास किसी भी सूरत में अपने गार्जिनय के खिलाफ खड़े नहीं होंगे, क्योंकि उनकी ताकत परिवार की एकता में है. हालांकि, अफजाल अंसारी के खिलाफ काफी मामले दर्ज हैं, जिसके चलते उनकी लोकसभा सदस्यता पर भी ग्रहण लग गया था. ऐसी स्थिति में कुछ कहा नहीं जा सकता है, लेकिन फिलहाल जिस तरह से सियासी हालत दिख रहे हैं, उसमें मुख्तार अंसारी की विरासत उनके दोनों बेटे अब्बास और उमर ही आगे बढ़ाते नजर आएंगे?

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.