दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रवर्तन निदेशालय की कस्टडी में हैं. कथित शराब घोटाले मामले में ईडी उनसे लगातार पूछताछ कर रही है. ईडी की कस्टडी को सीएम केजरीवाल ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उनकी याचिका पर आज यानी बुधवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन वो टल गई.
मुख्यमंत्री ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया है और ईडी की हिरासत से तुरंत रिहाई की मांग की है.दरअसल, दिल्ली में कथित आबकारी नीति मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही ईडी ने लगातार 9 समन भेजने के बाद 21 मार्च को केजरीवाल को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया. 21 मार्च की शाम को ईडी की टीम 10वां समन लेकर केजरीवाल के घर पहुंची थी. घर की तलाशी लेने के बाद टीम ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को घर से गिरफ्तार कर ईडी हेड क्वार्टर लेकर चली गई थी.
28 मार्च तक ईडी की रिमांड पर हैं केजरीवाल
इसके बाद अगले दिन यानी 22 मार्च को ईडी ने राउज एवेन्यू की एक अदालत में मुख्यमंत्री पेश किया. जहां ईडी ने 10 दिनों की रिमांड की मांग की. केजरीवाल की ओर से कोर्ट में पेश अभिषेक मनु सिंघवी समेत तीन वकीलों ने ईडी के एक्शन को गलत बताया और रिमांड का विरोध किया. केजरीवाल के वकीलों ने ईडी पर छल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी मौजूदा मुख्यमंत्री को इस तरह से गिरफ्तार किया गया है.
केजरीवाल के वकील ने ईडी के एक्शन पर उठाया था सवाल
केजरीवाल के वकील ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा ED कहती है कि उनके पास मुख्यमंत्री के खिलाफ सारी सामग्री थी, तो फिर आपने गिरफ्तारी के लिए आचार संहिता लागू होने तक इंतजार क्यों किया? क्या आप इसका इंतजार कर रहे थे? चुनाव में भाग लेना एक राजनेता का अधिकार है? इससे पहले केजरीवाल के वकीलों ने ईडी की रिमांड की मांग को खारिज करने के लिए कोर्ट में एक आवेदन भी दायर किया था.
आवेदन में वकीलों ने कहा था कि जब ईडी कहती है कि उन्हें पूछताछ के लिए रिमांड चाहिए. इसका मतलब है कि ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है. इसका मतलब है कि ईडी पहले ही यह मान चुकी है कि केजरीवाल अपराध में दोषी हैं.
ईडी की दलील-केजरीवाल के खिलाफ पुख्ता सबूत
दूसरी ओर ईडी की ओर से पेश असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील देते हुए कहा कि जांच एजेंसी के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि घोटाला और धोखाधड़ी हुई है. आम आदमी पार्टी ने गोवा चुनाव के लिए फंड जुटाने के लिए आबकारी नीति में बदलाव किया था. हमारे पास यह दिखाने के लिए ठोस सबूत हैं कि दिल्ली की आबकारी नीति को केवल गोवा चुनावों के लिए धन जुटाने के लिए किया गया.
गिरफ्तारी का ईडी ने दिया था यह जवाब
ईडी की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि आरोपी ये तय नहीं कर सकता है कि जांच एजेंसी को गिरफ्तारी की जरूरत है या नहीं. यह पूरी तरह से जांच अधिकारी के विवेक पर निर्भर करता है कि कब उसे गिरफ्तारी की जरूरत होगी. इसके जवाब में केजरीवाल के वकील विक्रम चौधरी ने कहा कि एक मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को ईडी जिस तरीके से सही ठहराने में लगी हुई, उससे ये समझा जा सकता है कि उनके इरादे क्या हैं?
ऐसे में अब देखना होगा कि क्या हाई कोर्ट से मुख्यमंत्री केजरीवाल को राहत मिलती है या फिर नहीं. हालांकि, केजरीवाल के पास अभी भी सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प बचा हुआ है. गिरफ्तारी के ठीक बाद केजरीवाल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे सुनवाई से पहले ही वापस ले लिया गया था.
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