उत्तर प्रदेश में सपा से गठबंधन टूटने के बाद अपना दल (कमेरावादी) ने नया सहयोगी तलाश लिया है. अपना दल (कमेरावादी) ने अब असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान किया है. अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल और असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को यूपी में गठबंधन करने की औपचारिक घोषणा की है, लेकिन समझौते में अपना दल के उम्मीदवार ही चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगे जबकि AIMIM अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी?
सूत्रों की माने तो असदुद्दीन ओवैसी ने भले ही पल्लवी पटेल की अपना दल (कमेरावादी) के साथ हाथ मिला लिया है, लेकिन यूपी में एक भी सीट पर चुनाव लड़ने का मन नहीं है. AIMIM के एक बड़े नेता ने बताया है कि पार्टी इस बार किसी भी सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगीयूपी में ओवैसी ने पल्लवी पटेल से हाथ, लेकिन AIMIM का नहीं उतरेगी अपना कैंडिडेटउन्होंने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी हमारी पार्टी एक भी सीट नहीं लड़ी थी और इस बार भी ऐसा ही निर्णय है.
यूपी में ओवैसी ने नहीं उतारे प्रत्याशी
उत्तर प्रदेश में पहले चरण की 8 सीटों पर नामांकन खत्म भी चुका है जबकि दूसरे चरण की 8 सीट पर परचे भरे जा रहे हैं, लेकिन ओवैसी की पार्टी के एक भी कैंडिडेट मैदान में नहीं है. मुरादाबाद लोकसभा सीट पर AIMIM नेता वकी रशीद ने नामांकन निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भरा था और उसे वापस भी ले लिया है. पहले और दूसरे चरण में पश्चिमी यूपी की लोकसभा सीटों पर चुनाव है, जहां पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में है. इसके बावजूद AIMIM ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है. हालांकि, प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव असदुद्दीन ओवैसी को भेजा था. यह मु्स्लिम बहुल सीटें थी, लेकिन ओवैसी ने एक भी सीट पर चुनाव लड़ने की हरी झंडी नहीं दी है.
इंडिया गठबंधन से मुकाबला
AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि हम बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन से मुकाबला करेंगे. पिछले निकाय चुनाव में AIMIM का प्रदर्शन अच्छा रहा, जिसके आधार पर लोकसभा चुनाव में बेहतर करेंगे. निकाय चुनाव में ओवैसी की पार्टी संभल में नगर पालिका अध्यक्ष अपना बनाने में कामयाब रही थी और मेरठ की मेयर सीट पर बेहतर प्रदर्शन भी किया था, सपा, बसपा और कांग्रेस से भी ज्यादा वोट हासिल हुए थे.
मुस्लिम इलाकों में भी नहीं उतारा उम्मीदवार
ओवैसी यूपी की जिन निकाय चुनाव के नतीजे के आधार पर 2024 का चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं, उन क्षेत्रों की किसी भी लोकसभा सीट पर अपना कैंडिडेट नहीं उतारा है. मेरठ में सपा, बसपा ने भी गैर-मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं, उसके बाद भी AIMIM अपना प्रत्याशी नहीं दे सकी. इसी तरह बिजनौर, नगीना और मुजफ्फरनगर सीट पर भी किसी को प्रत्याशी नहीं बनाया. रामपुर और मुरादाबाद में 50% के करीब मुस्लिम समुदाय के प्रत्याशी है, लेकिन इन दोनों सीट पर ओवैसी ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है. संभल नगर पालिका सीट पर कब्जा जमाने के बाद भी लोकसभा चुनाव में नहीं लड़ रही है. इसके अलावा अमरोहा, बदायूं और बरेली लोकसभा सीट पर भी चुनाव नहीं लड़ी, जहां 27 फीसदी से 38 फीसदी मुस्लिम मतदाता है.
गठबंधन का करेंगे समर्थन
असदुद्दीन ओवैसी की रणनीति इस बार यूपी का सियासी मैदान पूरी तरह से खाली छोड़ने की है. ऐसे में उन्होंने भले ही पल्लवी पटेल के साथ गठबंधन कर लिया हो, लेकिन अपना प्रत्याशी उतारने की प्लानिंग नहीं है. पल्लवी पटेल अलग गठबंधन के साथ लोकसभा चुनाव 2024 में उतरेंगी. यूपी में वह इस मोर्चे की अगुआई करेंगी. अपना दल ने पांच दलों के साथ मिलकर भागीदारी संकल्प मोर्चा के नाम से गठबंधन की तैयारी की है, जिसमें ओवैसी भी शामिल हैं.
पल्लवी पटेल ने यूपी में उम्मीदवार उतारे
अपना दल कमेरावादी यूपी में लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. भागीदारी संकल्प मोर्चा के तहत पल्लवी पटेल के फूलपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरने की संभावना है तो उनकी मां कृष्णा पटेल मिर्जापुर से अपनी बड़ी बेटी और अपना दल (एस) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल के खिलाफ उतर सकती हैं. पल्लवी पटेल का दावा है कि उनका गठबंधन वास्तविक तौर पर पिछड़ा, दलित व मुस्लिम यानी पीडीएम के अधिकारों को बचाने की लड़ाई लड़ेगी.
ओवैसी की क्या है रणनीति
ओवैसी-पल्लवी पटेल के गठबंधन के पहले और दूसरे चरण की लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी नहीं है. ऐसे में खड़े उम्मीदवारों को पीडीए के दायरे में रखकर अपने समर्थन का ऐलान कर सकती है. पल्लवी पटेल गठबंधन की ओर से मुस्लिम कैंडिडेट उतारा जा सकता है. यह कैंडिडेट पल्लवी पटेल की पार्टी के हो सकते हैं, लेकिन AIMIM के नहीं होंगे. ओवैसी की इस रणनीति के पीछे उनकी पार्टी के एक नेता ने बताया कि यूपी के मुस्लिम मतदाता देख लें कि क्या सपा के साथ जाकर बीजेपी को हरा सकते हैं. ऐसे में गठबंधन के प्रत्याशी के लिए ओवैसी प्रचार करेंगे, लेकिन AIMIM के सिंबल पर कोई चुनाव नहीं लड़ेगा.
PDM पर लड़ेंगे चुनाव
वहीं, पल्लवी पटेल ने अपने नए गठबंधन पर कहा कि हमने PDM न्याय मोर्चा का गठन इसलिए किया है ,क्योंकि हमें अखिलेश यादव ने धोखा दिया. हमने सामाजिक न्याय और पिछड़े-दलित-मुसलमान के साथ हो रही ना इंसाफी से लड़ने के लिए PDM न्याय मोर्चा का गठन किया. अखिलेश यादव से नाराजगी जाहिर करते हुए पल्लवी पटेल ने कहा कि अब यह लड़ाई अस्तित्व की लड़ाई है और न्याय की लड़ाई है जिसको हम असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिलकर मजबूती से उत्तर प्रदेश में लड़ेंगे. 2024 के बाद भी यह लड़ाई जारी रहेगी यानि 2027 में भी मिलकर चुनाव लड़ेंगे.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.