बिहार में इंडिया गठबंधन आरजेडी-कांग्रेस और लेफ्ट के बीच सीटों की डील फाइनल हो गई है. लालू यादव की पार्टी आरजेडी सबसे ज्यादा 26 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि कांग्रेस 9 और लेफ्ट 5 सीटों पर मैदान में उतरेगी. इंडिया गठबंधन के बीच सीटों की डील तो फाइनल हो गई है, लेकिन हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने वाले पप्पू यादव को आरजेडी बड़ा सियासी दांव चलते हुए किनारे लगा दिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि पप्पू यादव जिस सीट से ताल ठोकने के लिए दम भर रहे थे वो सीट अब आरजेडी के खाते में चली गई है.
बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. सीट शेयरिंग फॉर्मूले में आरजेडी ने कांग्रेस के साथ सीटों की डील कुछ इस तरह से की है कि उसमें पप्पू यादव फंस गए हैं. आरजेडी के खाते में जो 26 सीटें गई हैं उसमें पूर्णिया सीट भी है. मतलब पूर्णिया सीट से आरजेडी का उम्मीदवार मैदान में उतरेगा. इस सीट से बीमा भारती का नाम पहले ही सामने आ चुका है. अब सीट शेयरिंग पर मुहर लगने के बाद बीमा भारती का इस सीट से मैदान में उतरना लगभग तय हो गया है.
फ्रेंडली फाइट कर सकते हैं पप्पू यादव
असल मुसीबत तो उस पप्पू यादव के सामने खड़ी हो गई जो पूर्णिया सीट से मैदान में उतरने का ऐलान कर चुके हैं. कांग्रेस में शामिल होने से पहले और बाद में भी पप्पू यादव यह कहते रहे है कि अगर वो चुनाव लड़ेंगे तो पूर्णिया सीट से वरना नहीं लड़ेंगे. अब सीट शेयरिंग में पूर्णिया की सीट आरजेडी के हिस्से में चली गई है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पप्पू यादव अब क्या करेंगे? तो सियासी गलियारे में चर्चा है कि पूर्णिया सीट पर फ्रेंडली फाइट देखने को मिल सकती है. मतलब पप्पू यादव कांग्रेस के सिंबल पर पूर्णिया सीट से ही मैदान में उतर सकते हैं. हालांकि, सीट शेयरिंग की डील पक्की होने के बाद पप्पू यादव का जो बयान सामने आया है वो गोल मटोल ही है.
गोल मटोल जवाब देते नजर आए पप्पू
पप्पू यादव ने पूर्णिया में मीडिया से बात करते हुए कहा कि हर स्थिति में सीमांचल और पूर्णिया में कांग्रेस के झंडा को बुलंद करेंगे. पप्पू यादव ने एक बार फिर चुनाव लड़ने के मामले पर गोल मटोल बातें कहीं, लेकिन उनकी बातों से यह स्पष्ट था कि वह पूर्णिया सीट पर फ्रेंडली फाइट कर सकते हैं. पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर पप्पू यादव ने किसी भी तरह के जवाब देने से इनकार किया. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाना उनकी प्राथमिकता है और कोसी और सीमांचल क्षेत्र में कांग्रेस के झंडे को आगे बढ़ाना उनका उद्देश्य है. कांग्रेस ने गठबंधन धर्म को निभाया है और हम उनके साथ खड़े हैं.
आरजेडी की कैसे मैनेज करेंगे बड़ा सवाल?
पप्पू यादव अगर पूर्णिया में फ्रेंडली फाइट करते हैं तो भी उनके सामने मुश्किल कम नहीं होने वाली है. क्योंकि बीमा भारतीय जब मैदान में उतरेंगे की आरजेडी की पूरी कोशिश यही रहेगी कि हर हाल में पप्पू यादव को मैदान में उतरने से रोका जाए. ऐसे में अगर पप्पू यादव नहीं मानते हैं तो वो और उनकी पार्टी कांग्रेस सहयोगी पार्टी आरजेडी को किस तरह से मैनेज करेगी यह बड़ा सवाल है.
वोटों के ध्रुवीकरण को कैसे रोकेगा गठबंधन?
बड़ा सवाल इसलिए भी है क्योंकि अगर पप्पू यादव फ्रेंडली फाइट के लिए मैदान में उतरते हैं तो भी वोटों का कुछ न कुछ तो ध्रुवीकरण होगा जो शायद लालू यादव और तेजस्वी यादव कही नहीं चाहेंगे. सियासी गलियारों में चर्चा है कि खुद लालू यादव यह नहीं चाहते हैं कि पप्पू यादव पूर्णिया से मैदान में उतरे. यही वजह है कि आरजेडी ने इस सीट पर पहले ही उम्मीदवार की घोषणा कर दी थी. अब सीट शेयरिंग में भी आरजेडी ने बाजी मार ली है.
पप्पू यादव एक बार के विधायक और पांच बार के सांसद रहे हैं. पप्पू यादव ने तीन बार पूर्णिया लोकसभा सीट और दो बार मधेपुरा सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे. सुपौल सीट से पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन सांसद रह चुकी हैं. हालांकि, वर्तमान में वो कांग्रेस के कोटे से राज्यसभा सांसद हैं.
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