जबलपुर। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ ने भोपाल स्थित बंसल कंस्ट्रक्शन वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों अनिल बंसल व कुणाल बंसल की जमानत अर्जी पर सुनवाई पूरी करते हुए सशर्त जमानत का लाभ दे दिया। इसके तहत बिना अनुमति देश नहीं छोड़ सकते। साथ ही जांच एजेंसी व अदालत को सहयोग करना होगा। मामला भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों को 20 लाख रुपये की रिश्वत देने के आरोप से जुड़ा है।
दो निदेशकों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया था
दरअसल, सड़क निर्माण का ठेका पाने के लिए एनएचएआइ अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप में सीबीआई ने कंपनी के दो निदेशकों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। कंपनी और एनएचएआई के कुछ अन्य कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया गया था। भोपाल की सीबीआइ विशेष अदालत ने 12 मार्च को कंपनी के निदेशकों की जमानत अर्जी इस टिप्पणी के साथ निरस्त कर दी थी कि उनके विरुद्ध आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। लिहाजा, दोनों निदेशकों ने हाई कोर्ट में जमानत अर्जी दायर की है।
सुनवाई के दौरान आवेदकों अनिल बंसल व कुणाल बंसल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि मामले में प्रारंभिक जांच पूर्ण हो चुकी है। सीबीआइ दो बार रिमांड में ले चुकी है। गवाहों के बयान भी दर्ज किए जा चुके हैं। ऐसे में जेल में बंद आवेदकों को जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए। इस तरह अधिक समय तक जेल में रखना न्यायसंगत नहीं है। वहीं सीबीआइ के अधिवक्ता विक्रम सिंह ने उक्त दलील का विरोध करते हुए कहा कि अभी मामले में और जांच बाकी है। यदि इस स्थिति में जमानत का लाभ दे दिया गया तो आवेदक प्रभावशाली होने के कारण गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। इस संदेह से इन्कार नहीं किया जा सकता। केस डायरी मिल गई है, मामला तैयार करने के लिए कुछ समय और चाहिए। हाई कोर्ट ने निवेदन को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई एक अप्रैल तक बढ़ा दी। साथ ही सीबीआइ को केस डायरी पेश करने के निर्देश भी दे दिए। कोर्ट ने मोहलत दी। जिसके बाद आदेश सुना दिया।
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