लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की सियासत में बड़े उलट-फेर और सियासी हलचल देखने को मिल रही है. सूबे में हालिया राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति पारस राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में एक केंद्रीय व्यक्ति बन गए हैं. सीट बंटवारे पर असंतोष जताते हुए मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देने और एनडीए से अलग होने के उनके फैसले से चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. इसके अलावा, उन्होंने हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा की है. हालांकि, उनका ये कदम आलोचकों से दूर नहीं रहा. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधान पार्षद सुनील सिंह ने उनपर ऐसी टिप्पणी कर डाली की सब हैरान रह गए.
तीखी फटकार लगाते हुए सुनील सिंह ने सार्वजनिक रूप से पशुपति पारस को “फूंका हुआ कारतूस” और “फ्यूज बल्ब” करार दिया. उन्होंने पारस पर अपने भतीजे और पार्टी दोनों को धोखा देने का आरोप लगाया. सिंह की “दूध में मक्खी की तरह फेंक दिए जाने” की भी बात कही.
‘फूंका हुआ कारतूस और फ्यूज बल्ब’
सिंह की टिप्पणियां यहीं नहीं रुकीं. उन्होंने पशुपति पारस को NDA में एक भी सीट नहीं मिलने की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए सुझाव दिया कि यह परिणाम पारस के चुनावी प्रभाव के नेतृत्व के आकलन का स्पष्ट संकेत था. उन्होंने पशुपति पारस को “फुके हुए कारतूस और फ्यूज बल्ब” भी कहा.
माना जा रहा है कि पशुपति पारस को महागठबंधन में भी अब जगह नहीं मिलने वाली है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पशुपति पारस अब पूरी तरह से अकेले पड़ गए हैं. उन्हें अब किसी भी गठबंधन में कोई जगह नहीं मिलेगी. दूसरी तरफ, छपरा लोकसभा सीट से रोहिणी आचार्य को उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर पार्टी की तरफ से दबाव बनाया जा रहा है.
उम्मीदवार बनाने के लिए अपील
पार्टी के विधायक और एमएलसी रोहिणी आचार्य को छपरा लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाने के लिए लालू यादव से लगातार अपील कर रहे हैं. हालांकि राजद ने पशुपति पारस की सीधे तौर पर आलोचना करने से परहेज किया है, लेकिन पार्टी के साथ उनके संभावित जुड़ाव को लेकर अटकलें तेज हैं. हालांकि, सुनील सिंह ने यह स्पष्ट करने में देर नहीं की कि उनकी टिप्पणियां व्यक्तिगत थीं और राजद के आधिकारिक रुख को प्रतिबिंबित नहीं करतीं.
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